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मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के अध्यक्ष मौलाना राबे हसनी का निधन

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के अध्यक्ष मौलाना राबे हसनी नदवी का गुरुवार को निधन हो गया. उन्हें निमोनिया और सांस लेने में दिक्कत के चलते अस्पताल में भर्ती कराया गया था. मौलाना राबे हसनी नदवी को उनकी बेबाकी के लिए जाना जाता था.

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मौलाना राबे हसनी नदवी की फाइल फोटो.
मौलाना राबे हसनी नदवी की फाइल फोटो.

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के अध्यक्ष मौलाना राबे हसनी नदवी का गुरुवार को निधन हो गया. वह लंबे समय से बीमार थे. निमोनिया और सांस लेने में दिक्कत होने के चलते उन्हें अस्तपाल में भर्ती कराया गया था.

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उन्हें इलाज के लिए रायबरेली से लखनऊ के अस्पताल में शिफ्ट किया गया था. उन्होंने डालीगंज स्थित नदवा मदरसे में आखिरी सांस ली. 

'बेबाकी के लिए जाने जाते थे मौलाना राबे हसनी नदवी'

मौलाना राबे हसनी नदवी को उनकी बेबाकी के लिए जाना जाता था. धार्मिक मामलों को लेकर वो समाज के लोगों को अक्सर नसीहत देते रहते थे. एक बैठक में उन्होंने अफसोस जताते हुए कहा था कि मुसलमानों ने इस्लाम धर्म को नमाज तक ही सीमित कर दिया और सामाजिक मामलों की उपेक्षा की जा रही है. 

'इस्लाम जीवन के सभी क्षेत्रों में हमारा मार्गदर्शन करता है'

मौलाना राबे हसन नदवी कहते थे कि इस्लाम धर्म जीवन के सभी क्षेत्रों में हमारा मार्गदर्शन करता है. इसलिए मुसलमानों को हर क्षेत्र में हलाल और हराम का ध्यान रखना चाहिए. इस्लाम को सिर्फ नमाज तक सीमित नहीं रखना चाहिए. इस्लामी शरीयत को बदनाम किया जा रहा है.

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'दहेज देने के बजाय जायदाद में लड़की को हक दिया जाए'

उन्होंने कहा था कि मुसलमानों को सामाजिक रीति-रिवाजों से बचना चाहिए और सुन्नत व शरीयत के अनुसार शादी करें. शादी में दहेज देने के बजाय जायदाद में लड़की को उसका हक दिया जाए. शादी के दौरान इस्लामी दिशा-निर्देशों का पालन किया जाना चाहिए. ताकि कोई मुस्लिम लड़की अपने घर में अविवाहित न बैठे. कहा कि इसके लिए शादियों को आसान बनाया जाए और बिना किसी दहेज के निकाह हों.

कौन थे राबे हसन नदवी

मौलाना मोहम्मद राबे हसनी नदवी इस्लामिक विद्वान थे. दारुल उलूम नदवतुल उलमा के प्रमुख चांसलर और अलामी रबीता अदब-ए-इस्लामी, रियाद (केएसएए) के कुलपति थे. उनका जन्म एक अक्टूबर 1929 को यूपी रायबरेली में हुआ था. नदवी ने रायबरेली में अपने परिवार मकतब से प्राथमिक शिक्षा प्राप्त की और उच्च अध्ययन के लिए दारुल उलूम नदवतुल उलमा में शामिल हो गए थे. वह लगातार छह बार से आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के अध्यक्ष रहे.

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