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लखनऊ अवैध धर्मांतरण मामला: मौलाना कलीम सिद्दीकी, उमर गौतम समेत 12 दोषियों को उम्रकैद

लखनऊ अवैध धर्मांतरण मामले में एनआईए एटीएस कोर्ट ने मौलाना उमर गौतम, मौलाना कलीम सिद्दीकी समेत 16 आरोपियों को दोषी माना है. अदालत ने इनमें से 12 को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है, जबकि 4 को 10 साल कारावास की सजा दी है.

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लखनऊ अवैध धर्मांतरण मामले में मौलाना कलीम सिद्दीकी और उमर गौतम समेत 12 को उम्रकैद की सजा. (ANI Photo)
लखनऊ अवैध धर्मांतरण मामले में मौलाना कलीम सिद्दीकी और उमर गौतम समेत 12 को उम्रकैद की सजा. (ANI Photo)

लखनऊ अवैध धर्मांतरण मामले में स्पेशल एनआईए-एटीएस कोर्ट ने मौलाना उमर गौतम व मौलाना कलीम सिद्दीकी सहित अन्य 12 आरोपियों को दोषी पाए जाने पर उम्र कैद की सजा सुनाई है. कोर्ट ने अन्य 4 आरोपियों राहुल भोला, मन्नू यादव, कुणाल अशोक चौधरी और सलीम को 10 साल की सजा के साथ उन पर लगी धाराओं के मुताबिक जुर्माना लगाया है. कोर्ट ने इन सभी को कल दोषी करार दिया था और सजा का ऐलान आज किया.

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एनआईए एटीएस कोर्ट के जज विवेकानंद शरण त्रिपाठी ने इन सभी को भारतीय दंड संहिता की धाराओं 417, 120b, 153a, 153b, 295a, 121a, 123 और अवैध धर्मांतरण कानून की धारा 3, 4, और 5 के तहत दोषी करार दिया. इन धाराओं के तहत आरोपियों को 10 साल से लेकर आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान है. अवैध धर्मांतरण के इस मामले में कुल 17 आरोपी थे, जिनमें से 16 दोषी करार दिए गए हैं. 17वें आरोपी इदरीस कुरैशी को इलाहाबाद हाई कोर्ट से स्टे मिल गया है.

मौलाना कलीम को ATS ने  2021 में किया था गिरफ्तार

मुजफ्फरनगर के रतनपुरी थाना क्षेत्र स्थित गांव फुलत निवासी मौलाना कलीम सिद्दीकी ने पिकेट इंटर कॉलेज से 12वीं करने के बाद मेरठ कॉलेज से बीएससी की शिक्षा ली. इसके बाद दिल्ली के एक मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस करने लगा. एमबीबीएस की पढ़ाई छोड़कर इस्लामिक स्कॉलर बना. दिल्ली के शाहीन बाग में मौलाना ने 18 साल से अपना ठिकाना बना रखा था. मौलाना कलीम सिद्दीकी को 22 सितंबर, 2021 की रात उत्तर प्रदेश एटीएस ने दिल्ली-देहरादून हाईवे पर दौराला-मटौर के बीच गिरफ्तार किया था.

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कलीम को 562 दिनों तक जेल में रहने के बाद मिली बेल

उसे और उसके सा​थियों को बड़े पैमाने पर अवैध धर्मांतरण सिंडीकेट चलाने के आरोप में गिरफ्तार किया था. कलीम को 562 दिनों तक जेल में रहने के बाद, अप्रैल 2023 में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने जमानत दे दी थी. उत्तर प्रदेश सरकार ने हाई कोर्ट के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी. शीर्ष अदालत में आगे की सुनवाई शुरू हुई, जिसमें कलीम सिद्दीकी जमानत पर शर्तें लगाई गईं. सुप्रीम कोर्ट ने सिद्दीकी की गतिविधियों पर प्रतिबंध लगा दिया. उसके एनसीआर से बाहर निकलने पर रोक लगा दी गई और जांच अधिकारी ट्रैक कर सकें इसके लिए अदालत ने उसे अपने फोन का लोकेशन हमेशा ऑन रखने का भी निर्देश दिया. 

फॉरेन फंडिंग की मदद से चलाते थे धर्मांतरण सिंडिकेट

मौलाना कलीम सिद्दीकी ने वर्ष 1991 में अपना जामिया इमाम वलीउल्लाह इस्लामिया मदरसा बनाया. गांव में कोर्स संचालित करने के लिए स्कूल की स्थापना की, लेकिन बाद में इसे केरल की एक संस्था के हवाले कर दिया. वह ग्लोबल पीस फाउंडेशन के अध्यक्ष के रूप में भी अपनी सेवाएं दे रहा था. इस मामले में मौलाना उमर गौतम और मुफ्ती काजी समेत कलीम सिद्दीकी के अन्य सहयोगियों की गिरफ्तारियां भी हुईं. उत्तर प्रदेश एटीएस ने आरोप लगाया था कि ये सभी धर्मांतरण की साजिश रचने में शामिल थे और फॉरेन फंडिंग की मदद से अपनी गतिविधियों को अंजाम देते थे.

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