मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को महाकुंभ में भारत सेवाश्रम संघ के शिविर का दौरा किया. वहां मुख्यमंत्री ने संतों से मुलाकात की और महाकुंभ के दौरान संगठन की मानवीय सेवा का अवलोकन किया. भारत सेवाश्रम के योगदान की सराहना करते हुए, सीएम योगी ने समाज के लिए निस्वार्थ सेवा की इसकी सदियों पुरानी परंपरा पर प्रकाश डाला.
उन्होंने यह भी याद किया कि उनके गुरु स्वामी अवैद्यनाथ ने भारत सेवाश्रम के संत स्वामी असीमानंद के साथ समाज सेवा में महत्वपूर्ण समय बिताया था. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रयागराज में संतो से मुलाकात के दौरान कहा कि सनातन धर्म ही मानव धर्म है. सनातन धर्म रहेगा तो मानव धर्म रहेगा और मानवता रहेगी.
धैर्य के साथ काम किया
मुख्यमंत्री ने कहा कि मैं अभिनंदन करूंगा पूज्य संतों का जिन्होंने मौनी अमावस्या के अवसर पर पूरे धैर्य के साथ काम किया. एक चुनौती हम सबके सामने आई थी. कुछ पुण्य आत्मा उस एक हादसे का शिकार हो गईं, लेकिन उन स्थितियों में पूज्य संतों ने एक अभिभावक के रूप में काम किया. उन्होंने कहा कि जैसे परिवार पर कोई विपत्ति आती है, तो परिवार का अभिभावक हिम्मत देता है, उस चुनौती का सामना करते हुए उभरने का काम करता है. उस तरह से संतों ने अपनी भूमिका निभाई.
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मुख्यमंत्री ने अपनी निष्ठा और श्रद्धा व्यक्त की
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने महाकुंभ के सफल आयोजन में संतों की भूमिका की तारीफ की है. उन्होंने कहा कि मैं अभिनंदन करूंगा उन सभी पूज्य संतों का, जिन्होंने कठिन परिस्थितियों में भी महाकुंभ को अपना आयोजन मानते हुए धैर्य और संयम के साथ हर चुनौती का सामना किया. सीएम योगी ने पुण्य आत्माओं को विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित की. मुख्यमंत्री ने मां गंगा और महाकुंभ के प्रति अपनी निष्ठा और श्रद्धा व्यक्त की. उन्होंने कहा कि संतों ने अपने उत्तरदायित्व का पूरी निष्ठा से निर्वहन किया. उन्होंने कहा कि संतों ने इस महायोजना को सफलतापूर्वक आगे बढ़ाया है.
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विरोधियों पर किया हमला
मुख्यमंत्री ने सनातन धर्म के विरोधियों पर भी निशाना साधते हुए कहा कि हमें यह भी देखना होगा कि कुछ लोग लगातार सनातन धर्म के खिलाफ षड्यंत्र रचने में लगे हैं. राम जन्मभूमि आंदोलन के दौरान भी उनका चरित्र साफ देखने को मिला था और आज भी वही है. मौनी अमावस्या पर हुए हादसे को लेकर मुख्यमंत्री ने कहा कि कुछ तत्व संतों का धैर्य तोड़कर अराजकता फैलाने और सनातन धर्म को बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं.
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संघ की स्थापना 1917 में हुई थी
भारत सेवाश्रम के संतों का प्रयागराज की पवित्र संगम भूमि के साथ संगठन के गहरे संबंध हैं. भारत सेवाश्रम के महाकुंभ प्रभारी स्वामी भास्करानंद ने इस बात पर जोर दिया कि संघ सिर्फ एक धार्मिक और आध्यात्मिक संगठन नहीं है, बल्कि नारायण सेवा सहित मानवीय प्रयासों में एक समर्पित शक्ति भी है. उन्होंने बताया कि संघ की स्थापना 1917 में पंडित संत आचार्य स्वामी प्रणवानंद महाराज ने की थी, जिन्होंने माघ के शुभ महीने के दौरान संगम के तट पर संन्यास लिया था.