रामचरितमानस को लेकर यूपी से बिहार तक घमासान जारी है. इन सबके बीच बसपा चीफ मायावती ने संविधान को कमजोर और उपेक्षित वर्ग के लोगों का ग्रंथ बताया. इतना ही नहीं उन्होंने इस विवाद को लेकर सपा प्रमुख अखिलेश यादव पर भी निशाना साधा है. मायावती ने कहा कि सपा कमजोर और उपेक्षित वर्गों को शूद्र कहकर उनका अपमान न करें.
दरअसल, रामचरितमानस में एक चौपाई है, ''प्रभु भल कीन्ह मोहि सिख दीन्हीं। मरजादा पुनि तुम्हरी कीन्हीं॥ ढोल गंवार सूद्र पसु नारी। सकल ताड़ना के अधिकारी॥'' इसे लेकर यूपी से बिहार तक की राजनीति में घमासान मचा है. यहां तक कि बिहार के शिक्षा मंत्री प्रो चंद्रशेखर ने रामचरितमानस को नफरत बोने वाला ग्रंथ बताया था. तो वहीं सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने रामचरितमानस को बकवास बताते हुए सरकार से उसे बैन करने की मांग की थी.
मायावती ने क्या कहा?
मायावती ने ट्वीट कर कहा कि देश में कमजोर व उपेक्षित वर्गों का रामचरितमानस व मनुस्मृति आदि ग्रंथ नहीं बल्कि भारतीय संविधान है. इसमें बाबा भीमराव अंबेडकर ने इन वर्गों को शूद्रों की नहीं बल्कि एससी, एसटी व ओबीसी की संज्ञा दी है. ऐसे में सपा इन्हें शूद्र कहकर अपमानित न करे और न ही संविधान की अवहेलना करे.
मायावती ने लिखा, ''सपा प्रमुख (अखिलेश यादव) द्वारा इन वर्गों की वकालत करने से पहले उन्हें लखनऊ स्टेट गेस्ट हाउस में हुई 2 जून 1995 की घटना को याद कर अपने गिरेबान में झांककर देखना चाहिए. तब सीएम बनने जा रही एक दलित की बेटी पर सपा सरकार में जानलेवा हमला कराया गया था.''
क्या है पूरा मामला?
बिहार के शिक्षा मंत्री प्रो. चंद्रशेखर ने पिछले दिनों नालंदा ओपन यूनिवर्सिटी के 15वें दीक्षांत समारोह के दौरान रामचरितमानस पर विवादित टिप्पणी की थी. उन्होंने इसे नफरत को बोने वाला और देश को बांटने वाला ग्रंथ बताया था. इन सबके बीच उत्तर प्रदेश में सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने रामचरितमानस को बकवास बताते हुए सरकार से उसे बैन करने की मांग की है. उन्होंने कहा कि रामचरितमानस में दलितों और महिलाओं का अपमान किया गया है. उन्होंने कहा कि इसमें कुछ अंश ऐसे हैं, जिनपर हमें आपत्ति है. क्योंकि किसी भी धर्म में किसी को भी गाली देने का कोई अधिकार नहीं है.
स्वामी प्रसाद मौर्य के समर्थन में यूपी में कई जगहों पर रामचरितमानस की प्रतियां जलाने की घटनाएं सामने आई थीं. इसके बाद कई जगह पर स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ केस भी दर्ज हुआ है. इसे लेकर बीजेपी लगातार सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और स्वामी प्रसाद मौर्य पर निशाना साध रही है.
अखिलेश ने खुद को बताया शूद्र
रामचरितमानस को लेकर जारी विवाद के बीच अखिलेश यादव ने खुद को शूद्र बताया था. उन्होंने कहा था कि बीजेपी के लोग हम सबको शूद्र मानते हैं. हम उनकी नजर में शूद्र से ज्यादा कुछ भी नहीं है. अखिलेश ने कहा कि बीजेपी को यह तकलीफ है कि हम संत-महात्माओं से आशीर्वाद लेने क्यों जा रहे हैं.
दरअसल, अखिलेश यादव लखनऊ में गोमती नदी के किनारे मां पीतांबरा मंदिर में चल रहे मां पीतांबरा 108 महायज्ञ में शामिल होने पहुंचे थे. इस दौरान अखिलेश यादव का हिंदू महासभा, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के साथ ही हिंदू संगठनों के कार्यकर्ताओं ने विरोध किया और जमकर नारेबाजी की. साथ ही अखिलेश को काले झंडे भी दिखाए. इतना ही नहीं अखिलेश के इस बयान के बाद सपा दफ्तर में होर्डिंग लगाए गए थे, इनमें लिखा था, ''गर्व से कहो, हम शूद्र हैं.''