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'मैं शूद्र हूं, मुझे गर्व है,' प्रयागराज में सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य के समर्थन में लगे पोस्टर

Ramcharitmanas Controversy: यूपी की सियासत में सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य अपने बयानों को लेकर चर्चा में हैं. स्वामी प्रसाद ने रामचरितमानस की कुछ चौपाइयों को लेकर आपत्ति जताई और खुलकर विरोध किया. अब मौर्य के समर्थन में प्रयागराज में पोस्टर लगाए गए हैं.

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स्वामी प्रसाद मौर्य. (File Photo)
स्वामी प्रसाद मौर्य. (File Photo)

उत्तर प्रदेश की राजनीति में रामचरितमानस को लेकर उठा विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. सपा नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने बीते दिनों रामचरितमानस को लेकर विवादित टिप्पणी कर दी थी. इसके बाद से साधु संत और बीजेपी द्वारा लगातार विरोध किया जा रहा है. वहीं संगम नगरी के प्रयागराज में स्वामी प्रसाद मौर्य के समर्थन में पोस्टर लगाए गए हैं.

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स्थानीय लोगों ने इन पोस्टर में लिखा है कि मैं शूद्र हूं, मुझे गर्व है. न पैसा लगता है, न खर्चा लगता है, बस जय भीम बोलिए, बड़ा अच्छा लगता है. पोस्टर में कुल 7 व्यक्तियों की फोटो है, जिसमें कुछ अनुसूचित जाति और कुछ ओबीसी समाज के लोग हैं. स्वामी प्रसाद मौर्य के समर्थन में लगाए गए पोस्टर को लेकर लोग तरह-तरह की चर्चाएं कर रहे हैं.

स्वामी प्रसाद के समर्थन में लगे पोस्टर.

पोस्टर लगाने वाले शिव दर्शन यादव उर्फ भुक्कू काका और राकेश कुमार उर्फ ननका ने सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य का समर्थन करते हुए कहा है कि रामचरितमानस में शूद्र कहकर अपमानित करने वाली चौपाई हटाई जानी चाहिए. उन्होंने कहा कि वे शूद्र हैं और उन्हें शूद्र होने पर गर्व है. उन्होंने कहा कि रामचरितमानस से शूद्रों पर कथित टिप्पणी वाली चौपाई हटाए जाने के बाद ही विरोध खत्म होगा.

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'मैं शूद्र हूं, मुझे गर्व है,' प्रयागराज में स्वामी प्रसाद के समर्थन में लगे पोस्टर

लखनऊ में सामने आया था रामचरितमानस की प्रतियां जलाने का मामला

बता दें कि इससे पहले लखनऊ में रामचरितमानस की प्रतियां जलाने का मामला सामने आया था. 29 जनवरी को भाजपा कार्यकर्ता सतनाम सिंह लवी ने रामचरितमानस की प्रतियां जलाने वालों के खिलाफ तहरीर दी थी.

इसके बाद पुलिस ने सलीम हसन और सत्येंद्र कुशवाहा समेत कुल 5 लोगों को गिरफ्तार किया था. गिरफ्तार आरोपियों के खिलाफ जांच पड़ताल कर कार्रवाई शुरू की गई, इसके बाद सलीम और सत्येंद्र कुशवाहा के खिलाफ रासुका लगाया गया. 

बताया जा रहा है कि जिन लोगों ने रामचरितमानस की प्रतियां जलाईं, वो सभी ओबीसी महासभा से जुड़े हुए थे. ये सभी एक तरफ स्वामी प्रसाद मौर्य का समर्थन कर रहे थे तो वहीं दूसरी तरफ रामचरितमानस का विरोध. ये पूरा विवाद स्वामी प्रसाद मौर्य के एक बयान के बाद ही शुरू हुआ था.

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