
यूपी में माफियाओं को मिट्टी में मिलाने की शुरुआत हो चुकी है. अतीक अहमद के बेटे असद को यूपी पुलिस ने एनकाउंटर मे ढेर कर दिया है. बेटे की मौत के बाद अतीक ने कहा कि सब उसकी वजह से हुआ है. मतलब ये कि माफिया यूपी सरकार और पुलिस की ताकत के आगे असहाय महसूस कर रहा है. लेकिन सियासत भी अजीब है. अपराधियों के एनकाउंटर में भी मजहब तलाशे जा रहे हैं. असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि बीजेपी धर्म देखकर एनकाउंटर करती है. उधर, समाजवादी पार्टी के मुखिया ने कहा कि बीजेपी भाईचारे के खिलाफ है.
24 फरवरी को अतीक का बेटा असद उमेश पाल पर गोलियां चलाता सीसीटीवी में कैद हुआ था. वहीं अतीक का शूटर गुलाम मुहम्मद एक दुकान में उमेश पाल का इंतजार करता दिखा था. वारदात के बाद से दोनों फरार थे. गुरुवार को झांसी के पास यूपी एसटीएफ ने असद और गुलाम दोनों को ढेर कर दिया. जिस वक्त झांसी में असद और गुलाम का एनकाउंटर चल रहा था, उस वक्त यूपी पुलिस ने अतीक को प्रयागराज के सीजेएम कोर्ट में पेश किया था.
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असद और गुलाम के एनकाउंटर की खबर फैली तो सियासत भी तेज हुई. सूबे की बीजेपी सरकार ने अपनी पीठ थपथपाई तो असदुद्दीन ओवैसी ने सवाल खड़े किए. हैदराबाद से सांसद और एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने भी सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि क्या बीजेपी जुनैद और नासिर की हत्या करने वालों का भी ऐसे ही एनकाउंटर करेगी? नहीं, क्योंकि बीजेपी मजहब के नाम पर एनकाउंटर करती है. आप कानून को कमजोर करना चाहते हैं. संविधान का एनकाउंटर करते हैं.
देखें क्या कहते हैं सरकारी आंकड़े
ओवैसी के आरोपों में कितनी सच्चाई है? इसे जानने के लिए अब आंकड़ों की बात करते हैं. रिकॉर्ड के मुताबिक 2017 यानी योगी सरकार के सत्ता में आने के बाद से अबतक पुलिस एनकाउंटर में 183 अपराधी मारे जा चुके हैं. वहीं इस दौरान 13 पुलिसकर्मी भी शहीद हुए हैं. मारे गए अपराधियों में करीब 35 फीसदी मुसलमान हैं. 2021 तक अपराधियों का ये आंकड़ा 135 था. इनमें 51 मुसलमान थे. इन आंकड़ों से समझा जा सकता है कि क्या योगी सरकार सिर्फ मुसलमानों को ही टारगेट करके एनकाउंटर कर रही है?
यूपी एसटीएफ के एडीजी से खास बातचीत
असद और गुलाम के एनकाउंटर पर यूपी एसटीएफ के एडीजी अमिताभ यश ने आजतक से खास बातचीत करते हुए बताया कि 24 फरवरी को प्रयागराज में जो घटना हुई थी, उसकी सीसीटीवी फुटेज सभी ने देखी थी. एक महत्वपूर्ण गवाह, जिसे सुरक्षा मिली हुई थी, उसे मार दिया गया था. साथ में सुरक्षाकर्मियों को भी मार दिया गया. ऐसा क्रिमिनल गैंग, जिसने पहले भी पुलिसकर्मियों की हत्या की है. इनकी तलाश शुरू हो गई थी. क्योंकि ये घटना पूरे जस्टिस सिस्टम की जड़ पर प्रहार था. अगर इस तरह की घटना होगी और ऐसा खौफ फैलेगा तो कोई भी गवाह आगे कोर्ट में गवाही नहीं देगा.
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आरोपियों को सरेंडर करना होता तो कर देते- एडीजी STF
विपक्षी नेताओं द्वारा राजनीतिक लाभ के लिए एनकाउंटर के आरोपों पर एसटीएफ एडीजी ने कहा कि अगर इनको सरेंडर करना होता तो ये कोर्ट में कब का सरेंडर कर देते. इनका ये इरादा नहीं था. इन्होंने एसटीएफ के ऊपर फायर किया था. एसटीएफ का काम कानून के दायरे में होता है. हर एनकाउंटर एक सघन जांच के माध्यम से होकर गुजरता है. आज तक एसटीएफ का कोई भी एनकाउंटर गलत साबित नहीं हुआ है. इतनी कड़ी मेहनत पर सवाल उठाए जा सकते हैं लेकिन गलत साबित नहीं किया जा सकता.
'हर तरह के अपराधियों पर करते हैं कार्रवाई'
मजहब से जोड़ने के सवाल पर उन्होंने कहा कि हमारा मकसद ऐसा नहीं होता है. हम हर तरह के अपराधियों पर कार्रवाई करते हैं. इस गैंग में भी हर तरह के लोग हैं. दोषी का कोई मजहबी रंग नहीं होता. इस तरह की कार्रवाई के लिए ही एसटीएफ बनाई गई है. कोई भी माफिया गैंग इस तरह की गतिविधियां करते हैं तो हमारे लिए ये चैलेंज होता है कि इन्हें पकड़ें. हमारा प्रेशर कानून के दायरे में काम करना और रिजल्ट देना होता है. बाहर से किसी तरह के प्रेशर की जरूरत नहीं होती है.
(आजतक ब्यूरो)