उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में एक कोर्ट में बुधवार को माफिया संजीव जीवा की गोली मारकर हत्या कर दी गई. हमलावर वकील के भेष में कोर्ट में आया था, जब तक कोई कुछ समझ पाता, उसने 6 गोलियां संजीव जीवा को दाग दीं. जीवा की मौके पर ही मौत हो गई. संजीव माफिया मुख्तार अंसारी का करीबी था. बीजेपी के बड़े नेता ब्रह्मदत्त द्विवेदी हत्याकांड में संजीव जीवा को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी. संजीव पर एक दो नहीं बल्कि पूरे दो दर्जन केस थे. वह शुरुआत में दवा बेचता था, लेकिन देखते वह राज्य का बड़ा माफिया बन गया. वह जेल से ही फोन कर करोड़ो की वसूली भी करता था. आइए जानते हैं संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा की पूरी क्राइम कुंडली?
संजीव जीवा का पूरा नाम संजीव माहेश्वरी था. वह मुजफ्फरनगर के शाहपुर थाना क्षेत्र के आदमपुर गांव का रहने वाला था. जीवा माफिया मुख्तार अंसारी का शार्प शूटर बताया जाता है. जीवा ने 12वीं कक्षा तक पढ़ाई की थी. संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा 90 के दशक तक मुजफ्फरनगर में एक क्लीनिक पर कंपाउंडर का काम करता था.
जिस क्लीनिक में काम किया, उसी के मालिक का अपहरण किया
इसके बाद उसने क्लीनिक के मालिक को ही अगवा कर लिया था. संजीव जीवा का पहली बार बड़ा नाम आया जब इसने नब्बे के दशक में ही कोलकाता के व्यापारी के बेटे को अगवा करके दो करोड़ फिरौती मांगी. फिर 1997 में संजीव जीवा बीजेपी के बड़े नेता और मायावती को गेस्ट हाउस कांड में बचाने वाले ब्रह्मदत्त द्विवेदी की हत्या में शामिल रहा.
संजीव माहेश्वरी से कैसे बना संजीव 'जीवा'
बताया जाता है कि संजीव माहेश्वरी सुपर स्टार संजय दत्त का बड़ा फैन था. 90 के दशक में जब संजय दत्त की फिल्म जीवा आई, तो इसके बाद संजीव माहेश्वरी ने अपने नाम के आगे जीवा जोड़ लिया.
ब्रह्मदत्त द्विवेदी की हत्या में मिली सजा
इसके बाद साल 2000 में वह माफिया मुन्ना बजरंगी के जरिए संजीव जीवा मुख्तार अंसारी का भी करीबी बन गया. 2005 में बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय की हत्या में मुख्तार के साथ जीवा के भी शामिल होने का आरोप लगा. हालांकि, इस केस में वह बरी हो गया. 2003 में ब्रह्मदत्त द्विवेदी हत्याकांड में संजीव जीवा को उम्रकैद की सजा सुनाई गई.
संजीव पर 24 केस दर्ज थे. इनमें हत्या, अपहरण, रंगदारी समेत अन्य आरोप लगे थे. जेल में रहने के बावजूद संजीव जीवा बड़े-बड़े सफेद पोश लोगों और उद्योगपतियों के संपर्क मे रहता था, और जमीनों पर अवैध कब्जे करता-कराता था. इसके लिए वह वसूली करता था. वह लोगों में अपना डर दिखाकर रंगदारी भी वसूल करता था. जीवा मुख्तार अंसारी के संपर्क में रहकर अपना गैंग चला रहा था. उसकी गैंग ने पूर्वी और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में कई वारदातों को अंजाम दिया था.
संजीव अधिकारियों से सांठगांठ कर जेल में मोबाइल का इस्तेमाल करता था. जेल से ही वह अपने गैंग के सदस्यों को निर्देश देता. जीवा की गैंग ने हरिद्वार, सहारनपुर, मुजफ्फरनगर में अपहरण, डकैती, हत्या और लूट जैसी जघन्य वारदातों को अंजाम दिया. उसके गैंग के सदस्य जितेन्द्र उर्फ भूरी, रमेश ठाकुर पुलिस मुठभेड़ में मारे जा चुके है. वहीं, इसके खास साथी अमरजीत उर्फ बबलू को मैंगलोर में एक दोहरे हत्याकांड में आजीवन कारावास की सजा हुई है.
पत्नी को लड़ाया विधानसभा चुनाव
जीवा ने 2017 विधानसभा चुनाव में अपनी पत्नी पायल को राष्ट्रीय लोकदल से मुजफ्फरनगर शहर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ी थी. हालांकि, इस चुनाव में वह 5वें नंबर पर रही थी. पायल भी गैंगस्टर एक्ट में आरोपी है. उसने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर पति के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए अंतरिम जमानत मांगी है.