प्रयागराज के महाकुंभ में श्रद्धालुओं के साथ ऐसे अद्भुत हठयोगी भी पहुंचे हैं, जो अपनी अनोखी साधना से सबको हैरान कर रहे हैं. कोई 9 साल से हाथ उठाए हुए है, तो कोई 11 साल से लगातार खड़ा है. इन साधुओं की भक्ति और संकल्प महाकुंभ में आने वाले लोगों को अचंभे में डाल रहे हैं.
आगामी 13 जनवरी को प्रयागराज के संगम क्षेत्र में मकर संक्रांति के स्नान के साथ ही महाकुंभ की शुरुआत हो जाएगी. यहां एक-एक कर अखाड़े का पहुंचना जारी है. इन अखाड़ों में एक से बढ़कर एक हठयोगी पहुंच चुके हैं और अपनी धूनी रमा रहे हैं. आजतक की टीम ने ऐसे कई हठयोगियों को देखा, जिनके हठ के आगे लोग हैरान हैं.
हाथ खड़े हठ योगी- महाकाल गिरी अदभुत
सबसे पहले ऐसे हठयोगी मिले, जिन्होंने पिछले 9 साल से अपना बायां हाथ खड़ा रखा है. अपने बाएं हाथ को यह धर्म की ध्वजा कहते हैं, जो हमेशा से ऊपर की तरफ है. इन हठयोगी का मिशन भी है. इनका एक हाथ लकड़ी की तरह अकड़ या है, नाखून टेढ़े मेढ़े हो गए हैं. बाएं हाथ में अब जान नहीं बची है, जो सख्त लकड़ी की तरह है. आवाहन अखाड़े के ये हठयोगी साधु इसे गौ माता के प्रति अपनी श्रद्धा बताते हैं. गोहत्या बंद करने का भी उनका अभियान है. वे कहते हैं कि जब तक गौ माता के साथ अत्याचार होता रहेगा, तब तक वे यूं ही हठयोग करते रहेंगे.
महाकाल गिरी अद्भुत के हठयोग के 9 साल पूरे हो चुके हैं. 12 साल की इनकी सिद्धि होनी है, लेकिन अब यह आजीवन ऐसे ही रहेंगे. वजह यह कि इन्होंने ठान लिया है कि अब इनका एक हाथ धर्म की ध्वजा जैसा ही रहेगा. दूसरी बात यह कि अब हाथ सख्त पत्थर की तरह हो चुका है.
खड़े हठयोगी- खड़ेश्वर महाराज
आवाहन अखाड़े के दूसरे हठयोगी खडेश्वर महाराज हैं. इनका हठयोग ऐसा है कि इन्होंने अपने पांव को जमीन से हटाया ही नहीं. पिछले 11 साल में पैर को कभी जमीन से ऊपर नहीं उठाया. यह कभी बैठे ही नहीं, यह कभी सोए ही नहीं. इन हठयोगी ने पिछले कई साल से अपने हठयोग से खुद को खड़ा रखा है. बगल में सहारे के लिए टीन का एक ड्रम रखा है, उस पर एक गड्ढा रखा है. कई साल से खड़े हैं. इस हठयोग का कारण पूछने पर धर्म कल्याण को लेकर वजह बताते हैं. इनके पैर सूजकर पत्थर जैसे हो चुके हैं. पैर में घाव भी हैं.
करोना के बाद से सांस नहीं, सिलेंडर के भरोसे हठयोग साध रहे इंद्र गिरी
इसी अखाड़े में एक और हठयोगी हैं इंद्रगिरी. पिछले 4 साल से ऑक्सीजन सिलेंडर के जरिए ही सांस ले रहे हैं. धूनी नहीं रमा सकते, क्योंकि इनके फेफड़े खराब हो चुके हैं, लेकिन हठयोग नहीं छूटता. बड़े सिलेंडर के साथ ऑक्सीजन की पाइप लगी है, कुंभ में पहुंचे हैं. इंद्र गिरी कहते हैं कि सब ठीक है और इसी तरीके से शाही स्नान भी करेंगे. भगवान का भजन भी करेंगे और जन कल्याण के लिए यह हठयोग भी जारी रहेगा. डॉक्टर ने कुछ साल पहले जवाब दे दिया था, क्योंकि फेफड़े खराब हो गए थे, ऑक्सीजन लिए चलते हैं और इस ठंड में भी ऑक्सीजन सिलेंडर के जरिए अखाड़े में बैठे हैं.
सिर पर 45 किलो का रुद्राक्ष लिए हैं गीतानंद गिरी
गीतानंद गिरी के सिर पर 45 किलो का रुद्राक्ष है. 24 घंटे में तकरीबन 12 घंटे सिर पर मौजूद होता है. इसके बारे में पूछने पर गीतानंद गिरी कहते हैं कि जनकल्याण और हिंदुत्व के लिए यह हठयोग है. यह हठयोग उन्होंने अपने गुरु से सीखा है. गीतानंद गिरी का कहना है कि उनके माता-पिता ने उनके गुरु को बचपन में ही सौंप दिया था, तभी से यह हठयोग है. बचपन से मैं ऐसा ही हूं. सब कुछ सामान्य है. कोई असर नहीं होता. इस तरह के न जाने कितने हठयोगी इस महाकुंभ में पहुंच रहे हैं, जो हठयोग से लोगों को अचंभित कर रहे हैं.