Vinay Srivastava Murder Case: लखनऊ में केंद्रीय राज्य मंत्री कौशल किशोर (Kaushal Kishore) के घर में हुए मर्डर के मामले में एक और खुलासा हुआ है. फॉरेंसिक टीम को मंत्री के बेटे विकास किशोर की पिस्टल पर हत्या करने वाले अंकित वर्मा के फिंगर प्रिंट के अलावा एक और व्यक्ति के फिंगर प्रिंट मिले हैं.
पुलिस ने घटनास्थल से पिस्टल को बरामद कर जांच के लिए फॉरेंसिक लैब भेजा था, साथ ही आरोपियों के फिंगर प्रिंट भी लिए थे. जांच में एक फिंगर प्रिंट आरोपी अंकित का होने की पुष्टि हुई है, जबकि दूसरे की जांच हो रही है. आशंका है कि दूसरा फिंगर प्रिंट आरोपी अजय रावत का है.
इस बीच विकास किशोर (Vikas Kishore) का शस्त्र लाइसेंस निलंबित कर दिया गया है. पुलिस ने इससे पहले विकास के खिलाफ आर्म्स एक्ट की धारा 30 के तहत केस दर्ज किया था. साथ ही पूछताछ के लिए थाने बुलाया था, जहां उससे करीब डेढ़ घंटे सवाल जवाब हुए थे. इस दौरान विकास ने खुद को बेकसूर बताया था.
फिलहाल, पुलिस की जांच जारी है. पता लगाने की कोशिश हो रही है कि विनय श्रीवास्तव के मर्डर में प्रयोग की गई पिस्टल किसने अंकित को दी थी? आखिर अंकित के अलावा पिस्टल पर और किसके उंगलियों के निशान हैं?
एडीसीपी पश्चिमी जोन चिरंजीवी नाथ सिंह ने बताया कि फॉरेंसिक टीम ने फिंगरप्रिंट लिए हैं जिसपर एक और निशान मिला है. जांच के बाद बहुत सी चीज क्लियर हो जाएंगी. साक्ष्य के आधार पर हम अपनी कार्रवाई को आगे बढ़ा रहे हैं.
विनय हत्याकांड की CBI जांच की मांग
विनय श्रीवास्तव हत्याकांड का मामला तूल पकड़ता जा रहा है. बीते दिन सपा के प्रतिनिधिमंडल ने मृतक के परिवार से मुलाकात की और पीड़ित परिवार के लिए सरकार से मुआवजा की मांग की.
उधर, कायस्थ महासभा ने भी प्रेसवार्ता कर पुलिस के खुलासे पर असंतुष्टि जाहिर करते हुए मामले की CBI जांच की मांग की. संगठन के अध्यक्ष ने कहा कि पीड़ित परिवार को सरकार एक करोड़ रुपये मुआवजा और एक सदस्य को सरकारी नौकरी दे.
गौरतलब है कि पुलिस विनय हत्याकांड का खुलासा कर चुकी है. तीन आरोपी जेल में बंद हैं. मंत्री के बेटे से पूछताछ हो रही है. लेकिन इस खुलासे के इतर मृतक का परिवार कई आरोप लगा रहा है. वो विकास किशोर पर साजिश का इल्जाम लगा रहा है. हत्याकांड की जो कहानी पुलिस ने बताई वो उनके गले नहीं उतर रही है.
दरअसल, 1 सितंबर को पुलिस ने खुलासा किया था कि जुए के विवाद में विनय के दोस्त अंकित वर्मा, अजय रावत और शमीम ने घटना को अंजाम दिया था. तीनों को ही जेल भेज दिया था. मगर बाद में मंत्री आवास पर लगे CCTV के कुछ फुटेज सामने आए, जो पुलिस की कहानी पर सवाल खड़े करने लगे.