
देश लोकसभा चुनाव की ओर बढ़ रहा है. मौसम सर्दी का है लेकिन सियासी मौसम में गर्माहट है. संसद के चालू शीतकालीन सत्र से थोक में विपक्षी सांसदों के निलंबन के विरोध में विपक्ष ने मोर्चा खोल रखा है तो वहीं उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ की मिमिक्री को लेकर सत्तापक्ष ने हल्ला बोल रखा है. इन हलचलों के बीच विपक्षी इंडिया गठबंधन की भी दिल्ली में बैठक हुई.
दिल्ली में हुई इंडिया गठबंधन की इस बैठक में भी मायावती और उनके नेतृत्व वाली बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की बात हुई. बसपा से गठबंधन को लेकर बातचीत के मसले पर अखिलेश यादव ने कांग्रेस से तल्ख सवाल किए तो वहीं राहुल गांधी ने भी पार्टी का स्टैंड क्लियर किया. इन सबके बीच गुरुवार को मायावती ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की तो ये उम्मीद थी कि वह शायद गठबंधन को लेकर अपना, अपनी पार्टी का स्टैंड क्लियर कर दें, कुछ बड़ा ऐलान कर दें. लेकिन ऐसा हुआ नहीं.
एनडीए-इंडिया, दोनों के बीच बनाए रखा संतुलन
मायावती के संबोधन में एनडीए और इंडिया, दोनों को लेकर बैलेंस साफ नजर आया. मायावती ने कहा कि संसद के चालू शीतकालीन सत्र के दौरान करीब डेढ़ सौ सांसदों का निलंबन संसदीय इतिहास के लिए दुर्भाग्यपूर्ण और जनता के विश्वास को आघात पहुंचाने वाला है. उन्होंने ये भी कहा कि विपक्ष विहीन संसद से विधेयक पारित कराया जाना भी अच्छी परंपरा नहीं है. मायावती ने बसपा को धर्म निरपेक्ष, सभी धर्मों के उपासना स्थलों का सम्मान करने वाला बताया और कहा कि अयोध्या में बन रहे राम मंदिर या मस्जिद से हमें कोई ऐतराज नहीं है. सरकार से दूरी बताते मायावती के ये बयान बीजेपी का करीबी होने के टैग से निजात की कोशिश माने जा रहे हैं. वहीं, मायावती कुछ मुद्दों पर विपक्ष से भी दूरी बनाती नजर आईं.
मायावती ने विपक्ष को संसदीय परंपराओं का पाठ पढ़ाते हुए कहा कि इन्हें बचाने की जिम्मेदारी सभी की है.उन्होंने संसद की सुरक्षा में सेंध को बहुत गंभीर और चिंतनीय बताया, लेकिन ये भी जोड़ा कि आरोप-प्रत्यारोप से काम नहीं चलेगा. मायावती ने विपक्ष को ये नसीहत भी दी कि इसे सभी को गंभीरता से लेना चाहिए और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए. ऐसा तब है, जब कांग्रेस के सबसे बड़े नेताओं में से एक राहुल गांधी संसद की सुरक्षा में सेंध को महंगाई, बेरोजगारी जैसी समस्याओं से जोड़ चुके हैं. उन्होंने उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ की मिमिक्री को भी अनुचित बताया.
बसपा प्रमुख ने इंडिया गठबंधन पर बोलते हुए सपा को दी नसीहत
बसपा प्रमुख मायावती ने INDIA गठबंधन की मीटिंग को लेकर कहा कि जो भी विपक्षियां पार्टियां इस गठबंधन में नहीं हैं, उन पार्टियों को लेकर किसी को भी फिजूल की टीका-टिप्पणी नहीं करनी चाहिए. उन्होंने इंडिया गठबंधन को दूसरी विपक्षी पार्टियों को लेकर टीका-टिप्पणी से बचने की नसीहत दी. बसपा प्रमुख ने ये भी कहा कि मेरी सलाह है कि इन लोगों (इंडिया गठबंधन) को इससे बचना चाहिए. क्योंकि भविष्य में देश हित में कब किसको किसकी जरुरत पड़ जाए, कुछ कहा नहीं जा सकता. फिर ऐसे लोगों और ऐसी पार्टियों को शर्मिंदगी उठानी पड़ती है. खास तौर पर सपा इसका उदाहरण है.
क्या इंडिया गठबंधन के लिए मायावती ने खिड़की खुली रखी है?
मायावती का ये कहना कि कब किसको किसकी जरूरत पड़ जाए और सपा को दी गई नसीहत के सियासी मायने भी तलाशे जाने लगे हैं. इसे मायावती की ओर से गठबंधन को लेकर खिड़की खुली रखने के संकेत की तरह देखा जा रहा है. ऐसा इसलिए भी है क्योंकि दो दिन पहले ही इंडिया गठबंधन की बैठक हुई थी. दिल्ली में हुई इस बैठक में अखिलेश यादव ने बसपा से गठबंधन को लेकर बातचीत पर कांग्रेस से स्टैंड क्लियर करने की मांग की थी. सपा प्रमुख ने तल्ख अंदाज में ये भी कहा था कि फिर सपा को भी फैसला लेना पड़ेगा.
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तब कांग्रेस ने ये साफ किया था कि हम यूपी में सपा के साथ गठबंधन में ही जा रहे हैं. लेकिन विपक्षी गठबंधन का जो मोटो है- एक सीट पर बीजेपी-एनडीए के खिलाफ विपक्ष से एक उम्मीदवार. बसपा के बिना वह कैसे पूरा होगा? कांग्रेस में नेताओं की एक लॉबी और दूसरे दलों के कुछ नेता भी समय-समय पर बसपा की इंडिया गठबंधन में एंट्री के पक्ष में नजर आए हैं. बसपा बार-बार यह जरूर कहती रही है कि हम 2024 का चुनाव अकेले लड़ेंगे, लेकिन साथ ही ये भी कि- विपक्ष में चल रही हलचलों पर हमारी नजर है.
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अब मायावती कुछ मुद्दों पर विपक्ष के साथ नजर आईं तो साथ ही नसीहतें भी दीं और ये संदेश भी कि भविष्य में कब किसको किसकी जरूरत पड़ जाए. अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में मायावती ने बहुत कुछ कह दिया लेकिन गठबंधन को लेकर अपने पत्ते नहीं खोले.