
वैसे तो प्रयागराज की चर्चा पूरी दुनिया में गंगा-यमुना-सरस्वती के संगम की वजह से होती है, लेकिन बीते 50 दिनों में यह शहर दो बड़े शूटआउट का गवाह बन गया है. 50 दिन के अंदर हुए दो शूटआउट में पांच लोगों की हत्या हो चुकी है. मरने वालों में माफिया अतीक अहमद भी शामिल है, जिसकी तूती पूरे प्रयागराज में बोला करती थी.
माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की शनिवार को पुलिस कस्टडी में अस्पताल ले जाते वक्त हत्या कर दी गई, जिसे पूरी दुनिया ने लाइव देखा था. दरअसल, अतीक और अशरफ जब मीडिया के कैमरे के सामने अपना जुबान खोल रहे थे, तभी तीन शूटरों ने फायरिंग शुरू कर दी. अतीक और अशरफ को 10 सेकेंड में करीब 18 गोलियों मारी गई.
10 सेकेंड में करीब 18 गोलियों
अचानक अंधेरे को चीरते हुए तीन लड़के टीवी के लाइव कैमरों पर नमूदार होते हैं और इससे पहले कि कोई कुछ समझ पाए, वो काम कर डालते हैं, जो जुर्म की दुनिया में कभी ना भूलनेवाली एक वारदात बन जाती है. 15 अप्रैल की रात प्रयागराज के कॉल्विन अस्पताल के पास जो कुछ हुआ, उसे मीडिया के कैमरों पर पूरी दुनिया ने देखा.
अतीक-अशरफ को लेकर 15 अप्रैल यानी शनिवार रात 10.32 बजे प्रयागराज पुलिस कॉल्विन अस्पताल मेडिकल कराने पहुंचती है. पहले अशरफ उतरता है. पुलिस की जीप से अतीक एक पुलिसकर्मी और अशरफ का सहारा लेकर उतरता है. अतीक उतरते वक्त बाईं तरफ देखता है. एक ही हथकड़ी में अतीक और अशरफ बंधे होते हैं.
अतीक के अगल-बगल उस वक्त सात से आठ पुलिसवाले नजर आते हैं. आगे बढ़ते अतीक और अशरफ से वहां मौजूद मीडियाकर्मी सवाल करते हैं. तभी अतीक के बाईं तरफ से पिस्टल दिखी और गोली चली. 10 सेकेंड के भीतर 18 से ज्यादा गोलियां चलने की आवाज आती है और मौके पर अतीक और उसके भाई अशरफ की मौत हो जाती है.
फिर फायरिंग करने वाले तीनों आरोपी सरेंडर कर देते हैं. इन हत्यारों के नाम लवलेश तिवारी, सनी और अरुण मौर्य हैं, जो पत्रकार बनकर अतीक और अशरफ को मारने पहुंचे थे. तीनों ने गले में नीले रंग का आईकार्ड टांग रखा था. पत्रकार बनकर आए हमलावर अपने साथ एक कैमरा और माइक आईडी भी पुलिस को बरगलाने के लिए लेकर पहुंचे थे.
47 सेकेंड में 6 शूटरों ने की उमेश पाल की हत्या
यह तो बात हो गई 15 अप्रैल की, लेकिन 24 फरवरी को भी कुछ ऐसी ही घटना हुई थी. 24 फरवरी को प्रयागराज में ही राजू पाल हत्याकांड के मुख्य गवाह उमेश पाल और उनके दो सरकारी गनर्स की सरेआम हत्या कर दी गई थी. इस वारदात को अतीक अहमद के बेटे असद समेत 6 शूटरों ने 47 सेकेंड में अंजाम दिया था.
24 फरवरी को 4 बजकर 56 मिनट 28 सेकेंड पर बदमाशों ने उमेश पाल और उनके दोनों सरकारी गनर पर पहली गोली दागी और 4 बजकर 57 मिनट 15 सेकेंड पर बदमाश वारदात को अंजाम दे चुके थे. यानी इस वारदात को 47 सेकेंड में अंजाम दिया गया था. उमेश पाल हत्याकांड के सीसीटीवी फुटेज ने पूरे देश को हिला कर रख दिया था.
सीसीटीवी फुटेज में उमेश पाल 4 बजकर 56 मिनट और 24 सेकेंड पर अपनी सफेद रंग की क्रेटा कार से घर के बाहर पहुंचे हैं. वह पिछली सीट पर बैठे थे, जैसे ही वे गाड़ी से बाहर निकले तो एक बाइक सवार बदमाश वहां आ पहुंचा और उसने पिस्टल तान दी. वह कुछ समझ पाते, उससे पहले बदमाश ने गोलियां चलानी शुरू कर दी.
पहली गोली लगते ही उमेश जमीन पर गिर गए. तभी दूसरा बदमाश भी आ धमका. इसके बाद उसने भी गोलियां चलानी शुरू कर दी, इस दौरान एक गनर को भी गोली लग गई. गोली लगते ही वह भी जमीन पर गिर गए. बदमाशों ने उमेश पाल पर ताबड़तोड़ गोलियां चलाईं, इसके अलावा देसी बमों से भी हमला किया.
इस हमले में उमेश पाल और दोनों सरकारी गनर की मौत हो गई थी. हत्याकांड को अतीक अहमद के तीसरे नंबर के बेटे असद, शूटर मोहम्मद गुलाम, बमबाज गुड्डू मुस्लिम, साबिर, अरमान और विजय चौधरी ने अंजाम दिया था. पुलिस ने 27 फरवरी को ही उमेश पाल हत्याकांड में शामिल क्रेटा कार के ड्राइवर अरबाज को ढेर कर दिया था.
इसके बाद शूटर विजय चौधरी को यूपी पुलिस ने 6 मार्च को प्रयागराज के कौंधियारा में एनकाउंटर में मार गिराया था. 13 अप्रैल को अतीक के बेटे असद और गुलाम को झांसी में एनकाउंटर में मार गिराया गया था. यानी तीन शूटर और एक मददगार मार गिराए गए हैं, जबकि तीन शूटर अभी भी फरार हैं, जिनकी तलाश की जा रही है.