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यूपी निकाय चुनाव में BJP ने खेला मुस्लिम कार्ड, 350 उम्मीदवारों को दिया टिकट

दरअसल सत्तारूढ़ पार्टी का फोकस अब पसमांदा मुस्लिम समाज पर है क्योंकि यूपी में 2024 के लिए बीजेपी ने मिशन 80 का लक्ष्य रखा है और उसे पूरा करने के लिए पसमांदा मुसलमान का साथ जरूरी है. बीजेपी लगातार पिछले कई महीनों से पसमांदा मुसलमानों को जोड़ने की कवायद में लगी रही है.

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सांकेतिक फोटो
सांकेतिक फोटो

उत्तर प्रदेश में पिछले चुनावो में जीत के लिहाज से सत्तारूढ़ पार्टी लगातार नए सफल प्रयोग करती रही है लेकिन इस बार स्थानीय निकाय चुनाव को लेकर बीजेपी अपनी बदली हुई रणनीति के तहत चुनाव मैदान में है. पहली बार बीजेपी ने मुस्लिम समाज को इतनी बड़ी संख्या में टिकट दिए हैं जिसमें तकरीबन 350 मुस्लिम उम्मीदवार बीजेपी ने चुनाव मैदान में उतारे हैं. इनमें नगर निगम में पार्षद के उम्मीदवार नगर पालिका नगर पंचायत में अध्यक्ष के उम्मीदवार और उसके अलावा वहां के सभासद के उम्मीदवार भी शामिल है जो पार्टी के सिंबल पर चुनावी मैदान में उतर चुके हैं.

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पसमांदा मुस्लिम समाज पर नजर
दरअसल सत्तारूढ़ पार्टी का फोकस अब पसमांदा मुस्लिम समाज पर है क्योंकि यूपी में 2024 के लिए बीजेपी ने मिशन 80 का लक्ष्य रखा है और उसे पूरा करने के लिए पसमांदा मुसलमान का साथ जरूरी है. इसीलिए इस बार स्थानीय निकाय के चुनाव में भी बीजेपी ने अल्पसंख्यक समुदाय को दिल खोलकर टिकट दिया है. वहीं राजनीतिक तौर पर भी पार्टी इस बात से गुरेज़ नहीं कर रही कि जो आरोप विपक्ष मुसलमानों की अनदेखी का बीजेपी पर लगता था उसे भी इन चुनाव में साफ कर बीजेपी अब पिछड़ा मुसलमानों को जोड़ने की कवायद में है.

350 टिकट देकर बीजेपी विपक्ष को चुनौती दे रही है
बीजेपी लगातार पिछले कई महीनों से पसमांदा मुसलमानों को जोड़ने की कवायद में लगी रही जिसके लिए पहले पसमांदा संवाद सम्मेलन, पीएम मोदी के मन की बात का उर्दू संस्करण, ईद के मौके पर इफ्तारी और मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्रों में लाभार्थियों के साथ संवाद कर इस समुदाय को जोड़ने की कवायद पहले से चल रही है लेकिन मुसलमानों को अनदेखा करने वाली पार्टी का तमगा हटाने की कवायद में इस बार निकाय चुनाव में 350 टिकट देकर बीजेपी विपक्ष को चुनौती दे रही है जिसका सीधा असर स्थानीय समीकरणों पर देखने को मिल रहा है.

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अब खास बात ये है कि पहली बार किसी नगरीय चुनाव में ऐसा हुआ है जब बीजेपी ने तकरीबन 350 मुस्लिम उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतारे हैं इनमें  प्रयागराज वाराणसी गोरखपुर लखनऊ झांसी आगरा फिरोजाबाद और मथुरा नगर निगम शामिल है. जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी नगर निगम में भी बीजेपी ने 4 वार्ड में मुस्लिम उम्मीदवारों को पार्षद का टिकट दिया है तो वहीं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के क्षेत्र गोरखपुर में भी पार्षद का टिकट मुस्लिम समाज के लोगों को दिया गया है. लखनऊ के अलावा, झांसी, आगरा, फिरोजाबाद और मथुरा नगर निगम में भी बीजेपी ने इस बार पार्षद के पद पर अल्पसंख्यक समुदाय के उम्मीदवारों को चुनाव मैदान में उतारा है.

