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जप, तप और उपवास के 40 नियमों का किया पालन, PM मोदी ने रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा पर लिया ये संकल्प

श्रीराम की प्राण प्रतिष्ठा से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कड़े शुद्धीकरण 'नियमों' का पालन किया है. वे पूरे 11 दिन तक उपवास पर रहे. पीएम ने भूमि पर शयन, गो सेवा के अलावा सरयू जी का ध्यान नियमों का पालन किया है. ऐसे कुल 40 नियमों का पूरे उपवास के दौरान पालन किया. 22 जनवरी को प्राण-प्रतिष्ठा पूजा में 'भारत को विश्व गुरु बनाने' का ' संकल्प लिया.

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PM मोदी ने सोमवार को रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा के बाद उपवास पूरा किया.
PM मोदी ने सोमवार को रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा के बाद उपवास पूरा किया.

रामलला की प्राण प्रतिष्ठा से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 12 जनवरी से 22 जनवरी तक 11 दिन का कठिन अनुष्ठान किया. इस दौरान प्रधानमंत्री के सिर्फ नारियल पानी पीने और ‘भूमि पर शयन’ की बात सामने आई है. सच तो ये है कि प्रधानमंत्री ने 40 नियमों का पालन किया है. प्रधानमंत्री ने प्राण प्रतिष्ठा की पूजा से पहले लिए जाने वाले संकल्प में 'भारत को विश्व गुरु बनाने' का भी संकल्प लिया है. 

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इस तरह के अनुष्ठान में विदेश यात्रा वर्जित है. सिर्फ धार्मिक यात्रा ही कर सकते हैं. प्रधानमंत्री ने राम मंदिर के यजमान की भूमिका को निभाने के लिए अपनी यात्राओं को सिर्फ धार्मिक कार्यों तक ही सीमित रखा. साथ ही नमक का सेवन पूरी तरह बंद रखने के नियम को भी माना. 22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की घड़ी आई तो मुख्य यजमान की भूमिका में पूजा करते पीएम बहुत भावुक नजर आए. दरअसल, प्रधानमंत्री ने 11 दिनों में मन और वचन (वाणी) के कई नियमों का पालन किया. 

'पीएम को भेजी गई थी जानकारी'

प्राण-प्रतिष्ठा करवाने वाले आचार्यों ने 28 दिसंबर को मुख्य यजमान के लिए नियमों की जानकारी लिखित रूप में श्रीराम ट्रस्ट की ओर से गोविंद देव गिरी जी को सौंपी थी. बाद में यह जानकारी प्रधानमंत्री को दी गई थी. पीएम ने इन नियमों का दिनचर्या में पालन किया.

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'पीएम ने 11 दिन तक नियमों का पालन किया'

बता दें कि प्रख्यात आचार्य और ज्योतिष विशेषज्ञ गणेश्वर शास्त्री आचार्य ने रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का मुहूर्त निकाला है. जबकि काशी के लक्ष्मीकांत दीक्षित प्राण-प्रतिष्ठा की पूजा कराने वाले मुख्य आचार्य रहे. उनके साथ आचार्य के तौर पर पंडित सदानंद पाठक  शामिल रहे. इन्होंने ही विस्तार से नियमों के महत्व की जानकारी दी. साथ ही ये बताया कि पीएम ने पूरे 11 दिन तक ज्यादातर नियमों का पालन किया है. प्रधानमंत्री ने सिर्फ नारियल पानी पीकर उपवास रखा. 

'व्यस्तता की वजह से तीन दिन का अनुष्ठान कर सकते थे पीएम'

आचार्यों में शामिल रहे सदानंद पाठक ने खास बातचीत में बताया कि 'प्रधानमंत्री जी की व्यस्तता और देश के लिए उनकी भूमिका को देखते हुए ट्रस्ट की तरफ से कहा गया था कि वो 3 दिन का अनुष्ठान कर सकते हैं. मगर स्वयं प्रधानमंत्री जी ने कहा कि वो इस कार्य के लिए जरूरी 11 दिन का अनुष्ठान ही करेंगे.

