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ISI टेरर फंडिंग केस में बड़ा खुलासा, बिहार में छिपा है मास्टमाइंड! तमिलनाडु से जुड़े मामले के तार

बिहार की बेतिया जेल में बंद इजहारुल ने खुलासा किया है कि वह बिहार के एक साथी के इशारे पर ISI से मिली रकम ट्रांसफर करवाता था. इसके बाद अब पुलिस बिहार के मास्टरमाइंड की तलाश में जुट गई है. पूछताछ में खुलासा हुआ है कि गाजियाबाद के वेल्डर रियाजुद्दीन के खाते में ISI ने 70 लाख रुपए भेजे थे.

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सांकेतिक तस्वीर
सांकेतिक तस्वीर

आतंकी घटनाओं को अंजाम देने के लिए ISI से फंडिंग लेने के मामले में उत्तर प्रदेश की एंटी टेररिज्म स्क्वाड (ATS) ने बड़ा खुलासा किया है. ISI टेरर फंडिंग केस में गिरफ्तार आरोपी रियाजुद्दीन, इजहारुल और अमृत गिल से पुलिस रिमांड में पूछताछ के दौरान एटीएस को अहम जानकारियां मिली हैं. बिहार की बेतिया जेल में बंद इजहारुल ने खुलासा किया है कि वह बिहार के एक साथी के इशारे पर ISI से मिली रकम ट्रांसफर करवाता था. इसके बाद अब पुलिस बिहार के मास्टरमाइंड की तलाश में जुट गई है.

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पूछताछ में खुलासा हुआ है कि गाजियाबाद के वेल्डर रियाजुद्दीन के खाते में ISI ने 70 लाख रुपए भेजे थे. इन पैसों को इजहारूल ने ट्रांसफर किया था. हालांकि, इजहारुल को बिहार का ही तीसरा साथी बताता था कि किसके खाते में कितनी रकम जाएगी. जांच के दौरान यह सामने आया है कि रकम ट्रांसफर करने से पहले मोबाइल पर हैंडलर का मैसेज आता था, इसके बाद ही पैसे ट्रांसफर किए जाते थे.

तमिलनाडु जा सकती है यूपी ATS

ISI से जुड़े संदिग्धों ने पूछताछ में बताया है कि तमिलनाडु के भी कई बैंक अकाउंट्स में ISI की तरफ से रकम भेजी गई है. यूपी एटीएस तमिलनाडु के इन अकाउंट होल्डर की जांच भी कर रही है. जल्द ही तमिलनाडु जाकर भी यूपी एटीएस ISI टेरर फंडिंग केस में जांच कर सकती है.

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चल रही थी बड़े हमले की प्लानिंग

बता दें कि केनरा बैंक का संदिग्ध अकाउंट गाजियाबाद के रहने वाले रियाजुद्दीन के नाम से खुला था. जबकि, बिहार के पश्चिमी चंपारण के रहने वाले इजहारुल हुसैन का मोबाइल नंबर इस बैंक अकाउंट में लिंक था. पाकिस्तान में बैठे हैंडलर के जरिए रियाजुद्दीन और इजहारुल हुसैन बड़े हमले की प्लानिंग के लिए फंडिंग कर रहे थे.

कई बैंक खातों में ट्रांसफर हुए पैसे

बिहार का रहने वाला इजहारुल हुसैन कॉलिंग ऐप के जरिए पाकिस्तानी एजेंट के सीधे संपर्क में था. सुरक्षा संस्थानों के साथ-साथ प्रतिष्ठानों और भारतीय सेना की जासूसी के नेटवर्क में फंडिंग कर रहे थे. खाते में आई रकम को कई अन्य बैंक खातों में ट्रांसफर किया गया. 

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