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रामपुर कारतूस कांड: दो CRPF जवानों समेत सभी 24 दोषियों को 10-10 साल की सजा, जुर्माना भी लगा

Rampur Cartridge Case: बीते दिन यूपी के 13 साल पुराने चर्चित कारतूस घोटाले के मामले में स्पेशल कोर्ट ने 24 आरोपियों को दोषी करार दिया था. आज इस मामले में पुलिस, पीएसी और सीआरपीएफ के 20 जवानों समेत 24 लोगों को सजा सुनाई गई है.

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रामपुर कारतूस कांड में पुलिस कस्टडी में दोषी करार दिए लोग
रामपुर कारतूस कांड में पुलिस कस्टडी में दोषी करार दिए लोग

Uttar Pradesh News: रामपुर के 13 साल पुराने चर्चित कारतूस कांड में आज सजा सुनाई गई. बीते दिन स्पेशल कोर्ट ने 24 आरोपियों को दोषी करार दिया था. इस मामले में पुलिस, PAC और CRPF के 20 जवानों समेत कुल 24 लोगों को सजा सुनाई गई है.  इनमें चार लोग आम नागरिक हैं. जबकि, मुख्य आरोपी यशोदा नंदन की ट्रायल के दौरान मौत हो चुकी है. दो CRPF जवान समेत 24 लोगों को सजा मिली. सभी को 10-10 साल की सजा और 10-10 हजार का जुर्माना लगाया गया है. 

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बता दें कि कारतूस घोटाले का पर्दाफाश यूपी एसटीएफ ने 29 अप्रैल 2010 को किया था. आरोप था कि ये लोग नौकरी पर रहते हुए सरकारी कारतूस नक्सलियों और आतंकियों को सप्लाई करते थे. और बदले में इन्हें मुंह मांगी रकम मिलती थी. CRPF के दो जवानों विनोद और विनेश पासवान को भारी मात्रा में कारतूस के साथ गिरफ़्तार किया गया था.

बताया गया कि 2010 में छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में जो बड़ा नक्सली हमला हुआ था उनमें इन्हीं सरकारी कारतूसों का इस्तेमाल हुआ था. इस नक्सली हमले में CRPF के 76 जवान शहीद हुए थे. मौके से जांच टीम को जब खोखे मिले तो शक हुआ और जांच बिठाई गई. 

इस मामले में पहली अरेस्टिंग 29 अप्रैल 2010 में हुई थी. इसके बाद एसटीएफ के एस.आई प्रमोद कुमार की विवेचना में एक डायरी सामने आई जिसमें कई मोबाइल नंबर और अकाउंट नंबर की जानकारी मिली. इसके आधार पर STF ने 25 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की. अभियोजन पक्ष द्वारा इस मामले में कुल 9 साक्ष्य प्रस्तुत किए गए. 

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दोषियों को कोर्ट ले जाती पुलिस

मामले में दोषी पाए गए 24 लोग पुलिस, सीआरपीएफ, पीएसी जैसे सुरक्षा विभागों में तैनात थे. ये लोग रामपुर आयुध स्टॉक से कारतूस निकालकर नक्सलियों और आतंकियों को सप्लाई कर रहे थे. इसमें कुछ बाहरी लोग इनकी मदद कर रहे थे. बाद में इन्हीं कारतूसों का इस्तेमाल दंतेवाड़ा टेररिस्ट अटैक में भी किया गया था. 

केस को लेकर सरकारी वकील प्रताप सिंह मौर्य ने बताया- 29 अप्रैल 2010 को तीन लोगों की अरेस्टिंग की गई थी. थाना सिविल लाइन जनपद रामपुर में मुकदमा पंजीकृत हुआ था. एसटीएफ के एस.आई प्रमोद कुमार को विवेचना के दौरान एक डायरी मिली जिसमें कई लोगों के नाम सामने आए. धीरे-धीरे 25 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई. जिसमें अभियोजन पक्ष द्वारा 9 साक्ष्य प्रस्तुत किए गए. जिसके आधार पर कोर्ट ने कुल 24 लोगों को दोषी करार दिया. 

सभी दोषी अलग-अलग जगह के हैं- जैसे, गोरखपुर, बनारस, बिहार आदि. 4 को छोड़कर सभी सुरक्षा बदल से ताल्लुक रखते हैं. सरकारी कारतूस बाहर बेचे जाने के इनपुट एसटीएफ को मिले थे. स्पेशल जज (ईसी एक्ट) विजय कुमार ने 24 आरोपियों को दोषी माना है.  

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