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आजम खान को हेट स्पीच केस में राहत के बाद क्या वापस मिलेगी विधायकी? चुनाव लड़ने पर भी सवाल

समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव और पूर्व मंत्री आजम खान को हेट स्पीच मामले में कोर्ट ने दोषमुक्त कर दिया है. अब सजा खत्म होने के बाद आजम खान की सदस्यता पर सवाल खड़े हो रहे हैं. इस फैसले के बाद भी आजम खान की सदस्य पात्रता पर संशय बना हुआ है. दरअसल, एक दूसरे मामले में उनको सजा दी गई है.

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समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव और पूर्व मंत्री आजम खान के लिए आज राहत भरी खबर आई. उन्हें एमपी-एमएलए कोर्ट (सेशन ट्रायल) ने हेट स्पीच मामले में दोषमुक्त कर दिया है. यह फैसला उनके लिए एक बड़ी राहत के तौर पर देखा जा रहा है. सेशन कोर्ट ने मजिस्ट्रेट ट्रायल की कोर्ट के फैसले को रद्द कर दिया है और कोर्ट ने इस मामले में सुनाए अपने 70 पेज के फैसले में सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के फैसले का जिक्र किया है.

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हालांकि, इसके बाद भी आजम खान की विधानसभा की सदस्यता को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं. पहला सवाल यह है कि क्या आजम खान को विधायकी वापस मिल पाएगी? दूसरा सवाल कि क्या आजम खान आगे दोबारा चुनाव लड़ पाएंगे? दरअसल, दूसरे मामले में आजम खान को सजा दी गई है, जो उनके आगे चुनाव लड़ने के लिए बड़ा रोड़ा साबित होगा.

रामपुर उप-चुनाव में बीजेपी के आकाश को मिली जीत 

वहीं, दूसरी तरफ आजम की सदस्यता जाने के बाद रामपुर में हुए उपचुनाव में बीजेपी के आकाश सक्सेना विधायक चुनकर आ चुके हैं. ऐसे में आजम खान को विधायकी वापस मिलने का सवाल ही नहीं है. दरअसल, मुरादाबाद के छजलैट मामले में भी मुरादाबाद कोर्ट ने आजम खान और उनके बेटे अब्दुल्ला आजम को दो-दो साल की सजा सुनाई थी.

इसके बाद आजम खान की विधायकी चली गई थी. कानून के तहत अगर किसी मामले में जनप्रतिनिधि की सजा दो साल से अधिक होती है, तो ऐसे में उसकी सदस्यता चली जाती है. अब हेट स्पीच मामले में भले ही आजम खान को राहत मिल गई हो, लेकिन छजलैट मामले में सजा होने के चलते फिलहाल वह दोबारा चुनाव लड़ने की स्थिति में नजर नहीं आ रहे हैं.

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सरकारी काम में बाधा डालने, भीड़ को उकसाने का था आरोप

मामला 15 साल पुराना है. 29 जनवरी 2008 को छजलैट पुलिस ने पूर्व मंत्री आजम खान की कार को चेकिंग के लिए रोका था. इससे उनके समर्थक भड़क गए थे. इसके बाद समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने जमकर हंगामा किया था.

इस हंगामे में अब्दुल्ला समेत नौ लोगों को आरोपी बनाया गया था. पुलिस ने इस मामले में हंगामा करने वाले सभी लोगों पर सरकारी काम में बाधा डालने और भीड़ को उकसाने के आरोप में केस दर्ज किया था.

जानिए क्या है हेट स्पीच से जुड़ा यह मामला

साल 2019 में लोकसभा चुनाव के दौरान आजम खान ने रामपुर की मिलक विधानसभा में एक भाषण में कथित रूप से आपत्तिजनक और भड़काऊ टिप्पणियां की थीं. इसके बाद इसकी शिकायत रामपुर सीट से मौजूदा विधायक और बीजेपी नेता आकाश सक्सेना ने की थी. मामले में रामपुर कोर्ट ने आजम को दोषी ठहराया था.

27 अक्टूबर 2022 को एमपी-एमएलए कोर्ट ने आजम खान को तीन साल की सजा सुनाई थी. इसके आधार पर आजम खान की सदस्यता रद्द कर दी गई थी. कोर्ट के फैसले से पहले आजम खान ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की. मगर, लोअर कोर्ट का फैसला आने के कारण आजम खान की याचिका को औचित्यहीन बताकर खारिज कर दिया गया था.

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हालांकि, तीन साल की सजा सुनाने के बाद आजम खान को जमानत मिल गई थी. मगर, उनकी विधानसभा सदस्यता खत्म कर दी गई. इसके बाद रामपुर सीट पर उपचुनाव हुआ, जिसमें आकाश सक्सेना ने बतौर बीजेपी प्रत्याशी जीत हासिल की. बता दें कि आकाश सक्सेना ने ही आजम के खिलाफ हेट स्पीच का मुकदमा दर्ज कराया था.

जानिए क्या होती है हेट स्पीच? 

  • कानूनी रूप से हेट स्पीच की अलग से कोई व्याख्या नहीं की गई है. संविधान के अनुच्छेद 19 में अभिव्यक्ति की आजादी के अधिकार के कुछ बिंदुओं को स्पष्ट किया गया है। इसमें अभिव्यक्ति की आजादी के अधिकार पर 8 तरह के प्रतिबंध लगाए गए हैं.  
  • इसके अनुसार, कुछ मामलों पर विवादित बयान देने को हेट स्पीच के दायरे में रखा जाएगा. इसमें राज्य की सुरक्षा, विदेशी राज्यों के साथ दोस्ताना संबंध, लोक व्यवस्था, शालीनता या नैतिकता, कोर्ट की अवहेलना, मानहानि, हिंसा, भड़काऊ, भारत की अखंडता व संप्रभुता पर चोट आदि पर कोई भड़काऊ बात कहने को शामिल किया गया है.
  • सुप्रीम कोर्ट ने साल 2013 में हेट स्पीच पर एक फैसला सुनाया था। इसमें कहा गया था कि अगर सांसदों और विधायकों को किसी भी मामले में 2 साल से ज्यादा की सजा हुई है, तो उनकी संसद या विधानसभा की सदस्यता रद्द हो जाएगी।  
  • सुप्रीम कोर्ट ने इसके लिए जन प्रतिनिधित्व कानून की धारा 8 (4) को निरस्त किया था। इसमें यह उल्लेख किया गया था कि सदस्यता निरस्त करने का आदेश उस राज्य की विधानसभा के अध्यक्ष अलग से भी पारित करेंगे।

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