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मुख्तार अंसारी की मौत का मामला पहुंचा कोर्ट, जेल प्रशासन पर FIR की मांग

बाराबंकी कोर्ट में मुख्तार अंसारी के वकील ने याचिका दायर कर मांग की है कि मृत्युकालीन कथन मानकर जेल प्रशासन पर मुकदमा दर्ज होना चाहिए. आज बाराबंकी की एमपी-एमएलए कोर्ट नंबर 4 में मुख्तार की पेशी होनी थी, लेकिन इससे पहले ही उसकी मौत हो गई. ऐसे में उसके वकील ने कोर्ट में जेल प्रशासन के खिलाफ केस दर्ज कराने की मांग की है.

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मुख्तार अंसारी (फाइल फोटो)
मुख्तार अंसारी (फाइल फोटो)

यूपी के माफिया रहे मुख्तार अंसारी की गुरुवार को बांदा जेल में तबीयत खराब होने के बाद मौत हो गई. इसके बाद शुक्रवार को पोस्टमार्टम कराकर शव परिवार को सौंप दिया गया. अब परिवार शव का पोस्टमार्टम दिल्ली एम्स द्वारा कराए जाने की मांग कर रहा है. अंसारी के बेटे ने कहा कि हमें यहां के लोगों पर विश्वास नहीं है. पोस्टमार्टम दिल्ली एम्स के डॉक्टर्स से करवाया जाए. इस सबके बीच मुख्तार के वकील ने कोर्ट में FIR दर्ज करने की याचिका दायर की है. इसमें जेल प्रशासन के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की मांग की गई है.

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दरअसल, बाराबंकी कोर्ट में मुख्तार अंसारी के वकील ने याचिका दायर कर मांग की है कि मृत्युकालीन कथन मानकर जेल प्रशासन पर मुकदमा दर्ज होना चाहिए. आज बाराबंकी की एमपी-एमएलए कोर्ट नंबर 4 में मुख्तार की पेशी होनी थी, लेकिन इससे पहले ही उसकी मौत हो गई. ऐसे में उसके वकील ने कोर्ट में जेल प्रशासन के खिलाफ केस दर्ज कराने की मांग की है.

कोर्ट में बांदा जेल अधीक्षक वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए हाजिर हुए. उन्होंने बताया कि कल रात 9:50 पर बंदी मुख्तार अंसारी की मृत्यु हो गई. इस पर जज कमलकांत श्रीवास्तव ने अगली तारीख 4 अप्रैल लगवाते हुए रिपोर्ट तलब की है. वहीं मुख्तार अंसारी की तरफ से उसके वकील रणधीर सिंह सुमन ने बताया कि एमपी-एमएलए कोर्ट नंबर 4 में पूर्व विधायक मुख्तार अंसारी द्वारा दिनाक 21 मार्च 2024 को न्यायालय के समक्ष दिए गए प्रार्थना पत्र को मृत्युकालीन कथन मान कर मुकदमा दर्ज करने की अर्जी दी. इस पर फैसले को रिजर्व करते हुए कोर्ट ने अगली तारीख 4 अप्रैल लगा दी है.

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अंसारी के वकील द्वारा दिए गए प्रार्थना पत्र में लिखा है कि 21 मार्च को प्रार्थी मुख्तार अंसारी ने कोर्ट में अर्जी दी थी कि उसे 19 मार्च को खाने में स्लो प्वाइजन दिया गया है. इसके बाद रहस्मयी स्थिति में मुख्तार अंसारी की मौत हो गई है. उस प्रार्थना पत्र को प्रार्थी का मृत्युकालीन कथन मान कर मुकदमा दर्ज करने की कृपा करें. और बांदा जेल का सीसीटीवी फुटेज, डीवीआर ,अधिकारियों के एंट्री का रजिस्टर, फोटोग्राफ संरक्षित किए जाएं. उक्त परिस्थितियों को देखते हुए एफआईआर दर्ज करने की कृपा की जाए.

यहां जानकारी के लिए मृत्युकालिन कथन किसी भी व्यक्ति द्वारा मौत से पहले दिया गया हुआ बयान होता है. भारतीय साक्ष्य अधिनियम,1872 की धारा 32 में कहा गया है कि किसी भी व्यक्ति के द्वारा किया गया मृत्युकालिक कथन एक ठोस साक्ष्य होगा. हालांकि समय-समय पर इसे अदालतों में चुनौती मिलती रही है.

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