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जब मुख्तार ने 5 करोड़ की फिरौती लेकर भी करवा दिया था कत्ल, अब तक नहीं मिली लाश, किडनैपिंग की 26 साल पुरानी कहानी

मुख्तार अंसारी ने विश्व हिंदू परिषद के कोषाध्यक्ष व कोयला कारोबारी नंद किशोर रूंगटा का अपहरण कराया था. 5 करोड़ की फिरौती देने के बाद भी रूंगटा की हत्या करवा दी गई. रूंगटा को मुख्तार के जिन दो गुर्गों ने किडनैप किया था, वो आज तक पुलिस या सीबीआई की पकड़ में नहीं आ सके है.

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मुख्तार अंसारी को कोर्ट ने सुनाई है 10 साल की सजा
मुख्तार अंसारी को कोर्ट ने सुनाई है 10 साल की सजा

माफिया मुख्तार अंसारी को यूपी की एक अदालत ने गैंगस्टर के मामले में 10 साल की सजा सुनाई गई है. मुख्तार अंसारी को जिस गैंगस्टर के मामले में सजा सुनाई गई है, उस मामले में कृष्णानंद राय हत्याकांड के साथ-साथ कोयला व्यापारी नंदकिशोर रूंगटा अपहरण और हत्या कांड भी शामिल था. कौन थे नंदकिशोर रूंगटा और क्यों लगा था मुख्तार अंसारी पर फिरौती नहीं मिलने पर हत्या करने का आरोप. आइए जानते हैं पूरी कहानी...

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90 की दशक की कहानी

यह 90 के दशक में उस वक्त की कहानी है जब मुख्तार अंसारी राजनीति में आने के सपने देख रहा था. पुलिस के दस्तावेजों में सिर्फ अपराधी था लेकिन उसके अंदर राजनीतिक शक्ति पाने की छटपटाहट जरूर थी. यही वजह थी कि एक तरफ वाराणसी में बृजेश सिंह से उसकी अदावत बढ़ती जा रही थी तो दूसरी तरफ राजनीतिक ताकत पाने की लालसा थी. इसी वजह से मुख्तार अंसारी ने नंदकिशोर रूंगटा हत्याकांड को अंजाम दिया.

अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षा को पूरा करने के लिए मुख्तार को पैसों की जरूरत थी तो उसके दिमाग में फिरौती का आइडिया आया. इसके लिए मुख्तार ने विश्व हिंदू परिषद के कोषाध्यक्ष व कोयला कारोबारी नंद किशोर रूंगटा को किडनैप करवा दिया.

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फिरौती की साजिश

दरअसल मुगलसराय की चंदासी कोयला मंडी से होने वाली वसूली हमेशा ही चर्चा में रही. इसी कोयले के काले कारोबार से कमाई बढ़ाने के लालच में मुख्तार अंसारी ने चंदासी कोयला मंडी पर कब्जा करने की कोशिश शुरू की. सबसे पहले नंदकिशोर से वसूली मांगने की कोशिश की गई और रंगदारी वसूली के लिए फोन पर धमकाया. जब मामला फोन पर धमकी से नहीं बना तब मुख्तार ने अपने गुर्गों से उनका अपहरण कर मोटी रकम वसूलने की साजिश रची.

साले से करवाया अपहरण

 22 जनवरी 1997 की सुबह थी, जब वाराणसी के भेलूपुर थाना क्षेत्र में स्थित जवाहर नगर कॉलोनी में रहने वाले नंदकिशोर के दफ्तर पर मुख्तार का साला अताउर रहमान बाबू हजारीबाग का कोयला कारोबारी विजय बनकर पहुंचा. अताउर ने नंदकिशोर रुंगटा को  इस बहाने से अपनी कार में बैठा लिया कि कोयले के कारोबार से जुड़े दस्तावेज दिखाने हैं.  कहा जाता है कि अताउर ने इसके बाद नंदकिशोर रूंगटा को चाय में नशीली दवा पिलाकर अपहरण कर लिया.

5 करोड़ लिए और कर दिया मर्डर

इसके बाद मुख्तार ने रूंगटा के परिवार को फिरौती के लिए कॉल की और एवज में 5 करोड़ की फिरौती मांगी. परिवार ने यह रकम मुख्तार अंसारी को पहुंचा दी थी इसके बावजूद मुख्तार अंसारी ने नंदकिशोर को नही छोड़ा और उनकी हत्या कर दी. नंद किशोर रूंगटा की लाश आज तक नही मिली. मामला वीएचपी के अंतरराष्ट्रीय कोषाध्यक्ष और कोयले के सबसे बड़े कारोबारी का था, तो तत्कालीन सरकार ने इस मामले की जांच सीबीआई को दे दी.

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दो शूटर आज तक नहीं आए पकड़ में

सीबीआई ने इस मामले में मुख्तार अंसारी के अलावा दो अन्य लोगों को भी आरोपी बनाया जिसमें उसका शार्प शूटर और करीबी रिश्तेदार अताउर रहमान बाबू  और दूसरा शाहबुद्दीन था. ये दोनों ही आरोपी 26 साल बाद भी सीबीआई की पकड़ में नहीं आ सके हैं और मौजूदा समय में सीबीआई की तरफ से 2 लाख का इनाम घोषित है. वहीं दूसरी तरफ इस केस में अपहरण और हत्याकांड के आरोपी बनाए गए मुख्तार अंसारी को लोअर कोर्ट से बरी कर दिया गया.  

हालांकि इस हाई प्रोफाइल मामले में मुख्तार बरी हो गया लेकिन योगी सरकार आने के बाद मामला फिर खुल गया. 2007 में मुख्तार के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट में केस दर्ज हुआ था. जिसमें कृष्णानंद राय हत्याकांड और नंद किशोर रूंगटा अपहरण को मामले का आधार बनाया गया. 

कोर्ट ने सुनाई 10 साल की सजा

आपको बता दें कि शनिवार को ही मुख्तार अंसारी गैंगस्टर के इस मामले में गाजीपुर एमपी-एमएलए कोर्ट ने दोषी करार दिया था. कोर्ट ने उन्हें 10 साल की सजा सुनाई है. कोर्ट ने उन पर 5 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है. गैंगस्टर के ये मामले करंडा थाना और मोहम्दाबाद थानों से बनाए गए आपराधिक मुकदमों से बनाए गए गैंगचार्ट पर आधारित है.

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