scorecardresearch
 

ऑफिस खोला, 18 लोगों को दी नौकरी, 3200 करोड़ का टेंडर और 18 लाख की डीडी... GAIL का अधिकारी बन कर ठगी करता रहा बर्खास्त लेखपाल

यूपी के शाहजहांपुर में गेल इंडिया का फर्जी दफ्तर खोलकर लोगों से ठगी करने का मामला सामने आया है. लेखपाल के पद से बर्खास्त किए जाने के बाद आरोपी ने नकली ऑफिस खोलकर गैस पाइप लाइन बिछाने का 3200 करोड़ रुपये का ठेका जारी कर दिया और इसमें ठेकेदार को 9 करोड़ रुपये दस्तावेज के नाम पर जमा कराने का निर्देश भी दे दिया. इतना ही नहीं 18 लाख रुपये की डीडी भी ले ली गई. शक होने पर ठेकेदार ने उसकी शिकायत कर दी जिसके बाद आरोपी की पोल खुल गई.

Advertisement
X
गेल इंडिया का फर्जी दफ्तर खोलकर लगाया चूना
गेल इंडिया का फर्जी दफ्तर खोलकर लगाया चूना

यूपी के शाहजहांपुर में फर्जीवाड़े का एक ऐसा मामला सामने आया है जो आपको हैरान कर देगा. सरकारी दफ्तर से बर्खास्त एक पूर्व लेखपाल ने खुद को गैस अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (गेल) का अधिकारी बताकर लोगों को धोखा दिया और फर्जी टेंडर निकाल दिया.

Advertisement

पुलिस ने बताया कि खुद को गैस अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (गेल) का अधिकारी बताकर लोगों को धोखा देने और फर्जी टेंडर निकालने के आरोप में बर्खास्त सरकारी अकाउंटेंट रामनरेश शुक्ला को गिरफ्तार किया गया है.

ठेकेदार को शक होने पर पकड़ा गया पूर्व लेखपाल रामनरेश

एसपी अशोक कुमार मीणा ने कहा कि उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले के शाहाबाद कस्बे में रहने वाले रामनरेश शुक्ला ने निगोही में एक फर्जी कार्यालय खोला था. रिपोर्ट के मुताबिक आरोपी रामनरेश ने हर महीने 40 हजार रुपये में दफ्तर किराये पर लिया था. उसने 18 कर्मचारियों को 22 हजार से 30 हजार रुपये सैलरी की नौकरी पर काम पर रखा था. दफ्तर में सुरक्षा का भी कड़ा इंतजाम था. चायवाले को भी इस फर्जी दफ्तर के बाहर ही सुरक्षाकर्मियों द्वारा रोक कर वापस भेज दिया जाता था.

Advertisement

अधिकारी ने कहा कि भूमि पंजीकरण में धोखाधड़ी के आरोप में उसे साल 2012 में लेखपाल के पद से बर्खास्त कर दिया गया था.

जारी कर दिया 3200 करोड़ का ठेका

एसपी ने कहा कि आरोपी ने खुद को केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम (पीएसयू) गेल का अधिकारी बताते हुए उसने अपने कार्यालय से रसोई गैस पाइपलाइन बिछाने के लिए फर्जी टेंडर जारी किया था. इसके अलावा, यह भी पाया गया कि उसने गेल में नौकरी दिलाने के बदले अपने कार्यालय में काम करने वाले लोगों से लाखों रुपये लिए थे, मीणा ने कहा कि उनसे पाइपलाइन बिछाने के लिए सर्वेक्षण भी कराया गया था.

एसपी ने कहा कि यह मामला तब सामने आया जब कुछ ठेकेदारों ने निगोही पुलिस स्टेशन में शुक्ला द्वारा जारी किए गए 3,200 करोड़ रुपये के टेंडर के बारे में सूचना दी और उनसे 3 लाख रुपये का पंजीकरण शुल्क और 9 करोड़ रुपये जमा करने के लिए कहा गया. इसमें से 18 लाख रुपये का उसने डीडी भी ले लिया था.

मीणा ने कहा, वो टेंडर के लिए शुक्ला के कार्यालय गए थे और उन्हें उनकी गतिविधियों पर संदेह हुआ. एसपी ने कहा कि जब पूछताछ की गई, तो शुक्ला ने अपना जुर्म स्वीकार किया और यह भी कहा कि 6 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के मामले में बर्खास्त होने के बाद वह हरदोई जिले की जेल में था. उस समय उसने ददरौल विधायक राममूर्ति वर्मा से ठगी की थी.

Advertisement


 

Live TV

Advertisement
Advertisement