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प्रयागराज में प्रोटेस्ट कर रहे UPPSC अभ्यर्थियों पर प्रशासन का एक्शन, छात्र बोले- घसीटकर ले गई पुलिस

प्रयागराज में UPPSC के खिलाफ 4 दिन से धरने पर बैठे छात्रों को पुलिस ने जबरन उठाना शुरू कर दिया है. उम्मीदवारों का आरोप है कि सुबह-सुबह तमाम पुलिसकर्मी सादे कपड़ों में पहुंचे और छात्रों को घसीटकर ले गए. एक छात्रा ने बड़ा आरोप लगाते हुए कहा कि पुलिस ने प्रदर्शनकारी महिलाओं के साथ भी बदसलूकी की है.

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प्रदर्शनकारी छात्रों को जबरन उठाती हुई पुलिस
प्रदर्शनकारी छात्रों को जबरन उठाती हुई पुलिस

उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) के ‘पीसीएस प्री’ और ‘आरओ एआरओ’ की परीक्षा दो दिन में संपन्न कराने के निर्णय के विरोध में छात्रों का धरना प्रदर्शन गुरुवार को तीसरे दिन भी जारी है. लोकसेवा आयोग के सामने चल रहे इस प्रदर्शन में पिछले तीन दिनों के मुकाबले आज छात्रों की संख्या कम है. 

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इस बीच गुरुवार सुबह धरना प्रदर्शन कर रहे कुछ अभ्यर्थियों को पुलिस ने जबरन उठा लिया जिससे वहां अफरा-तफरी मच गई. पीसीएस और आरओ एआरओ परीक्षा को एक दिन में कराने की मांग को लेकर प्रदर्शन पर बैठी एक छात्रा ने आजतक से बात करते हुए कहा कि पुलिस ने  प्रदर्शनकारी महिलाओं के साथ भी बदसलूकी की है. एक प्रदर्शनकारी ने कहा कि सिविल ड्रेस में आए पुलिसकर्मी प्रदर्शन करने वाले कुछ छात्रों को जबरन घसीटते हुए ले गए हैं. 

पुलिस ने 11 छात्र लिए हिरासत में

इससे पहले बुधवार शाम को भी पुलिस ने 11 छात्रों को हिरासत में लिया था. वे सभी कोचिंग की लाइब्रेरी को जबरन बंद करा रहे थे. एक तरफ पुलिस का एक्शन हो रहा है तो दूसरी ओर बड़ी संख्या में छात्र अभी भी धरना दे रहे हैं.  पुलिस सभी 11 लोगों का शांति भंग की धाराओं में चालान कर रही है, चालान के बाद एसीपी कोर्ट से जमानत पर रिहा भी किया जा सकता है.

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क्या है विवाद

दरअसल, उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग ने पीसीएस प्रीलिम्स 2024 और आरओ/एआरओ प्रीलिम्स 2023 परीक्षाओं को दो दिनों में, दो शिफ्ट में आयोजित करने का निर्णय लिया है. इस निर्णय का अभ्यर्थी पहले से विरोध कर रहे हैं. प्रतियोगी छात्र यूपी पीसीएस 2024 और आरओ एआरओ 2023 की प्रारंभिक परीक्षाओं को पहले की तरह एक ही दिन और एक ही शिफ्ट में कराए जाने की मांग कर रहे हैं. उनका कहना है कि 2 दिन परीक्षा कराए जाने पर होने वाले नॉर्मलाइजेशन से उनका नुकसान होगा

11 नवंबर को फिर से इस फैसले के खिलाफ द‍िल्ली से लेकर यूपी तक अभ्यर्थी सड़कों पर उतर आए. वे 'वन डे वन एग्जाम' की मांग के साथ प्रोटेस्ट कर रहे हैं. छात्र यूपीपीएससी की परीक्षाओं में नॉर्मलाइजेशन सिस्टम खत्म करने की मांग पर अड़े हुए हैं. उनका कहना है कि लोक सेवा आयोग के नॉर्मलाइजेशन सिस्टम का तरीका निष्पक्ष नहीं है.

कब शुरू हुआ नॉर्मलाइजेशन का विवाद?

हाल ही में उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग ने प्रतियोगी परीक्षाओं में नॉर्मलाइजेशन सिस्टम लागू करने को लेकर एक नोटिस जारी किया था, जिसमें बताया गया था कि अगर कोई परीक्षा दो या दो से अधिक दिन तक चलती है तो उनका मूल्यांकन परसेंटाइल के आधार पर किया जाएगा, लेकिन अगर एक दिन की परीक्षा होगी तो उसमें नॉर्मलाइजेशन सिस्टम लागू नहीं होगा. यूपीपीएससी ने बताया कि पीसीएस प्रीलिम्स परीक्षा 2024 और आरओ एआरओ 2023 की भर्ती परीक्षाओं में नॉर्मलाइजेशन सिस्टम लागू किया जाएगा.

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क्या है नॉर्मलाइजेशन सिस्टम?

किसी परीक्षा में पेपर कितना कठिन है, इसके हिसाब से अंक निर्धारित करने को नॉर्मलाइजेशन सिस्टम कहा जाता है. इस सिस्टम के माध्यम से परीक्षा में मिले अंकों के आधार पर कैंडिडेट्स का प्रतिशत स्कोर निकाला जाता है. परीक्षा के हर पेपर के लेवल में थोड़ा-बहुत अंतर हो सकता है. इसी अंतर को खत्म करने के लिए ये सिस्टम लागू किया जाता है.

अभ्यर्थी क्यों कर रहे हैं विरोध?

प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्रों का कहना है कि पीसीएस परीक्षाओं में अक्सर ऐसा होता है कि गलत प्रश्न भी पूछ लिए जाते हैं. ऐसे में पहली शिफ्ट की तुलना में दूसरी शिफ्ट में पूछे गए प्रश्न अधिक गलत हो गए तो कैंडिडेट्स को कैसे पता चलेगा कि उन्हें कितने अंक मिले, क्योंकि परसेंटाइल को किसी शिफ्ट में शामिल हुए छात्रों की संख्या के आधार पर निर्भर करेगा. छात्रों के मुताबिक, ऐसी स्थिति में अधिक अंक लाने वाले कैंडिडेट्स का भी परसेंटाइल कम हो सकता है. इसी को लेकर विरोध प्रदर्शन हो रहा है.

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