लखनऊ में रिटायर्ड आईएएस अधिकारी से ठगी का मामला सामने आया है. यहां मेडिकल कंपनी की फ्रेंचाइजी देने के नाम पर रिटायर्ड आईएएस अधिकारी से 83 लाख रुपए ठगे गए हैं. पुलिस की साइबर क्राइम ब्रांच ने नाइजीरियन निवासी ठग को गिरफ्तार कर लिया है. ये आरोपी वर्तमान में दिल्ली के वैशाली कॉलोनी में रह रहा था और पूरे गिरोह को ऑपरेट कर रहा था.
आरोपी के पास से 213 सिम बरामद हुए हैं. गिरोह में कई नाइजीरियन नागरिक शामिल हैं, जिनकी पुलिस तलाश कर रही है. ये आरोपी लड़कियों के फोटो इस्तेमाल करके फेक आईडी बनाते थे और लोगों को ब्लैकमेल करते थे. इसके अलावा, ठगी के लिए लालच देने के मेल भेजते थे.
'डीलरशिप देने के नाम पर ठगी'
लखनऊ के रहने वाले रिटायर्ड आईएएस अफसर राजीव श्रीवास्तव के मुताबिक, उनके पास अबाउट फार्मा नाम की कंपनी की तरफ से एक ईमेल आया था, जिसमें फार्मा कंपनी की फ्रेंचाइजी की डीलरशिप देने की बात कही गई थी. यह ऑफर उन्हें पसंद आया और टेलीग्राम एप पर बातचीत की.
'अलग-अलग खातों में जमा करवाए रुपए'
आरोपियों ने एक के बाद पांच बैंक अकाउंट राजीव श्रीवास्तव को उपलब्ध कराए, इन अकाउंट में अलग-अलग ट्रांजेक्शन किए गए. कुल 83 लख रुपए ट्रांसफर किए गए. बाद में ना फ्रेंचाइजी मिली, ना ही रकम वापस की गई.
'पुलिस ने आईपी एड्रेस ट्रेस किया और आरोपी को पकड़ा'
मामले में रिटायर्ड आईएएस अफसर राजीव श्रीवास्तव को ठगी का एहसास हुआ तो उन्होंने पुलिस से शिकायत की और एफआईआर दर्ज करवाई. साइबर क्राइम की टीम ने जिस जी-मेल आईडी से मेल आया था, उसका आईपी एड्रेस ट्रेस किया. उसके बाद दिल्ली से वैशाली इलाके से एक नाइजीरियाई आरोपी लवसन इमेसोवम चिनागोरोम मैक्सवेल को गिरफ्तार किया.
'फेक आईडी बनाकर ठगी करते थे'
साइबर क्राइम ब्रांच का कहना था कि लवसन ही इस पूरे ठगी के गिरोह को संचालित करता था. उसके साथ अन्य नाइजीरियन युवक भी जुड़े थे और ठगी की घटनाओं को अंजाम देते थे. इन सभी की तलाश की जा रही है. गिरफ्तार नाइजीरियाई ने बताया कि वो फेक आईडी बनाते हैं, उसके बाद अलग-अलग खातों में रकम मांगते हैं.
'आरोपी के कब्जे से 200 सिम बरामद'
पुलिस ने लवसन के कब्जे से 200 से ज्यादा सिम बरामद किए हैं. यह सिम फेक आईडी पर अलॉट हुए हैं और प्री-एक्टीवेटेड सिम का इस्तेमाल किया जाता है. आरोपी से पहले भी एक ठगी के केस में जेल जा चुका है और जेल से निकलने के बाद उसने दोबारा ठगी शुरू कर दी. पुलिस का कहना है कि अन्य नाइजीरियन भी यहां रहकर ठगी का काम करते हैं.