रूस और यूक्रेन के राजदूतों समेत 73 देशों के राजनयिक पहली बार महाकुंभ के दौरान संगम में डुबकी लगाने प्रयागराज आ रहे हैं. मेला अधिकारी विजय किरण आनंद ने पुष्टि की है कि राजनयिक एक फरवरी को आ रहे हैं. पीटीआई के मुताबिक विदेश मंत्रालय ने इस संबंध में उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव को पत्र भी लिखा है, जिसमें कहा गया है कि जापान, अमेरिका, रूस, यूक्रेन, जर्मनी, नीदरलैंड, कैमरून, कनाडा, स्विट्जरलैंड, स्वीडन, पोलैंड और बोलीविया समेत कई देशों के राजनयिक महाकुंभ में शामिल होंगे.
पत्र के अनुसार, ये सभी विदेशी राजनयिक नाव के जरिए संगम नोज पहुंचेंगे और पवित्र संगम में डुबकी लगाएंगे. इसके बाद वे अक्षयवट और बड़े हनुमान मंदिर जाएंगे, जिसके बाद वे डिजिटल महाकुंभ एक्सपीरियंस सेंटर में महाकुंभ को समझेंगे. विदेश मंत्रालय और गृह मंत्रालय के अधिकारी राजनयिकों के लिए सहज अनुभव सुनिश्चित करने की तैयारियों में व्यस्त हैं.
26 फरवरी तक चलेगा कुंभ
बता दें कि महाकुंभ 2025 (Mahakumbh 2025) का आयोजन प्रयागराज में 13 जनवरी से 26 फरवरी तक होगा. इस महाकुंभ के दौरान कुल छह शाही स्नान हैं. महाकुंभ दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक मेला है. 30-45 दिन तक चलने वाला महाकुंभ हिंदुओं के लिए काफी मायने रखता है. महाकुंभ 144 साल बाद फिर से आयोजित हो रहा है. माना जा रहा है कि इस महाकुंभ में देश-विदेश के 40 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालु शामिल होंगे. कुछ साल पहले हरिद्वार में कुंभ मेला लगा था. उससे पहले भी अर्द्ध कुंभ हुआ था. महाकुंभ, कुंभ और अर्द्ध कुंभ सभी अलग-अलग हैं.
महाकुंभ के पीछे है पौराणिक कथा
महाकुंभ के पीछे एक पौराणिक कथा है. देवताओं और असुरों ने मिलकर समुद्र मंथन से अमृत निकला. अमृत के लिए राक्षसों और देवताओं के बीच 12 दिनों तक लड़ाई चली. कहा जाता है कि देवताओं और राक्षसों की ये लड़ाई मनुष्यों के 12 साल के बराबर थी. यही वजह है कि हर 12 साल में एक बार कुंभ का आयोजन होता है. अमृत को राक्षसों से बचाने के लिए भगवान विष्णु ने इसका पात्र गरुड़ को दे दिया. इस दौरान अमृत की कुछ बूंदें धरती पर प्रयागराज, नासिक, हरिद्वार और उज्जैन में गिर गईं. यही वजह है कि इन चार जगहों पर भी कुंभ का आयोजन होता है.