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काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का एक साल: बाबा के भक्तों ने तोड़े दान के सभी रिकॉर्ड, वर्षगांठ पर भव्य आयोजन

काशी विश्वनाथ कॉरिडोर ने दान के सभी पुराने रिकॉर्ड ध्वस्त कर दिए हैं. 13 दिसंबर 2021 को कॉरिडोर का लोकार्पण हुआ था. अब तक मंदिर को रिकॉर्ड तोड़ 100 करोड़ रुपये दान मिला है. उधर, मंदिर प्रशासन विश्वनाथ कॉरिडोर की वर्षगांठ को भव्य तरीके से मनाने की तैयारी भी कर चुका है. मंदिर के मुख्य कार्यपालक ने इस बारे में जानकारी दी है.

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काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का एक साल
काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का एक साल

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट काशी विश्वनाथ कॉरिडोर ने दान के सभी पुराने रिकॉर्ड ध्वस्त कर दिए हैं. 13 दिसंबर को पीएम ने कॉरिडोर का लोकार्पण किया था. तब से लेकर अब तक साढ़े 7 करोड़ श्रद्धालुओं से मंदिर को रिकॉर्ड तोड़ 100 करोड़ रुपये दान किए हैं. मंदिर प्रशासन विश्वनाथ कॉरिडोर की वर्षगांठ को 13 दिसंबर को भव्य तरीके से मनाने की तैयारी भी कर चुका है.

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13 दिसंबर को विश्वनाथ धाम की वर्षगांठ

कॉरिडोर की वर्षगांठ और रिकॉर्ड 100 करोड़ के दान पर मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी सुनील वर्मा ने बताया कि हमने इस साल कई बदलाव देखे हैं. 13 दिसंबर को विश्वनाथ धाम की वर्षगांठ मनाई जाएगी.

अनुराधा पौडवाल का संगीत कार्यक्रम

इसमें सुबह से हवन-पूजन शुरू हो जाएगा. साथ ही विद्वानों का सम्मान और गोष्ठी होगी, ताकि मंदिर के सामाजिक सरोकार पर चर्चा हो सके. शाम को सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे. गायिका अनुराधा पौडवाल का संगीत कार्यक्रम भी होगा.

आयोजन का लोगों को धाम से जोड़ना

इस आयोजन का मकसद ज्यादा से ज्यादा लोगों को धाम से जोड़ना है. मंदिर में होने वाले आयोजन के अलावा काशीवासी शिव बारात भी निकालेंगे.

सुविधाओं को लेकर बना था रोडमैप

मंदिर की रिकॉर्ड 100 करोड़ रुपये की आमदनी के बारे में बताया कि कॉरिडोर की शुरुआत होने पर ज्यादा से ज्यादा श्रद्धालुओं को जोड़ने और सुविधाओं को लेकर रोडमैप तैयार किया गया था.

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40 प्रतिशत चढ़ावा ऑनलाइन आया

इसके चलते लगातार श्रद्धालु बढ़ते गए और लोकार्पण से लेकर पूरे साल में साढ़े 7 करोड़ श्रद्धालुओं ने दर्शन किए. ये नया कीर्तिमान भी है. इसी का परिणाम है कि मंदिर के दान में भी इजाफा हुआ और 40 प्रतिशत तक का चढ़ावा ऑनलाइन मिला. इस दान में पैसों के साथ ही बहुमूल्य चीजें भी हैं.

बताया कि 50 करोड़ रुपये चढ़ावा और करीब 50 करोड़ रुपये के बहुमूल्य धातुएं भी मिली हैं. इस चढ़ावे या दान को इस नजरिए से नहीं देखा जा रहा है कि आय हुई है, बल्कि इस तरह देखा जा रहा है कि लोग हमसे जुड़ रहे हैं. इससे अच्छी सुविधाएं देने की प्रेरणा भी मिल रही है. 

 

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