यूपी के प्रतापगढ़ में हुए सीओ जियाउल हक हत्याकांड में सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने सभी 10 दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई है. सजा के ऐलान पर जियाउल हक के माता-पिता ने खुशी तो जाहिर की, लेकिन मामले में कुंडा विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया को क्लीन चिट मिलने पर निराशा भी व्यक्त की. सीओ जियाउल हक की मां ने कहा कि जैसे वह अपने बेटे की याद में तड़प रही हैं, वैसे ही जिन लोगों को सजा हुई है उनके परिजन तड़पेंगे.
बता दें कि मार्च 2013 में कुंडा के बलीपुर गांव में सीओ (डिप्टी एसपी) जियाउल हक की भीड़ द्वारा पीट-पीटकर हत्या कर दी गई थी. इस केस में दो FIR दर्ज हुई थी. पहली FIR पुलिस ने दर्ज करवाई थी, वहीं दूसरी FIR सीओ की पत्नी परवीन आजाद ने दर्ज करवाई थी.
सीओ हत्याकांड में आया था राजा भैया का नाम
परवीन आजाद की तरफ से दर्ज कराई गई FIR में तत्कालीन कुंडा विधायक और सपा सरकार में मंत्री रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया, अक्षय प्रताप सिंह, हरिओम श्रीवास्तव, गुलशन यादव और नन्हे सिंह को आरोपी बनाया गया था. हालांकि, CBI ने जांच के बाद राजा भैया और उनके साथियों को क्लीन चिट दे दी थी.
परवीन आजाद ने CBI की क्लीन सीट पर आपत्ति जताते हुए सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाई. जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर दोबारा जांच हुई और बीते 23 दिसंबर 2023 को CBI ने राजा भैया और उनके साथियों को फिर से क्लीन चिट दे दी.
जियाउल हक के माता-पिता ने क्या कहा?
जियाउल हक के पिता शमशुल हक और उनकी मां हाजरा खातून ने 'आज तक' से बातचीत में कहा कि हम सीबीआई कोर्ट के फैसले से संतुष्ट हैं, लेकिन जिसने (राजा भैया) इस पूरी वारदात का चक्रव्यूह रचा उसके बचने का मलाल भी है.
उन्होंने कहा कि 11 साल बाद काफी देर से फैसला आया है, लेकिन ठीक फैसला आया है. आज अगर हमारा लड़का (जियाउल हक) होता तो हम लोगों की ये स्थिति नहीं होती. जैसे हम लोगों ने झेला अब वो (दोषी) भी झेलेंगे.
शमशुल हक कहते हैं कि आज भी जब बेटे की याद आती है तो खाना-पीना हराम हो जाता है. नींद उड़ जाती है. सदमे में हमारी तबीयत बिगड़ गई. परिवार अभी तक उस गम से बाहर नहीं आ पाया.
राजा भैया ही थे मुख्य आरोपी: जियाउल हक के पिता
सीओ जियाउल हक हत्याकांड में कुंडा विधायक राजा भैया को क्लीन चिट दिए जाने पर शमशुल हक ने कहा कि मुख्य मुलजिम तो राजा भैया और गुलशन यादव (तत्कालीन ग्राम प्रधान) ही थे. अब पता नहीं कैसे राजा भैया को क्लीन चिट मिल गई. पता नहीं सीबीआई ने लीपापोती कर दी या फिर किसी और ने. पूरा चक्रव्यूह उन्हीं का रचा हुआ था, उन्हीं ने हत्या कराई.
जानिए पूरा मामला
आपको बता दें कि 2 मार्च 2013 को शाम 7:30 बजे जमीनी विवाद में कुंडा के बलीपुर गांव के प्रधान नन्हे यादव की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. जिसके बाद मृतक प्रधान के समर्थक हथियारों से लैस होकर बलीपुर पहुंच गए और आरोपी कामता पाल के घर को आग के हवाले कर दिया.
उधर, घटना की जानकारी कुंडा के सीओ जियाउल हक को मिली तो वो तत्कालीन हथिगवां एसओ मनोज कुमार शुक्ला और कुंडा एसओ सर्वेश मिश्र और अन्य पुलिसकर्मियों के साथ मौके पर पहुंच गए. इसी बीच उग्र भीड़ ने पुलिस टीम को घेर लिया. सीओ उग्र भीड़ को समझा रहे थे, कहासुनी का दौर चल रहा था कि तभी मृतक प्रधान नन्हे यादव के छोटे भाई सुरेश यादव की भी गोली मारकर हत्या कर दी गई.
दो हत्याओं के बाद भीड़ और भी ज्यादा उग्र हो गई पुलिस टीम पर हमला बोल दिया. इस भीड़ में सीओ जियाउल हक फंस गए, उनके साथी उन्हें छोड़कर भाग गए. इसी दौरान सीओ की लाठी -डंडों से पीट पीट कर हत्या कर दी गई.
हालात थोड़ा सामान्य होने पर रात 11:00 बजे पुलिसकर्मियों ने सीओ की तलाश शुरू की तो जियाउल हक की लाश प्रधान के घर के पीछे खड़ंजे पर पड़ी मिली. भीड़ ने जियाउल हक की पिटाई के बाद गोली मारकर हत्या कर दी थी. इस कांड से लखनऊ से दिल्ली तक हड़कंप मच गया था. राजा भैया को मंत्री पद छोड़ना पड़ा. तत्कालीन सपा सरकार सवालों के घेरे में आ गई.
इन लोगों को सुनाई गई उम्रकैद की सजा
सीओ हत्याकांड में 9 अक्टूबर को सीबीआई स्पेशल कोर्ट के जज धीरेंद्र कुमार ने 10 लोगों उम्रकैद की सजा सुनाई है. जिसमें- फूलचंद यादव, पवन यादव, मंजीत यादव, घनश्याम सरोज, राम लखन गौतम, छोटे लाल यादव, राम आसरे, पन्नालाल पटेल, शिवराम पासी और जगत बहादुर पटेल उर्फ बुल्ले पटेल का नाम शामिल है. इससे पहले 5 अक्टूबर को कोर्ट ने इन सभी को दोषी करार दिया था.