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वृंदावन को फिर से हरा-भरा करने की उठाई जिम्मेदारी, रोपे 25 हजार से ज्यादा पौधे

श्रीहित मोहित मराल गोस्वामी ने वृंदावन को हरा-भरा बनाने का जिम्मा उठाते हुए बड़े स्तर पर पौधारोपण का काम शुरु किया है. विभिन्न किस्म के 25 हजार से अधिक पौधों को रोपा जा चुका है. लगातार यह काम जारी है.

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राधावल्लभ मंदिर के वर्तमान तिलकायत अधिकारी पौधे रोपते हुए.
राधावल्लभ मंदिर के वर्तमान तिलकायत अधिकारी पौधे रोपते हुए.

वृंदावन में घटती हरियाली को फिर से पहले जैसा बनाने का काम किया जा रहा है. वृंदावन स्थित राधावल्लभ मंदिर के वर्तमान तिलकायत अधिकारी श्रीहित मोहित मराल गोस्वामी ने वृंदावन को हरा-भरा बनाने का जिम्मा उठाते हुए बड़े स्तर पर पौधारोपण का काम शुरु किया है. विभिन्न किस्म के 25 हजार से अधिक पौधों को रोपा जा चुका है. लगातार यह काम जारी है. पौधारोपण श्रीहित हरिवंश प्रचार मंडल ट्रस्ट की तरफ से कराया जा रहा है. इसके अध्यक्ष मोहित मराल गोस्वामी खुद हैं. 

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गोस्वामी का कहना है कि वृंदावन पहले कुंजों से लताओं से और पेड़-पौधों, वनों से भरा था, लेकिन अब यह सिर्फ कंक्रीट का जंगल होकर रह गया है, जबकि इसे बचाने की जरूरत है. ट्रस्ट के कार्यकर्ता और राधावल्लभ मंदिर के युवराज शोभित लाल जी का कहना है कि आने वाले एक साल के भीतर वृंदावन को हर जगह हरा-भरा करना ही ट्रस्ट का उद्देश्य है और इसके लिए वे लगातार कार्यरत हैं.

उन्होंने बताया कि श्रीहित हरिवंश प्रचार मंडल ट्रस्ट इस बात का ध्यान भी रखता है कि जो पौधे लगे हैं वो गर्मी की वजह से सूख ना जाए. इसके लिए वॉटर टैंक के जरिए उनकी सिंचाई भी व्यवस्था की गई है. युवराज शोभित के मुताबिक ट्रस्ट ने कदम्ब, पीपल, वट आदि के पौधे लगाए हैं. सड़क के किनारे भी पेड़ लगाने का कार्य तेजी से चल रहा है ताकि वृंदावन आने वाले यात्रियों को गर्मी से राहत मिल सके.

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कहीं वृंदावन भी न बन जाए कंक्रीट का जंगल

आपको बता दें कि राधावल्लभ मंदिर वृंदावन का सबसे प्राचीन मंदिर है. मंदिर के कार्यकारी अधिकारी श्रीहित मोहित मराल काफी चिंतित दिखते हैं कि जिस तेजी से वृंदावन में मकान बन रहे हैं कहीं वृंदावन भी बाकी शहरों की तरह कंक्रीट का जंगल बन कर ना रह जाए.

उनका मानना है कि वृंदावन की देश में अपनी अलग पहचान है, पूरे देश और दुनियां से लोग यहां सुकून के लिए आते हैं और अगर यहां भी अत्यधिक शहरीकरण हुआ तो फिर यह भी एक पर्यटन स्थल बन कर रह जाएगा, जो कि ठीक नहीं हैं. उन्होंने कहा कि वृंदावन में स्वयं प्रगट ठाकुर विराजमान हैं, यहां कोई मूर्ति नहीं है कि हम जैसे चाहें वैसे वृंदावन को बना दें, इस बात का ध्यान हमें रखना चाहिए.

 

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