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उत्तर प्रदेश के कौशांबी जिला जेल में कैदियों के लिए तीन दिवसीय राम कथा की शुरुआत हो गई है. बताया जा रहा है कि कथा का मकसद बंदियों एवं कैदियों को मानसिक तनाव से दूर रखना है ताकि जेल से छूटने के बाद वह अपराध की पुनरावृत्ति न करें. श्रीकृष्ण और राम कथा का आयोजन जिले के बीजेपी सांसद की पहल पर जेल प्रशासन के सहयोग से कराया जा रहा है. कथा वाचन आचार्य प्रवर श्री देवव्रत जी महाराज कर रहे हैं.
बता दें कि कौशांबी जिला जेल में 772 कैदी एवं बंदी निरुद्ध हैं, जिसमें 280 सजायाफ्ता एवं 492 विचारधाराधीन कैदी हैं. विभिन्न प्रकार के अपराध करने के बाद तमाम बंदी एवं कैदी मानसिक तनाव से ग्रसित हैं. उन्हें घर परिवार की चिंता सताती रहती है. इसके अलावा जाने-अनजाने में किए अपराध के लिए वो पछतावा भी कर रहे हैं.
ऐसे में सजा भुगतने के बाद जब वो जेल से बाहर जाएं तो दोबारा अपराध जगत की दुनिया में फिर से कम ना रखें, इसके लिए कौशांबी सांसद विनोद सोनकर ने एक अनोखी पहल की है. उन्होंने जिला जेल में तीन दिवसीय श्रीकृष्ण व राम कथा चर्चा का आयोजन करवाया है.
जेल में कथा का आयोजन, कैदी बने श्रोता
कथा वाचक आचार्य प्रवर श्री देवव्रत बंदी एवं कैदियों को कथा सुना रहे हैं. कथा सुनने के लिए जेल अधीक्षक, जेलर, जेल कर्मचारियों के अलावा तमाम बंदी एवं कैदी शामिल हो रहे हैं. जेल में अभी तक होली, दीपावली, रक्षाबंधन समेत अन्य पर्व धूमधाम से मनाए जाते थे लेकिन यह पहला मौका है जब जेल में कथा का आयोजन किया जा रहा है.
मालूम हो कि जब कोरोना की महामारी देश में फैली थी तब कौशांबी जेल में उस दौरान भारी संख्या में मास्क बनाए गए थे. इन मास्क का इस्तेमाल जेल अधिकारियों, कर्मचारियों के अलावा जिले के विभिन्न विभाग के अधिकारी एवं कर्मचारी इस्तेमाल करते थे. इतना ही नहीं गौशालाओं में संरक्षित गोवंशों को ठंड से बचाने के लिए बंदी एवं कैदियों ने जेल प्रशासन के सहयोग से पुराने कंबल से उनके लिए काऊ कोट भी बनाए थे. इस अनोखी पहल की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी वर्ष 2020 में अपने मन की बात कार्यक्रम में सराहना की थी.
जेलर और सांसद ने क्या कहा?
जेल अधीक्षक भूपेश सिंह ने बताया कि यह कथा कार्यक्रम 3 दिन चलने वाला है. इसके जरिए मैसेज यही है कि अच्छी बातें सुनकर कैदी भी कुछ अच्छा सीखेंगे और भविष्य में जुर्म का रास्ता छोड़ देंगे. उनके स्वभाव और कार्यशैली में थोड़ा बदलाव होगा तो समाज में सकारात्मक असर डालेंगे.
वहीं, कौशांबी सांसद विनोद सोनकर ने कहा कि सुधारने का प्रयास किया जा रहा है. मेरा अपना मानना है कोई जन्म से अपराधी नहीं होता है. परिस्थिति व अन्य कारणों से अपराधी बन जाता है. ऐसे में उसके जीवन में बदलाव कैसे आए, उस दिशा में एक कदम उठाया गया है. समाज और कानून सबको जीने का एक अवसर देता है. जाने-अनजाने में जो भी अपराध हुए हैं उसे भूलकर अच्छा रास्ता चुने. परमपिता परमेश्वर से प्रार्थना करें और अपराधों से दूर रहें.
बकौल सांसद- जब जिला जेल के बंदी और कैदियों के द्वारा बेजुबान जानवरों के लिए काऊ कोट बनाया गया तो मुझे लगा कि ये लोग काफी संवेदनशील हैं. इनकी संवेदना को देखते हुए और समाज से इन्हें जोड़ने के लिए तीन दिवसीय 'भागवत चर्चा' आयोजन किया गया है. कारागार एक प्रकार से बंदी सुधार गृह होता है. क्या पता किस कथा के बाद उनके विचारों में, मन में परिवर्तन आ जाए.