गणेश्वर शास्त्री द्राविड़
प्रख्यात ज्योतिषविद और आचार्य पंडित गणेश्वर शास्त्री द्राविड़ के साथ पंडित सदानंद पाठक.

'सिर्फ नारियल पानी पीकर उपवास पूरा किया'

इस दौरान प्रधानमंत्री ने उन सभी नियमों की जानकारी ली और उसका पालन किया. पंडित सदानंद पाठक कहते हैं कि प्रधानमंत्री ने स्वयं प्राण प्रतिष्ठा करने के लिए कई कठिन नियम का पालन किया. इसमें खाने-पीने को लेकर नियम हैं. नियम है कि 11 दिन तक 'नमक' वर्जित होगा. पीएम ने इस नियम का पालन किया. हालांकि सेंधा नमक लिया जा सकता है. साथ ही फलाहार कर सकते थे. पर उन्होंने और कठिन नियम को मानते हुए सिर्फ नारियल पानी पी कर व्रत रखा.

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'पीएम ने इन नियमों का भी पालन किया'

दूसरा महत्वपूर्ण नियम भूमि पर शयन का है. पलंग पर ना सोने के अलावा पलंग पर बैठना भी वर्जित है. नरेंद्र मोदी जी ने इस कठिन नियम का भी पालन किया है. ब्रह्म मुहूर्त में जागना, गो सेवा करना भी इन नियमों में शामिल है. सदानंद पाठक बताते हैं कि कुछ भी जो आप ग्रहण करें, उसे पहले भगवान को भोग लगाकर ही ग्रहण करना होता है. साथ ही संध्यावन्दन के रूप में 'विष्णवे नमः' के जाप को लेकर भी जानकारी दी गयी थी. राम की प्राण प्रतिष्ठा की वजह से रामचरितमानस का पाठ भी बताया गया था. प्राण प्रतिष्ठा के अनुष्ठान के दौरान दाढ़ी बनाना और 'नख निकलाना' भी वर्जित है. इसका भी पालन किया.

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पूजा कर्मकांड कराने वाले पंडित लक्ष्मीकान्त दीक्षित.

इस तरह की पूजा में यजमान के तौर पर शामिल होने के लिए पवित्र नदियों के जल से स्नान की बात भी कही गयी है. सरयू जी अयोध्या में बहती हैं, उनके ध्यान के लिए भी कहा गया था. इसके अलावा मन को शांत रखना भी नियमों में शामिल है.

'भारत के विश्न गुरु बनने का संकल्प लिया'

किसी भी पूजा से पहले संकल्प लिया जाता है, जिसमें ये बात होती है कि पूजा का उद्देश्य क्या है? पीएम ने प्राण प्रतिष्ठा पूजा से पहले लिए जाने वाले संकल्प में 'भारत विश्व गुरु बने... ' इस बात का संकल्प लिया है. आचार्य ने एक्सक्लूसिव जानकारी शेयर करते हुए कहा, प्रधानमंत्री जी ने पूजा के शुरू में 'संकल्प' विधि में ये अद्भुत संकल्प लिया है. प्राण प्रतिष्ठा से पहले श्रीराम ट्रस्ट की ओर से गोविंद देव गिरी जी ने आचार्य गणेश्वर शास्त्री द्रविड़ को पूछा था कि 'जिन यजमान के हाथों भगवद की प्राण प्रतिष्ठा होनी है, उनको 3,7 या 11 दिन तक कौन से नियमों का पालन करना जरूरी है? 

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'बहुत भावपूर्ण क्षण है...'

प्रख्यात आचार्य और ज्योतिषविद गणेश्वर शास्त्री द्राविड की ओर से उपवास, जप, तप, होम, स्नान के बारे में लिखित रूप से विस्तार से जानकारी उपलब्ध करायी गयी थी. पंडित सदानंद पाठक कहते हैं कि 'प्रधानमंत्री जी ने श्रीराम मंदिर में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा के लिए शुद्धीकरण कर स्वयं को पहले तैयार किया, ये बहुत भावपूर्ण है.'

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