राम, कृष्ण और बुद्ध सर्किट के बाद अब महाकुंभ 2025 से पहले यूपी में 'द्वादश माधव' सर्किट बनाने की तैयारी है. इसके तहत प्रयाग के 'द्वादश माधव' मंदिरों का कायाकल्प होगा. यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ ने अधिकारियों संग बैठक में पौराणिक महत्व के 'द्वादश माधव' मंदिरों के बारे में प्रेज़ेंटेशन को मंज़ूरी दी है. इसमें अयोध्या,काशी, मथुरा के बाद प्रयागराज के कई मंदिरों के लिए विस्तृत योजना बनी है.
मान्यताओं के अनुसार, 'द्वादश माधव' की परिक्रमा से जन्म-जन्मांतर के पाप मिट जाते हैं. उत्तर प्रदेश में धार्मिक और आध्यात्मिक पर्यटन (UP Religious And Spiritual Tourism) को बढ़ावा देने के लिए 'द्वादश माधव' मंदिरों को महाकुंभ से पहले निखारा जाएगा. साथ ही 125 किलोमीटर लंबे 'द्वादश माधव' सर्किट की योजना पर भी काम शुरू होगा.
बैठक में यूपी सीएम ने निर्देश दिया कि काशी, मथुरा, अयोध्या, नैमिषारण्य, चित्रकूट, गोरखपुर, विंध्याचल और प्रयागराज की विकास योजनाओं और प्रोजेक्ट्स में तेजी लाई जाए. उधर, अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण कार्य तेजी से चल ही रहा है.
बता दें कि 'माधव' प्रयागराज के प्रधान देवता के रूप में पूजे जाते हैं. इनके द्वादश (बारह) स्वरूप प्रयाग में प्रतिष्ठित हैं. पौराणिक मान्यता है कि प्रयागराज में संगम की रक्षा के लिए श्रीकृष्ण ने द्वादश स्वरूप धारण किए थे. भारद्वाज समेत कई ऋषि मुनियो ने द्वादश माधव की परिक्रमा की है. वेणी माधव, अक्षयवट माधव, शंख माधव, चक्र माधव, अनंत माधव, मनोहर माधव, बिंदु माधव समेत द्वादश माधव रूप हैं, जहां प्राचीन मंदिर स्थित हैं.
अयोध्या में चल रही ये तैयारी
इस बीच अयोध्या में दीपोत्सव की तैयारी तेजी से चल रही है. इस बार 27 लाख दीयों से राम नगरी जगमगाएगी. इसमें 1 लाख लीटर सरसों के तेल से 27 लाख दीपक जलेंगे. घाटों पर 14x 14 के ब्लॉक बनेंगे. एक ब्लॉक में 196 दीपक जलाए जाएंगे. अयोध्या के 51 घाटों में 27 लाख दीयों के लिए 30 लाख बाती की व्यवस्था की जा रही है.
रिकॉर्ड बुक में शामिल होने के लिए 24 लाख दीयों का लक्ष्य रखा गया है. जबकि, इससे ज़्यादा 27 लाख दीये जलाए जाएंगे. अयोध्या में राम जन्मभूमि मंदिर के रामलला की प्राण प्रतिष्ठा से पहले आख़िरी दीपोत्सव 11 नवंबर को होगा. सरयू के घाट पर दीयों से राम कथा के प्रसंग बनाए जाएंगे. इसके लिए अवध यूनिवर्सिटी और अन्य कॉलेजों के 25 हज़ार छात्रों को वॉलेंटियर बनाया जा रहा है.