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माफिया अतीक अहमद के खिलाफ पहली बार अदालत ने सजा का ऐलान किया है, जबकि पिछले 18 साल से उत्तर प्रदेश के हाई प्रोफाइल राजू पाल मर्डर केस में अतीक अहमद के गुनाहों का इंसाफ होना अभी बाकी है. इतना ही नहीं, अब अतीक अहमद के खिलाफ उमेश पाल की हत्या के मामले में भी जांच तेजी से बढ़ने की उम्मीद है. आपको एक बार सिलसिलेवार तरीके से बताते हैं कि अतीक अहमद, राजू पाल और उमेश पाल की ये पूरी कहानी है क्या.
24 फरवरी 2023 को प्रयागराज में दिन दहाड़े बंदूकें, पिस्तौल चल रही थी. बमबाजी हो रही थी. जिस उमेश पाल को उत्तर प्रदेश पुलिस के 2 जवानों की सिक्योरिटी मिली हुई थी... उसे सरेआम अतीक गैंग के गुंडों ने भून डाला था. और ये हमला तब हुआ था जब अतीक गैंग को इसके खतरे का पूरा अंदाज़ा भी था. यूपी में योगी सरकार की सख्ती का अनुमान भी था. फिर भी अतीक गैंग ने कानून-पुलिस-प्रशासन-अदालत सबसे बेखौफ होकर बारूद की होली खेल ली थी.
बाल-बाल बच गई थी रुखसाना
ज़रा सोचिये...18 साल पहले जब अतीक अहमद ने राजू पाल की हत्या की होगी तो क्या माहौल रहा होगा? राजू पाल की हत्या होते अपनी आंखों से देखने वाली रुखसाना उस दिन को याद करके कांप उठती हैं. रुखसाना उसी कार में थी जिसमें राजू पाल सवार थे. राजू पाल के शरीर से 19 गोलियां निकली थीं. गोलियां रुखसाना को भी लगी थीं, लेकिन इनकी जान बच गई. जब वे गवाही देने लगी तो अतीक अहमद गैंग ने रुखसाना और उनके पति मोहम्मद सादिक को भी धमकी दी.
रुखसाना के परिवार पर तमाम झूठे केस दर्ज करवा दिये. रुखसाना और सादिक को अपना घर छोड़कर दूसरी जगह जाकर रहना पड़ रहा है, लेकिन दोनों अतीक अहमद को उसके किये की सजा दिलाने के लिए अदालत में सच का दामन नहीं छोड़ने वाले थे. रुखसाना और सादिक की गवाही अब इसलिए भी अहम हो जाती है क्योंकि विधायक राजू पाल की हत्या से शुरू हुई कहानी अब उमेश पाल की हत्या तक पहुंच चुकी है.
राजू पाल को मारी गई थी 19 गोली
उमेश पाल उस मुकदमे के अहम गवाह थे, जो वारदात 18 साल पहले घटी थी. दरअसल, 2004 में राजू पाल बीएसपी के टिकट से विधायक चुन लिया गया था. उस चुनाव में समाजवादी पार्टी का प्रत्याशी और अतीक अहमद का भाई अशरफ हार गया था. नतीजों के 3 महीने के अंदर ही 25 जनवरी 2005 को अतीक गैंग ने राजू पाल पर हमला कर दिया था. 25 जनवरी को विधायक राजू पाल एसआरएन हॉस्पिटल से निकले थे. उनके काफिले में एक क्वालिस और एक स्कॉर्पियो कार थी.
क्वालिस कार खुद राजू पाल चला रहे थे और उनके साथ की सीट पर रुखसाना बैठी थी. जैसे ही राजू पाल जीटी रोड पर पहुंचे एक स्कॉर्पियो कार ने उन्हें ओवरटेक किया और तब तक राजू पाल के सीने में एक गोली लग चुकी थी. स्कॉर्पियो से 5 हमलावर उतरे और राजू पाल पर धुआंधार गोलियां बरसा दीं. हमले में रुखसाना जख्मी हो गई, संदीप यादव और देवीलाल की मौत हो गई. राजू पाल को 19 गोलियां मारी गई थीं.
राजू पाल केस में चश्मदीद गवाह थे उमेश पाल
इसी राजू पाल हत्याकांड में उमेश पाल चश्मदीद गवाह थे, जो राजू पाल के रिश्तेदार भी थे. अतीक अहमद नहीं चाहता था कि उमेश पाल किसी भी सूरत में राजू पाल मर्डर केस में गवाही दे और इसी लिए उसने उमेश पाल को अगवा भी किया था. हालांकि समाजवादी पार्टी की सरकार रहते हुए अतीक अहमद और उसके गैंग पर कोई कार्रवाई नहीं हो सकी थी लेकिन जब 2007 में बीएसपी की सरकार आई तब उमेश पाल ने अतीक के खिलाफ एक और मुकदमा दर्ज कराया.
उमेश के किडनैपिंग केस में अब जाकर फैसला आया है और अतीक अहमद को दोषी ठहराते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई गई है. अभी उमेश पाल हत्याकांड का मामला कोर्ट में चलना बाकी है, जिसका मुख्य आरोपी भी अतीक अहमद है. इसके अलावा राजू पाल हत्याकांड का मामला भी अभी विचाराधीन है. इस केस में भी अतीक अहमद आरोपी है. अभी अतीक को एक मामले में सजा सुनाई गई है... अभी 90 से अधिक केस में सुनवाई बाकी है.
(रिपोर्ट- प्रयागराज से संतोष कुमार, समर्थ श्रीवास्तव, कुमार अभिषेक, अरविंद ओझा और चित्रा त्रिपाठी के साथ आज तक ब्यूरो)