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'हम अपना धर्म बदल सकते हैं, पूर्वज नहीं, 22 जनवरी तक जलाएंगे दीप', बोलीं वाराणसी की मुस्लिम महिलाएं

अयोध्या में होने वाली प्राण प्रतिष्ठा पर नजमा ने कहा, 'हम भगवान श्री राम की ज्योति लाकर काशी में हिंदू और मुस्लिम परिवारों को देंगे ऐसा इसलिए क्योंकि यहां एक भी व्यक्ति यह नहीं कह सकता कि भगवान राम हमारे पूर्वज नहीं हैं. भगवान राम कण-कण में बसे हैं. हम सभी जानते हैं कि हम अपना धर्म बदल सकते हैं, लेकिन हम अपने पूर्वजों को नहीं बदल सकते. '

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22 जनवरी को होगी रामलला की प्राण प्रतिष्ठा
22 जनवरी को होगी रामलला की प्राण प्रतिष्ठा

अयोध्या में 22 जनवरी को होने वाली प्राण प्रतिष्ठा समारोह का निमंत्रण जब मोहम्मद हबीब के पास पहुंचा तो वह भावुक हो गए. मिर्जापुर के रहने वाले मोहम्मद हबीब के पास अयोध्या में मीलों दूर से से जब कुछ चावल के दाने (अक्षत)और एक पत्र के साथ राम मंदिर की तस्वीर आई तो उनकी खुशी का ठिकाना ना रहा और वो भावुक हो गए.

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भाजपा की जिला इकाई में विभिन्न पदों पर रह चुके 70 वर्षीय पूर्व 'कार सेवक' ने 'अक्षत पाकर मैं भावुक हो गया. 'अक्षत', पत्र (पत्रम) और राम मंदिर की तस्वीर अयोध्या से भेजी गई है क्योंकि शहर 22 जनवरी को भव्य अभिषेक समारोह की तैयारी कर रहा है. हबीब समारोह को अपने घर से टीवी पर देखेंगे और जनवरी बाद किसी मंदिर जाकर दर्शन करेंगे.  

यह हमारे लिए ऐतिहासिक दिन- हबीब

22 जनवरी को होनी वाली प्राण प्रतिष्ठा को लेकर हबीब कहते हैं, 'यह सभी के लिए एक ऐतिहासिक दिन होगा. हमें यह तारीख बहुत तपस्या और बहुत सारी लड़ाइयों के बाद मिली है.मैं भाजपा का पुराना सदस्य हूं. लगभग 32 वर्षों के बाद, मुझे यह देखने का अवसर मिला है और पुरानी यादें ताजा हो गई हैं. मैं अपने लोगों के समूह के साथ 2 दिसंबर, 1992 से 4-5 दिनों के लिए अयोध्या में रहा था.'हबीब का कहना है कि वह भगवान राम को अपना पूर्वज मानते हैं और पूर्वजों को याद करना ही भारतीयता है.

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मुस्लिम महिलाएं जलाएंगी दीप

मिर्ज़ापुर के पड़ोसी जिले वाराणसी में मुस्लिम महिलाओं के कल्याण के लिए काम करने वाली सामाजिक कार्यकर्ता नाज़नीन अंसारी और उनकी सहयोगी नजमा भी खुश हैं जो मुस्लिम महिला फाउंडेशन चलाती हैं.  उन्होंने अयोध्या से राम ज्योति (विशेष दीये) लाने और उन्हें वाराणसी में 400-500 परिवारों - हिंदू और मुस्लिम दोनों - के बीच वितरित करने का फैसला किया है.

नजमा कहती हैं, 'हम भगवान श्री राम की ज्योति लाकर काशी में हिंदू और मुस्लिम परिवारों को देंगे और उनसे 22 जनवरी तक इसे निरंतर जलते रहने की अपील करेंगे. ऐसा इसलिए क्योंकि यहां एक भी व्यक्ति यह नहीं कह सकता कि भगवान राम हमारे पूर्वज नहीं हैं. भगवान राम कण-कण में बसे हैं. हम सभी जानते हैं कि हम अपना धर्म बदल सकते हैं, लेकिन हम अपने पूर्वजों को नहीं बदल सकते. अयोध्या में भगवान राम की प्रतिष्ठा होगी, इससे ज्यादा खुशी की बात क्या हो सकती है.'

मैंने नफरत का दौर भी देखा है- नाजनीन

नाज़नीन अंसारी बताती हैं कि उन्होंने नफरत का वह दौर देखा है जहां राम मंदिर का नाम लेना भी डरावना था और आज हम राम मंदिर के निर्माण के कारण पूरे देश में खुशी भी देख रहे हैं. मैं इससे बहुत खुश महसूस कर रही हूं. अंसारी का कहना है कि उन्होंने 2006 में वाराणसी के संकट मोचन मंदिर में हुए विस्फोटों के बाद भगवान राम का अनुसरण करना शुरू किया था. मंदिर और छावनी रेलवे स्टेशन पर हुए बम विस्फोटों में कम से कम 20 लोग मारे गए थे. 

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राम मंदिर-बाबरी मस्जिद विवाद मामले में मुस्लिम पक्ष का प्रतिनिधित्व करने वाले अयोध्या के इकबाल अंसारी उन दर्शकों में शामिल होंगे जो प्राण-प्रतिष्ठा समारोह में उपस्थित होंगे.उन्हें प्रतिष्ठा समारोह के लिए अधिकारियों की ओर से आधिकारिक निमंत्रण मिल गया है. अंसारी ने कहा'अयोध्या हमेशा से गंगा-जमुनी तहजीब का प्रतीक रहा है. जो सद्भावना अयोध्या में है, वह मुझमें भी है. जो व्यक्ति मुझे निमंत्रण पत्र देने आया, मैंने उसका स्वागत किया.'

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