उत्तर प्रदेश में संजीव उर्फ जीवा हत्याकांड में पुलिस ने कार्रवाई करते हुए 6 आरक्षकों को हटा दिया है. इस मामले में राजनीतिक दलों ने सत्ताधारी बीजेपी को आड़े हाथों लिया है और कहा कि चाहे प्रयागराज का मामला हो या लखनऊ का, दोनों जगहों पर नीचे तबके के आदमी पर कार्रवाई होती है. यूपी के अधिकारी सरकार की छवि जंगलराज की बना रहे हैं. पूर्व डीजीपी ने भी यह कहा कि अधिकारियों की जिम्मेदारी एसआईटी की जांच के साथ तय होनी चाहिए.
दरअसल, उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. शूटर को पुलिस ने मौके से गिरफ्तार कर लिया. लेकिन इस पूरे मामले पर एसआईटी की जांच हो रही है. इस मामले में 6 कॉन्स्टेबल सस्पेंड कर दिए गए हैं.
लखनऊ कचहरी हत्याकांड में पुलिस फ़ोर्स के छोटे कर्मचारियों पर कार्रवाई को लेकर सपा प्रवक्ता अमीक जामई ने कहा, "उमेश पाल से लेकर संजीव जीवा कांड, ज़िम्मेदार कप्तान-कमिश्नर न होकर दरोगा कोतवाल क्यों? राज्य की संलिप्तता से हो रही हत्याओं में भाजपा सरकार और इसके कप्तान UP की छवि जंगलराज की बना रहे हैं, जो शर्मनाक है.''
उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी एके जैन ने कहा, शुरुआत में आरक्षकों पर ही कार्रवाई की जाती है. हालांकि बड़े अधिकारियों की भी जांच की जानी चाहिए. लेकिन अगर मामले बड़े हैं और कानून व्यवस्था की बात है तो कार्रवाई बड़े अधिकारियों पर होनी चाहिए.
बता दें कि गैंगस्टर मुख्तार अंसारी के गुर्गे संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा (48 साल) की बीती 7 जून को लखनऊ अदालत परिसर के भीतर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. जीवा पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले का निवासी था. वह BJP विधायक कृष्णानंद राय और उत्तर प्रदेश में बीजेपी मंत्री ब्रह्म दत्त द्विवेदी की हत्या का आरोपी था. मृतक पर हत्या, धोखाधड़ी और आपराधिक षड़यंत्र के दो दर्जन मामले दर्ज थे.
जीवा की गोली मारकर हत्या करने वाले आरोपी का नाम विजय यादव है. जौनपुर जिला का रहने वाला आरोपी लखनऊ में प्लंबर का काम करता था. आरोपी के खिलाफ 2 आपराधिक मामले पहले से दर्ज हैं. एक मामला एक नाबालिग लड़की का अपहरण करने और उससे दुष्कर्म से जुड़ा है. साल 2016 में दर्ज हुई FIR में विजय के खिलाफ पॉक्सो कानून के तहत भी आरोप हैं.
इसके पहले, प्रयागराज के अस्पताल परिसर में भी पुलिस अभिरक्षा में माफिया डॉन अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की हत्या कर दी गई थी.