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झांसी के बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के समता हॉस्टल के छात्र इन दिनों दहशत के साये में जीने को मजबूर हैं. लेकिन यह दहशत उन्हें किसी दबंग या टीचर की नहीं बल्कि बंदरों की है. जी हां, पिछले कुछ समय में इस हॉस्टल के लगभग आधा दर्जन छात्रों पर बंदर हमला कर चुके हैं. छात्रों की शिकायत पर विश्वविद्यालय द्वारा वन विभाग को पत्र लिखा जा चुका है. लेकिन अब तक बंदर न पकड़े जाने से छात्र परेशान हैं.
वहीं, बंदरों को भगाने के लिए हॉस्टल के गार्ड ने एक गुलेल रखी है. उसी के सहारे वह बंदरों पर काबू पाने का प्रयास करता रहता है. छात्रों की मानें तो वह बंदरों के डर से मेस में खाना खाने भी नहीं जा पा रहे हैं. स्थिति बहुत विकट हो चली है.
दरअसल, पूरा मामला बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के शिक्षा विभाग, इंडोर स्टेडियम और समता बॉयज हॉस्टल के आस-पास का है. जहां इन दिनों बंदरों का आतंक बना हुआ है, जिस कारण हॉस्टल में रहने वाले छात्र काफी भयभीत हैं. उन्हें हमेशा डर सताता रहता है कि ना जाने कब और कहां से बंदर उनपर हमला कर दे.
आलम यह है कि यदि वह खाने की थाली लेकर मेस जाते है तो उसे भी बंदर छीन लेते हैं. अब तक बंदर कई छात्रों पर हमला कर चुके हैं. बंदरों को भगाने के लिए छात्रों को लाठी-डंडे और सुरक्षा गार्ड को गुलेल का सहारा लेना पड़ता है. इसकी शिकायत भी की जा चुकी है लेकिन अभी तक इस समस्या का हल नहीं निकला है. कुछ छात्र तो डर के कारण शाम होते ही कमरे से बाहर ही नहीं निकलते हैं.
हॉस्टल में रहने वाले छात्र अमन गौतम और आदित्य वर्मा का कहना है यहां जो बड़े-बड़े पेड़ लगे हैं, इसीलिए बंदर यहां आकर रहने लगे हैं. पानी की टंकी होने के कारण उन्हें असानी से पानी मिल जाता है. जब भी कोई छात्र या फिर कर्मचारी बाहर निकलता है तो बंदर उसे दौड़ाकर काट लेते हैं. ऐसा नहीं है कि जब हम उनको छेड़े तब ही हमला करते हैं वह ऐसे ही अचानक हमला कर देते हैं. यदि खाने की प्लेट लेकर कोई जाता है और उसपर बंदर की नजर पड़ गई तो अटैक सुनिश्चित है.
फिलहाल, बंदरों के आतंक की जानकारी होने पर बुंदेलखंड विश्वविद्यालय प्रशासन ने वन विभाग को सूचित कर दिया है. जिसके बाद उन्हें इस समस्या से निजात दिलाने के लिए आश्वासन मिला है.
विश्वविद्यालय के निजी सचिव अनिल बोहरे ने कहा कि कुछ बंदर हैं जो हॉस्टल में आते-जाते बच्चों को परेशान कर रहे हैं. बच्चों ने शिकायत की थी, जिसके बाद हमने पत्र लिखकर वन विभाग को अवगत करा दिया है. इससे पहले भी हमने वन विभाग को सूचित किया था लेकिन वन विभाग की ओर से काई कदम नहीं उठाया गया था. अब पुनः पत्र भेजकर और फोन पर विभाग के अधिकारियों से बात की गई है. इस पर उन्होंने शीघ्र ही इस समस्या से निजात दिलाने का आश्वासन दिया है.