मेदांता लिवर ट्रांसप्लांट इंस्टीट्यूट के चेयरमैन डॉ. अरविंदर सिंह सोइन ने सोशल मीडिया पर एक कहानी शेयर की है. यह मथुरा के रियल हीरो की कहानी है, जिसने समय पर ट्रेन में दवाएं पहुंचाकर न सिर्फ एक मरीज की जान बचाई. बल्कि इस काम के बदले दिए जाने वाले अतिरिक्त पैसों को भी बड़ी विनम्रता से लेने से इनकार कर दिया.
इस घटना का डॉक्टर अरविंद के दिल पर गहरा असर पड़ा है. उन्होंने लिखा, “भारत जैसी कोई जगह नहीं, भारतीय होने का एहसास बिल्कुल अलग है.” उन्होंने बताया कि फॉर्मेसी दुकान के मालिक प्रेमवीर सिंह न सिर्फ मथुरा के हीरो हैं. बल्कि उनकी नेकी के वह कायल हो गए हैं.
ट्रेन में मरीज को चाहिए थी दवा, दौड़कर पहुचे थे प्रेमवीर
घटना नवंबर के आखिरी सप्ताह की है. डॉक्टर अरविंदर सिंह सोइन अमेरिका से आए अपने दोस्त के साथ रणथंभौर जा रहे थे. इस दौरान दोस्त के 25 साल के बेटे की तबीयत बिगड़ गई थी. ट्रेन का दिल्ली के सफर में मथुरा के अलावा और कोई स्टॉप नहीं था.
डॉक्टर अरविंद ने गूगल पर सर्च करके मथुरा की कुछ दवा की दुकानों से संपर्क किया. इसी दौरान उनकी बात मथुरा के प्रेमवीर सिंह से हुई. वह उम्मीद कर रहे थे कि किसी तरह दवाइयां मिल जाएं. ट्रेन आधे घंटे में स्टेशन पर पहुंचना था और महज दो मिनट ही वहां रुकना था. लिहाजा, उन्हें संदेह भी था कि प्रेमवीर समय पर पहुंचेंगे और उन्हें दवाइयां देंगे.
ट्रेन के मथुरा स्टेशन पहुंचते ही वह देखते हैं कि उनकी बोगी की तरफ प्रेमवीर भागते हुए आ रहे हैं. और उन्हें दवा दे देते हैं. अरविंदर प्रभावित हुए बिना नहीं रह पाता है और उसे उसकी कड़ी मेहनत और स्टेशन तक आने के लिए खर्च हुए पेट्रोल के बदले में कुछ और पैसे देने की पेशकश करते हैं.
प्रेमवीर ने एक्स्ट्रा पैसे लेने से किया इनकार
मगर, प्रेमवीर ने बड़ी विनम्रता से उसे लेने से मना कर दिया. कहा कि मैं इसे नहीं ले सकता, उम्मीद करता हूं कि आपका दोस्त जल्दी ठीक हो जाए. इस घटना से प्रभावित होकर डॉक्टर अरविंद ने ट्विटर पर घटना को शेयर करते हुए प्रेमवीर की फोटो भी डाली.
उन्होंने लिखा, “जिस तरह से प्रेमवीर ट्रेन में हम लोगों तक दवा पहुंचाने के लिए दौड़े, हम एक ही बात कह सकते हैं. भारत जैसी कोई जगह नहीं, भारतीय होने का एहसास बिल्कुल अलग है.' वहीं, इस मामले में प्रेमवीर सिंह का कहना है कि यह मेरा सौभाग्य है कि मैं समय पर पहुंच सका और एक यात्री की मदद कर सका.