महाकुंभ में पवित्र डुबकी लगाने के लिए करोड़ों श्रद्धालु प्रयागराज पहुंच रहे हैं. इसी क्रम में आज 77 देशों के भारत स्थित राजनयिक महाकुंभ में डुबकी लगाने के लिए पहुंचे हैं. जानकारी के मुताबिक 118 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल प्रयागराज पहुंचा. इसमें कई देशों के राजयिकों के साथ ही उनका परिवार भी शामिल है.
महाकुंभ में डुबकी लगाने वाले 77 देशों में रूस, मलेशिया, बोलीविया, जिम्बाब्वे, लातविया, उरुग्वे, नीदरलैंड, मंगोलिया, इटली, जापान, जर्मनी, जमैका, अमेरिका, स्विट्जरलैंड, स्वीडन, पोलैंड, कैमरून, यूक्रेन, स्लोवेनिया और अर्जेंटीना जैसे देशों के राजनयिक शामिल हैं. यूपी सरकार ने एक बयान में कहा कि राजनयिकों ने यात्रा के लिए किए गए प्रबंधों पर खुशी जताई.
भारत के साथ अपने लंबे जुड़ाव को याद करते हुए भारत में लिथुआनिया गणराज्य की राजदूत डायना मिकेविसिएन ने कहा कि मैं हमेशा यहां आना चाहती थी, लेकिन मुझे कभी किसी कुंभ में जाने का अवसर नहीं मिला. आज इस विशेष और शुभ महाकुंभ का समय है और यह मेरा सौभाग्य है कि मैं भारत में हूं. उन्होंने कहा कि यह दृश्य मेरी आंखों और आत्मा के लिए सुखद है. मैं यहां पवित्र स्नान करूंगी.
भारत में जापानी राजदूत केइची ओनो ने उनकी यात्रा के लिए किए गए प्रबंधों की सराहना की. बयान में ओनो के हवाले से कहा गया कि मुझे बहुत खुशी है कि राज्य सरकार और विदेश मंत्रालय ने राजनयिकों के लिए इस यात्रा की व्यवस्था की है. महाकुंभ मेला एक बहुत ही खास आयोजन है, खासकर इस साल. मैं हिंदू संस्कृति को समझने के लिए उत्सुक हूं.
भारत में अर्जेंटीना के राजदूत मारियानो कॉसिनो ने कहा कि मुझे इस महत्वपूर्ण समारोह में भाग लेने की खुशी है. मुझे इस बात की भी खुशी है कि मैं यहां की परंपराओं का पालन करूंगा.
वहीं, महाकुंभ में संतों की बैठक को संबोधित करते हुए सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि मौनी अमावस्या के दिन अमृत स्नान के दौरान यहां एक दुखद घटना घटी. मैं संतों और ऋषियों की सराहना करता हूं कि उन्होंने कठिन परिस्थितियों में भी किस तरह संयम से काम लिया. हम सभी के सामने चुनौती थी, क्योंकि कुछ पुण्यात्माएं दुर्घटना का शिकार हो गईं, लेकिन संतों ने ठीक उसी तरह काम किया, जैसे परिवार के बुजुर्ग तब करते हैं, जब उनका परिवार किसी समस्या से जूझता है.
सीएम योगी ने कहा कि परिवार के बुजुर्ग तब भी धैर्य रखते हैं, जब उनके परिवार को किसी चुनौती का सामना करना पड़ता है. इसके बजाय, बुजुर्ग चुनौती से निपटते हैं और सुनिश्चित करते हैं कि समस्या का समाधान हो. आपने देखा होगा कि सनातन धर्म के कुछ विरोधी संतों के धैर्य की परीक्षा लेने की कोशिश कर रहे थे, ताकि यह मुद्दा (मौनी अमावस्या के अमृत स्नान से पहले भगदड़) वैश्विक शर्मिंदगी का विषय बन जाए.