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महाकुंभ 2025: प्रयागराज में संगम नोज के बाद झूसी में भी मची थी भगदड़

गंगा नदी के उत्तरी तट पर स्थित झूसी से संगम तक पहुंचा जा सकता है, जो गंगा-यमुना और सरस्वती का संगम स्थल है. संगम नोज के पास हुई भगदड़ के कुछ घंटों बाद यहीं पर भगदड़ हुई थी. प्रयागराज के रहने वाले हर्षित ने द लल्लनटॉप को बताया कि भीड़ इतनी ज़्यादा थी कि वह पूरी तरह से नियंत्रण से बाहर हो गई थी.

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महाकुंभ में श्रद्धालुओं का रेला उमड़ रहा है
महाकुंभ में श्रद्धालुओं का रेला उमड़ रहा है

प्रयागराज के महाकुंभ में बुधवार को संगम नोज के पास हुई भगड़द में 30 लोगों की मौत हो गई, जबकि 60 लोग घायल हो गए हैं. इस हादसे के कुछ घंटे बाद ही भगदड़ की एक और घटना घटी. दूसरा हादसा संगम नोज से महज 2 किलोमीटर की दूरी पर झूसी में हुआ. इस घटना में स्थानीय निवासी और प्रत्यक्षदर्शी जनहानि का दावा कर रहे हैं, हालांकि पुलिस और अधिकारियों की ओर से इसकी पुष्टि नहीं की गई है. 

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झूसी की भगदड़ की बात ज्यादा नहीं की गई, क्योंकि इसके पीछे तर्क दिया गया कि प्रशासन की प्राथमिकता महाकुंभ में जुटे करोड़ों श्रद्धालुओं की सुरक्षा थी. और ऐसी कोई भी खबर महाकुंभ में दहशत फैलाकर हालात खराब कर सकती थी. बता दें कि झूसी में भगदड़ सुबह 5.55 बजे के आसपास हुई थी. 

द लल्लनटॉप के अभिनव पांडे और मोहन कन्नौजिया झूसी में भगदड़ वाली जगह पर पहुंचे तो कपड़ों, जूतों और बोतलों के ढेर को ट्रैक्टरों द्वारा वहां से हटाया जा रहा था. वहां मौजूद कई प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि यहां भी कई लोग भगदड़ की चपेट में आए.

झूसी के हल्दीराम कियोस्क की नेहा ओझा ने बताया कि भगदड़ के समय वहां पुलिस की ओर से कोई नहीं दिखा. बाद में पहुंची पुलिस लोगों को वीडियो बनाने से रोक रही थी. हल्दीराम कियोस्क के एक अन्य प्रत्यक्षदर्शी ने बताया कि उसने कई लोगों को भीड़ द्वारा कुचलते हुए देखा. उसने कहा कि वहां कोई नहीं था, कोई मदद करने वाला नहीं था.

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'लोगों ने बैरिकेड्स तोड़ना शुरू कर दिए'

गंगा नदी के उत्तरी तट पर स्थित झूसी से संगम तक पहुंचा जा सकता है, जो गंगा-यमुना और सरस्वती का संगम स्थल है. संगम नोज के पास हुई भगदड़ के कुछ घंटों बाद यहीं पर भगदड़ हुई थी. प्रयागराज के रहने वाले हर्षित ने द लल्लनटॉप को बताया कि भीड़ इतनी ज़्यादा थी कि वह पूरी तरह से नियंत्रण से बाहर हो गई थी. लोगों ने बैरिकेड्स तोड़ना शुरू कर दिया था और आगे बढ़ने लगे. उन्होंने कहा कि कई श्रद्धालु पहले से ही चारों ओर सो रहे थे. सड़कें ब्लॉक थीं और पैदल चलने के लिए भी जगह नहीं थी. इस दौरान कई लोगों के लैपटॉप और फोन चोरी हो गए. 

'घटनास्थल तक एंबुलेंस नहीं पहुंच सकती थी'

एक अन्य प्रत्यक्षदर्शी ने कहा कि झूसी में भगदड़ मची, तब वहां कोई रिपोर्टर मौजूद नहीं था. इसलिए मुद्दा उतना नहीं उठा. लोगों को भगदड़ के बारे में केवल संगम पर पता चला. बुधवार आधी रात को झूसी में हुई भगदड़ की घटना की रिपोर्टिंग करने वाले अभिनव पांडे और मोहन कन्नौजिया करीब 18 घंटे बाद घटनास्थल पर पहुंचे, लेकिन फिर भी वहां त्रासदी के निशान थे. झूसी में मची भगदड़ के एक और चश्मदीद मेन बहादुर सिंह ने द लल्लनटॉप को बताया कि इस तरफ (झूसी) एंबुलेंस के पहुंचने की कोई संभावना नहीं थी. एंबुलेंस सेवा सिर्फ गंगा पार से ही उपलब्ध हो सकती थी.

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'बैरियर के गिरते ही भीड़ बेकाबू हो गई'

वहां मौजूद एक साधु ने द लल्लनटॉप से कहा कि एक बस आकर यहां रुकी. करीब 15-20 युवक बस से उतरे और जानबूझकर अराजकता फैलाई, जिससे भगदड़ मच गई. उन्होंने बैरियर तोड़ दिया और धक्का-मुक्की शुरू कर दी. बैरियर के गिरते ही भीड़ बेकाबू हो गई और लोग एक-दूसरे को कुचलने लगे. उन्होंने कहा कि यह कुंभ को बदनाम करने की साजिश है. झूसी स्थल पर मलबा साफ कर रहे एक व्यक्ति ने बताया कि वे शाम 6 बजे से काम पर लगे थे. साइट को साफ करने में 6 घंटे से अधिक समय लगा और कई चक्कर ट्रैक्टरों के लगाने पड़े.

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