उत्तर प्रदेश के बांदा जिले में एक ऐसा मामला सामने आया है, जो किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है. 40 साल पहले जमीनी विवाद में पड़ोसी की हत्या कर फरार हुए आरोपी को पुलिस ने साधु के भेष में मध्य प्रदेश के घने जंगलों से गिरफ्तार किया है. उम्रकैद की सजा के बाद फरार हुए इस अपराधी को पुलिस ने वर्षों की खोजबीन के बाद आखिरकार पकड़ ही लिया.
पुलिस अधीक्षक कार्यालय के मुताबिक, आरोपी बाबूलाल बांदा के पल्हरी गांव (थाना बिसंडा) का निवासी है. उसने 30 जुलाई 1985 को जमीन के बंटवारे को लेकर अपने पड़ोसी की लाइसेंसी बंदूक से गोली मारकर हत्या कर दी थी. इस घटना में एक अन्य व्यक्ति भी घायल हुआ था. पुलिस ने घटना के बाद बाबूलाल को गिरफ्तार कर लिया था और उसके खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किया गया.
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कोर्ट से सजा और फरारी
जांच के दौरान अभियोजन पक्ष ने मजबूत साक्ष्य कोर्ट में प्रस्तुत किए, जिसके आधार पर 28 जुलाई 1986 को अदालत ने बाबूलाल को दोषी ठहराते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई और 2000 रुपये का जुर्माना भी लगाया. हालांकि, सजा मिलने के बाद बाबूलाल हाईकोर्ट पहुंचा, जहां उसे इस शर्त पर जमानत मिली कि जब भी अदालत उसे बुलाएगी वह पेश होगा. लेकिन जमानत मिलने के बाद बाबूलाल फरार हो गया और पुलिस की गिरफ्त से बाहर रहा.
साधु बनकर जंगलों में छिपा रहा दोषी
चार दशक तक पुलिस उसे ढूंढने में लगी रही, लेकिन उसका कोई सुराग नहीं मिला. पुलिस की कई टीमें लगातार उसकी तलाश कर रही थीं. आखिरकार पुलिस को सूचना मिली कि वह मध्य प्रदेश के सतना जिले के फलहारी आश्रम में साधु के रूप में रह रहा है. पुलिस ने दबिश देकर उसे वहीं से गिरफ्तार कर लिया.
पुलिस ने कैसे पकड़ा अपराधी?
बाबूलाल के खिलाफ वारंट जारी होने के बाद पुलिस अधीक्षक अंकुर अग्रवाल ने उसकी गिरफ्तारी के लिए एक विशेष टीम बनाई. पुलिस ने गुप्त सूचना के आधार पर सतना जिले के फलहारी आश्रम में घेराबंदी कर उसे गिरफ्तार किया. गिरफ्तारी के बाद उसे कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया.
एसपी का बयान
एसपी अंकुर अग्रवाल ने बताया, आरोपी बाबूलाल को 1986 में कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई थी, लेकिन वह फरार हो गया था. हमने विशेष टीमों को उसकी तलाश में लगाया था. आखिरकार उसे मध्य प्रदेश के सतना जिले के फलहारी आश्रम से गिरफ्तार कर लिया गया. उसे कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया गया है.