बीजेपी की मुस्लिम टिकट देने की राजनीति पर यूपी अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री दानिश आजाद अंसारी ने आजतक से बातचीत में कहा की पार्टी ने पहली बार पसमांदा मुसलमान से लेकर हर पिछड़े लगभग साढ़े 300 मुसलमानों को पार्षद और नगर पंचायत सदस्य के टिकट दिए हैं. पार्टी का मानना है कि मुसलमानों को मुख्यधारा में लाने के लिए राजनीतिक हिस्सेदारी देनी होगी और यह फैसला पहले ही किया गया था. समाजवादी पार्टी ने केवल मुसलमानों को वोट के लिए इस्तेमाल किया और उनकी राजनीति केवल एक चेहरे के आसपास घूमती रही लेकिन बीजेपी ने लाभार्थी के साथ-साथ अब उन्हें सत्ता में भी हिस्सेदारी का मौका दिया है जो पहले कभी नहीं होता था. 

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17 नगर निगमों में से 11 पर मुस्लिम प्रत्याशी
वहीं इस बार निकाय चुनाव में बसपा ने 17 नगर निगमों में से 11 पर मुस्लिम प्रत्याशी मेयर पद के लिए उतारे हैं ऐसे में बीजेपी ने भी तकरीबन 250 मुस्लिम उम्मीदवार इस निकाय चुनाव के पहले चरण में घोषित किए हैं वहीं समाजवादी पार्टी की भी नजर कहीं न कहीं मुस्लिम वोट बैंक पर है और इसीलिए पार्टी भी लगातार मुस्लिम उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतार रही है लेकिन बीजेपी साफ तौर पर कह रही है कि दूसरे दल केवल उन्हें डराने का काम करते हैं जबकि बीजेपी ने अल्पसंख्यक समाज को आगे ले जाने का काम किया है जिसका असर पार्टी के पिछले चुनाव परिणामों में भी दिखाई दिया है.

दूसरी तरफ अगर नगर पालिका और नगर पंचायतों की बात करें तो फिरोजाबाद नगर पंचायत में लखनऊ की नगर पंचायतों में अमेठी नगर पंचायत में रामपुर में मुरादाबाद मंडल में अमरोहा में तमाम जगहों पर बीजेपी ने इस बार नगर पालिका अध्यक्ष और नगर पंचायत अध्यक्ष के साथ साथ वहां के सभासदों के टिकट भी मुस्लिम समाज को दिए हैं जो इसके जरिये इस बार सपा और बसपा के मुस्लिम वोट बैंक की आस को तोड़ने में भी जुटी है.

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सपा ने बीजेपी के प्रयोग को राजनीतिक छलावा बताया
सपा ने बीजेपी के इस प्रयोग को राजनीतिक छलावा करार दिया है. सपा प्रवक्ता अमीक जमई में मुस्लिम टिकट पर कहा कि बीजेपी वोट के लिए कुछ भी कर सकती है चाहे पार्षद का टिकट मुसलमानों को देना हो या फिर प्रधानमंत्री का चर्च जाना, ये पूरा देश जानता है कि इस वक्त अल्पसंख्यक सबसे ज्यादा खौफ में हैं. मुसलमानों को प्रताड़ित करना, दंगों में उनकी हत्या करना और दंगे प्लांट करना और रामनवमी में एकता को जला देना, ये बीजेपी का काम है, पार्षदी में टिकट देना तो केवल एक बहाना है बीजेपी को अपनी राजनीति करवाना है.

बहरहाल पार्टी पिछड़ा मुसलमानों को टिकट दिए जाने की कवायत को 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले एक राजनीतिक प्रयोग के तौर पर देख रही है, क्योंकि इससे पहले ना तो विधानसभा और ना ही लोकसभा चुनाव में पार्टी ने किसी मुस्लिम प्रत्याशी को टिकट दिया है लेकिन अगर इन 350 प्रत्याशियों में से पार्टी ज्यादातर इलाकों में जीत दर्ज करती है तो इस बात को लेकर संभावनाएं बढ़ जाएंगी कि पार्टी आगामी लोकसभा चुनाव में भी पहली बार उत्तर प्रदेश में मुस्लिम चेहरे को उतार सकती है. हालांकि अभी इस प्रयोग में अभी समय और समीकरण दोनों का इंतजार बाकी है.
 

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