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साजिश, मुखबिरी और धोखा... ऐसे हुआ संजीव जीवा हत्याकांड, पुलिस की रडार पर डॉन के दो करीबी

लखनऊ कोर्ट में हुई गैंगस्टर संजीव जीवा माहेश्वरी की हत्या महीनों की साजिश और अपनों की मुखबिरी का नतीजा थी. लखनऊ पुलिस को अब उन दो लोगों की तलाश है जिनकी मुखबिरी के चलते ही शूटर विजय यादव ने संजीव जीवा के पास पहुंचकर गोली मारी. जिनके कहने पर जीवा ने कोर्ट में पेशी के दौरान बुलेट प्रूफ जैकेट नहीं पहनी थी. पुलिस ने संजीव जीवा के साथ दगा करने वाले इन दो लोगों की तलाश शुरू कर दी है.

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लखनऊ कोर्ट में हुई थी गैंगस्टर संजीव जीवा माहेश्वरी की हत्या.
लखनऊ कोर्ट में हुई थी गैंगस्टर संजीव जीवा माहेश्वरी की हत्या.

उत्तर प्रदेश के लखनऊ कोर्ट में संजीव जीवा माहेश्वरी की हत्या गहरी साजिश, सटीक मुखबिरी और अपनों की गद्दारी का नतीजा थी. हत्याकांड की जांच कर रही पुलिस को अब तक यही लग रहा है. बाराबंकी जेल में रहने के दौरान संजीव जीवा माहेश्वरी की जब भी मुजफ्फरनगर कोर्ट में पेशी हुई तो जीवा पूरी सुरक्षा के साथ बुलेट प्रूफ जैकेट पहनकर पेशी पर पहुंचता था.

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संजीव माहेश्वरी की सुरक्षा में 8 कांस्टेबल, 2 हेड कांस्टेबल, 1 एसआई और 1 इंस्पेक्टर सुरक्षा में लगाए जाते थे. बाराबंकी जेल से लखनऊ जेल ट्रांसफर हुआ तो उसकी कोर्ट में पेशी महीने में एक बार होती थी. बीते 4 सालों से संजीव जीवा माहेश्वरी की लखनऊ कोर्ट में सेट पैटर्न पर पेशी हो रही थी. महीने में एक बार संजीव जीवा माहेश्वरी लखनऊ कोर्ट लाया जाता था.

लेकिन बीते डेढ़ महीने में यह पेशी का पैटर्न अचानक बदल गया. पहले 2 हफ्ते तक हफ्ते में एक बार बुलाया जाता था. फिर हफ्ते में तीसरे दिन यानी सप्ताह में दो बार संजीव जीवा की कोर्ट में पेशी लगने लगी. मई के आखिरी सप्ताह में तो संजीव जीवा की 1 सप्ताह में लगातार तीन बार पेशी लगाई गई और उसे जेल से बुलाया गया.

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जून शुरू हुआ तो संजय जीवा के केस की तीन पेशी लगीं. पहली 2 जून, दूसरी 5 जून और फिर 7 जून, जिस दिन कोर्ट में उसकी हत्या कर दी गई. पुलिस को शक है संजीव जीवा की लगातार हो रही पेशी भी उसकी हत्या की साजिश का हिस्सा थी.

इन एंगल पर जांच कर रही है पुलिस
पुलिस इस एंगल पर भी तफ्तीश कर रही है कि आखिर संजीव जीवा की कोर्ट में इतनी जल्दी जल्दी पेशी क्यों लग रही थी? जीवा की तरफ से उसके वकीलों ने कोई आपत्ति क्यों नहीं दर्ज करवाई? या वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से पेशी की मांग क्यों नहीं की गई? वहीं, पेशी पर बुलेट प्रूफ जैकेट पहनने वाले संजीव जीवा ने 7 जून को जैकेट क्यों नहीं पहनी पुलिस के लिए यह सवाल खटक रहा है.

संजीव के हितैषी ने कही ये बात
संजीव जीवा की पेशी पर उसके इर्द-गिर्द रहने वाले एक हितैषी ने नाम न छापने की शर्त पर कबूला कि संजीव जीवा अपनी सुरक्षा को लेकर हमेशा सतर्क रहते थे. आज तक उसने 7 जून से पहले कभी संजीव जीवा को बाराबंकी हो या लखनऊ बिना बुलेट प्रूफ जैकेट के कोर्ट में जाते नहीं देखा. बाराबंकी में तो संजीव जीवा के साथ-साथ पुलिस वाले भी पेशी के दौरान बुलेट प्रूफ जैकेट पहनते थे. तो फिर 7 जून को जीवा ने जैकेट क्यों नही पहनी.

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पुलिस घटनास्थल पर एक्टिव मोबाइल नंबर और टावर डाटा खंगालने के बाद पुलिस दूसरे राउंड की पूछताछ उनसे शुरू करने जा रही है जो शूटआउट के वक्त संजीव जीवा के साथ मौजूद थे. साथ ही गोमतीनगर में अक्टूबर 2015 के उस हत्याकांड के सह आरोपी से भी पुलिस पूछताछ करेगी, जिसके बयान पर ही संजीव जीवा माहेश्वरी को इस हत्याकांड की साजिश का आरोपी बनाया गया था.

जो 7 जून को कोर्ट में पेशी के लिए पहुंचने वाला था. लेकिन वह संजीव जीवा के कोर्ट में पहुंचने के बाद आया और जब आया तब तक संजीव जीवा की हत्या हो चुकी थी. पुलिस को शक है कहीं संजीव जीवा की हत्या के बाद बाराबंकी में करोड़ों की जमीन हथियाने के लालच में ही उसके अपने ने तो गद्दारी नहीं कर दी.

वहीं, 7 जून को जब संजीव जीवा कोर्ट में पेशी के लिए पहुंचा तो उसके किसी करीबी ने ही गर्मी का हवाला देकर उसे बुलेट प्रूफ जैकेट नहीं पहनने के लिए कहा और जीवा ने 7 जून को पहली बार बुलेट प्रूफ जैकेट नहीं पहनी, जिसका फायदा शूटर विजय यादव ने उठाया.

पुलिस को दो हत्याकांड के दो किरदारों की तलाश
पुलिस को शक है कि संजीव जीवा के एक करीबी ने उसे बुलेट प्रूफ जैकेट नहीं पहनने दी और दूसरे करीबी ने संजीव जीवा के कोर्ट पहुंचने की सटीक मुखबिरी कचहरी के बाहर खड़े होकर की. इसी करीबी के इशारे पर अनजान शहर से आया विजय यादव पहली बार वकील के वेश में बेरोकटोक पुरानी हाईकोर्ट बिल्डिंग की एससी एसटी कोर्ट में हो रही संजीव माहेश्वरी के केस की सुनवाई में उसके करीब तक पहुंच गया. पुलिस को अब इस हत्याकांड में इन दो किरदारों की तलाश है.

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