योगी सरकार में मंत्री बनते ही सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के प्रमुख ओमप्रकाश राजभर के तेवर बदल गए हैं. राजभर ने खुद को गब्बर सिंह बताया है और अपने कार्यकर्ताओं को पीला गमछा डालकर थाने जाने की सलाह दी है. राजभर ने खुद की तुलना मुख्यमंत्री तक से कर डाली.
SBSP चीफ ने कहा, आप लोगों ने देखा कि मुख्यमंत्री बैठकर ओम प्रकाश राजभर को शपथ दिला रहे थे. हम मंत्री बनेंगे- बोलो कहा था या नहीं? ललकार कर कहा था कि मंत्री बनेंगे और बनकर दिखा दिया. आज मुख्यमंत्री की पावर के बाद अगर किसी के पास पावर है तो वो ओमप्रकाश राजभर के पास है.
'थाने में जाकर बता देना कि मंत्री जी ने भेजा'
ओम प्रकाश ने कार्यकर्ताओं से कहा, मैं कहता हूं किसी थाने पर जाओ, लेकिन सफेद गमछा मत लगाओ. हमारा पीला गमछा लगाओ. पीला गमछा लगाकर जब थाने पर जाओगे तब तुम्हारी शक्ल में दरोगा को राजभर (ओम प्रकाश) दिखेगा. जाकर बता देना कि मंत्री जी ने भेजा है.
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'मुझे भी गब्बर सिंह समझ लो'
उन्होंने आगे कहा, दरोगा, DM, SP में पावर नहीं है कि फोन लगाकर पूछे कि मंत्री ने लोगों को भेजा है या नहीं. शोले में एक गब्बर सिंह था, तो मुझे भी गब्बर समझ लो.
तीन दिन पहले मंत्री पद की शपथ ली
बता दें कि मंगलवार को यूपी कैबिनेट का विस्तार हो गया है. ओम प्रकाश राजभर, बीजेपी नेता दारा सिंह, सुनील शर्मा और रालोद के नेता अनिल कुमार ने लखनऊ के राजभवन में कैबिनेट मंत्री पद की शपथ ली. योगी 2.0 का ये पहला कैबिनेट विस्तार है. एनडीए में सुभासपा और रालोद नए सहयोगी दल के रूप में शामिल हुए हैं.
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कौन हैं ओम प्रकाश राजभर?
बसपा से अलग होकर 2002 में सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) की स्थापना करने वाले राजभर वाराणसी जिले के मूल निवासी हैं. वे गाजीपुर जिले की जहूराबाद विधानसभा सीट का प्रतिनिधित्व करते हैं. वे जिस राजभर बिरादरी से आते हैं, उसकी पूर्वी उत्तर प्रदेश के जिलों में अच्छी संख्या है. सुभासपा का दावा है कि बहराइच से बलिया तक पूर्वी उत्तर प्रदेश में इस समुदाय की आबादी 12 फीसद है. उत्तर प्रदेश की 403 सदस्यों वाली विधानसभा में राजभर की पार्टी के छह विधायक हैं.
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सुभासपा 2004 से चुनाव लड़ रही है. राजभर ने 2022 के चुनाव में समाजवादी पार्टी से हाथ मिलाया. इस चुनाव में वह खुद जहूराबाद सीट से मैदान में थे. उन्होंने भाजपा के कालीचरण राजभर को हराकर जीत हासिल की. चुनाव में सपा गठबंधन को अपेक्षित सफलता नहीं मिलने के बाद अखिलेश यादव से उनके रिश्ते खराब हो गए. अंतत: ओमप्रकाश राजभर सपा गठबंधन से बाहर आ गए.