
कानपुर में मुस्लिम युवक ने अपनी मां के साथ हिंदू धर्म अपना लिया. इसके कारण युवक की पत्नी और ससुराल के लोग नाराज हो गए. मुस्लिम युवक का कहना है कि ससुराल वाले मुझे जान से मारने की धमकी दे रहे हैं. पीड़ित की शिकायत पर पुलिस ने एफआईआर दर्ज की है. मामले की जांच की जा रही है.
दरअसल, बाबू पुरवा थाना क्षेत्र में रहने वाली रानी बेगम के पति का कई साल पहले देहांत हो गया था. अब वह अपने इकलौते बेटे जुनैद के साथ यहां पर रहती है. जुनैद की शादी हो चुकी है. रानी ने बताया कि जुनैद को बचपन से कम दिखाई देता था. इस कारण से वह काफी परेशान रहती थी.
रानी बेगम के मुताबिक, वह बीजेपी के विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना के घर आती रहती थी. इसी दौरान उनके यहां आने वाले एक व्यक्ति से संपर्क हुआ. उनके जरिए वह कानपुर के शोभन सरकार के संपर्क में आई. उनका दिया हुआ प्रसाद जुनैद को खिलाया, जिसे खाकर बेटे की आंख की रोशनी वापस आ गई. उसे ठीक से दिखाई देने लगा. उस दिन से मेरी और मेरे बेटे जुनैद की हिंदू धर्म में आस्था बड़ गई और हमने हिंदू धर्म अपना लिया.
घर में होती है देवी-देवताओं की पूजा
रानी बेगम ने आगे कहा कि उस दिन से हमारे घर में हिंदू देवी-देवाताओं की पूजा होने लगी. बेटा जुनैद हमेशा अपने साथ गणेश भगवान की मूर्ति रखता है. यह बात जुनैद की पत्नी और उसकी ससुराल के लोगों को पसंद नहीं है. वह लोग हम दोनों को जान से मारने की धमकी देते हैं.
केस कराया गया दर्ज
रानी बेगम और जुनैद का कहना है कि वह लोग हिंदू धर्म को मानते हैं उसे नहीं छोड़ेंगे. उन्होंने हिंदू धर्म जरूर अपना है, लेकिन अपने नाम नहीं बदले हैं. जान से मारने की धमकी पर मां-बेटे ने बाबू पुरवा थाना में शिकायत दर्ज कराई है. बाबू पुरवा थाना एसीपी संतोष सिंह का कहना है कि मामला दर्ज किया गया है. जांच की जा रही है.
कौन हैं शोभन सरकार ?
साल 2013 में साधु शोभन सरकार ने दावा किया था कि उन्होंने डौंडिया खेड़ा स्थित राजा राव रामबख्श के किले के पास 1000 टन सोना होने का सपना देखा है. मामला स्थानीय प्रशासन से होते हुए केंद्र तक पहुंचा था. तत्कालीन केंद्रीय मंत्री चरणदास महंत ने प्रधानमंत्री सोनिया गांधी और राहुल गांधी को आनन-फानन में चिट्ठी लिख मारी थी. इसके बाद पुरातत्व विभाग की टीम छेनी-कुदाल लेकर डौंडिया खेड़ा पहुंच गई थी. दूर-दराज के लोग डौंडिया खेड़ा में तमाशा देखने जमा हो गए थे और खाने-पीने की अस्थायी दुकानों से मेले जैसा माहौल बन गया था. जबकि 15 दिन की खुदाई में एक फूटी कौड़ी भी नहीं मिली थी. फिर खुदाई बंद कर दी गई थी.