लखनऊ की विशेष एनआईए अदालत ने मंगलवार को जासूसी केस में आरोपी मोहम्मद राशिद को दोषी ठहराया और जुर्माने के साथ कठोर कारावास की सजा सुनाई. राशिद पर पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के लिए काम करने और भारतीय प्रतिष्ठानों की संवेदनशील तस्वीरें व वीडियो भेजने का आरोप था. उस पर पाकिस्तानी रक्षा प्रतिष्ठान के लिए काम करने वाले एजेंटों को सशस्त्र बलों की आवाजाही के बारे में सूचना भेजने का भी आरोप था. वह उत्तर प्रदेश के वाराणसी का रहने वाला है.
एनआईए की जांच के दौरान यह भी पाया गया कि आरोपी ने भारत में आतंकवादी कृत्यों को अंजाम देने के लिए पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के एजेंटों द्वारा रची गई साजिश में उनकी मदद की. जांच से पता चला कि मोहम्मद राशिद पाकिस्तानी रक्षा अधिकारियों और आईएसआई से जुड़े एजेंटों के साथ-साथ पाकिस्तान में सरकारी कर्मचारियों के संपर्क में था और उन्हें व्हाट्सएप के माध्यम से संवेदनशील तस्वीरें और वीडियो भेज रहा था. वह सबूत मिटाने के लिए अपने मोबाइल फोन और व्हाट्सएप अकाउंट को बार-बार रीसेट करता था, अपने कम्युनिकेशन लॉग और डिजिटल फ़ुटप्रिंट को मिटा देता था.
NIA अदालत ने तीन अलग-अलग धाराओं में सुनाई सजा
आईएसआई एजेंटों के निर्देशों पर काम करते हुए राशिद ने धोखाधड़ी से भारतीय सिम कार्ड्स इकट्ठे किए, पाकिस्तानी एजेंटों को भारतीय नंबरों के साथ व्हाट्सएप अकाउंट खोलने में मदद की. इसके लिए आईएसआई ने मोहम्मद राशिद को पैसे दिए. एनआईए स्पेशल कोर्ट ने अपने आदेश में मोहम्मद राशिद को आईपीसी की धारा 120 बी के तहत 03 साल सश्रम कारावास की सजा और 2000 रुपए का जुर्माना, आईपीसी की धारा 123 के तहत 05 साल की सजा और 2000 रुपए जुर्माना, यूएपीए की धारा 18 के तहत 06 साल सश्रम कारावास की सजा और 2000 रुपए जुर्माने की सजा सुनाई. सभी सजाएं एक साथ चलेंगी.
इस मामले में यूपी एटीएस ने 19 जनवरी 2020 को आईपीसी की धारा 123 के तहत एफआईआर दर्ज की थी. बाद में एनआईए ने 6 अप्रैल, 2020 को यह केस अपने कब्जे में ले लिया और फिर से एफआईआर रजिस्टर की. आरोपी मोहम्मद राशिद खिलाफ जुलाई 2020 में चार्जशीट दायर की गई थी. बाद में इस केस में एक अन्य आरोपी रजकभाई कुंभार की पहचान हुई. उसके खिलाफ फरवरी 2021 में राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने आरोपपत्र दायर किया और यह मामला अभी अंडर ट्रायल है.