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कोच बदरुद्दीन ने मोहम्मद शमी को लेकर खोले कई राज, बोले- उसे बॉलिंग करने से रोकना पड़ता था

मोहम्मद शमी के कोच बदरुद्दीन ने बताया कि साल 2002 में शमी के पिता उन्हें सोनकपुर स्टेडियम लाए थे. उस वक्त पिता ने कहा था कि इसने अमरोहा में अपनी गेंदबाजी से तहलका मचा रखा है. इसके बाद मैंने शमी को वार्मअप कराया और लगभग 30 मिनट तक उसे गेंदबाजी करवाई. शमी ने जो पहले मिनट में गेंद फेंकी और 30वें मिनट में जो गेंद फेंकी थी उसमें कोई अंतर नहीं था.

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मोहम्मद शमी अपने कोच बदरुद्दीन के साथ (फोटो-आजतक)
मोहम्मद शमी अपने कोच बदरुद्दीन के साथ (फोटो-आजतक)

ICC World Cup 2023: मुंबई के वानखेडे स्टेडियम में मोहम्मद शमी ने वो काम किया, जिसे क्रिकेट प्रेमी कभी नहीं भूल पाएंगे. एक तरफ वानखेडे की बेजान पिच पर बल्लेबाज चौके-छक्के लगा रहे थे और 398 रन का स्कोर छोटा दिखाई दे रहा था, लेकिन शमी के इरादे तो कुछ और ही थे. वर्ल्ड कप के पहले सेमीफाइनल मुकाबले में तेज गेंदबाज मोहम्मद शमी ने न्यूजीलैंड के खिलाफ 7 विकेट झटककर टीम इंडिया को फाइनल में पहुंचा दिया. उनसे ऐसे दमदार प्रदर्शन की उम्मीद शायद ही किसी क्रिकेट प्रेमी को रही होगी. शमी के इस बेहतरीन प्रदर्शन की तारीफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने एक्स हैंडल पर भी की. 

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अमरोहा के दूरदराज गांव से आने वाले तेज गेंदबाज मोहम्मद शमी वर्ल्ड कप में अपनी रफ्तार और धारदार गेंदबाजी से कहर बरपा रहे हैं. इस वर्ल्ड कप में शमी अबतक 23 विकेट झटक कर चुके हैं. शमी के शानदार प्रदर्शन के पीछे उनके कोच इस प्रदर्शन में बदरुद्दीन का अहम रोल रहा है. मोहम्मद शमी 13,14 साल की उम्र से ही अमरोहा से करीब 25 किलोमीटर दूर मुरादाबाद के सोनकपुर स्टेडियम कोच बदरुद्दीन के पास तेज गेंदबाजी के गुर सीखने आते थे. 

बचपन में अमरोहा में तेज गेंदबाजी से मचाया था तहलका

कोच बदरुद्दीन ने बताया कि साल 2002 में शमी के पिता उन्हें सोनकपुर स्टेडियम लाए थे. उस वक्त पिता ने कहा था कि इसने (शमी) अमरोहा में अपनी गेंदबाजी से तहलका मचा रखा है. इसके बाद मैंने शमी को वार्मअप कराया और लगभग 30 मिनट तक उससे गेंदबाजी करवाई. शमी ने पहले मिनट में जो गेंद फेंकी और 30वें मिनट में जो गेंद फेंकी थी उसमें कोई अंतर नहीं था. उसी दिन मुझे उसके जज्बे का पता चल गया था. 

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इसके बाद उसने प्रैक्टिस करनी शुरू की. जब शमी 16 साल का हुआ तो उसे अंडर 19 का ट्रायल दिया. वहां भी उसने जबरदस्त गेंदबाजी की, लेकिन लास्ट राउंड में वो बाहर हो गया और काफी उदास रहने लगा. उसकी किसी तरह से संभाला और मेहनत के लिए प्रेरित किया.

कोच बदरुद्दीन ने बताया कि शमी जून की भयंकर गर्मी में लगातार तेज गेंदबाजी करता, उसे रोकना पड़ता था कि कहीं वो बीमार न पड़ जाए. अपने इस जूनुन के चलते ही वो दुनिया का बेहतरीन गेंदबाज बन पाया. 

मोहम्मद शमी के कोच बदरुद्दीन बच्चों को क्रिकेट के गुर सिखाते हुए
मोहम्मद शमी के कोच बदरुद्दीन बच्चों को क्रिकेट के गुर सिखाते हुए

अंडर 19 टीम में सिलेक्शन न होने पर उदास हो गए थे शमी

वर्ल्ड कप के शुरुआत मुकाबलों में शमी को मौके नहीं मिला. इस पर कोच बदरुद्दीन का कहना है कि प्लेइंग इलेवन चुनने में काफी चीजों का ध्यान रखना पड़ता है. हार्दिक पंड्या का चोटिल होकर वर्ल्ड कप से बाहर हो जाना टीम इंडिया बड़ा सेटबैक था. लेकिन शमी के इस प्रदर्शन ने किसी भी चीज की कमी महसूस नहीं होने दी.

पर्सनल लाइफ से पूरी तरह से उबर चुके हैं शमी

शमी ने प्रैक्टिस करके अपनी कलाई को इतना मजबूत बना लिया है, जिससे उससे गेंदबाजी करने में महारत हासिल हो गई. वह गेंद को बेहतरीन कंट्रोल के साथ स्विंग करा रहा है. मैं बच्चों को अक्सर बोलता हूं अच्छा गेंदबाज बनना है तो कलाई पर काम करना होगा. शमी की पर्सनल लाइफ में जो तूफान आया उससे वो पूरी तरह से उबर चुका है. स्ट्रांग बनकर सामने आया है. कोच बदरुद्दीन का कहना है कि हम फाइनल मुकाबले में भी शमी से जादुई स्पेल की उम्मीद कर रहे हैं.

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