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कभी कांग्रेस तो कभी अखिलेश के संग... आखिर जयंत चौधरी का प्लान क्या है? किसका खेल बिगाड़ेगी RLD

अखिलेश यादव के साथ खड़ी नजर आई आरएलडी अब कांग्रेस के अधिक करीब नजर आ रही है. आरएलडी प्रमुख जयंत चौधरी ने तेलंगाना में कांग्रेस के समर्थन में चुनावी रैलियों को संबोधित किया. कभी अखिलेश और कभी कांग्रेस के संग नजर आ रहे जयंत का आखिर प्लान क्या है?

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अखिलेश यादव, जयंत चौधरी और मल्लिकार्जुन खड़गे (फाइल फोटो)
अखिलेश यादव, जयंत चौधरी और मल्लिकार्जुन खड़गे (फाइल फोटो)

मध्य प्रदेश चुनाव में कांग्रेस ने समाजवादी पार्टी (सपा) को एक भी सीट नहीं दी थी. एमपी चुनाव में सीट बंटवारे को लेकर इंडिया गठबंधन के दो प्रमुख दलों के रिश्तों में आई तल्खी अब शह-मात के खेल का रूप लेती नजर आ रही है. सपा प्रमुख अखिलेश यादव एक दिन पहले तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई पहुंचे थे जहां उन्होंने सीएम एमके स्टालिन के साथ मंडल के मसीहा पूर्व प्रधानमंत्री वीपी सिंह की प्रतिमा के अनावरण समारोह में शिरकत की. अखिलेश यादव चेन्नई में थे तो राष्ट्रीय लोक दल (आरएलडी) के प्रमुख जयंत चौधरी तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद पहुंच गए.

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अखिलेश के चेन्नई, जयंत के हैदराबाद दौरे को लेकर अब सवाल उठ रहे हैं कि क्या इंडिया गठबंधन के भीतर एक-दूसरे के साथ शह-मात का खेल चल रहा है? जयंत चौधरी कभी सपा के साथ खड़े नजर आते हैं तो कभी कांग्रेस के संग. सवाल ये भी है कि आखिर जयंत चौधरी का प्लान क्या है? आरएलडी किसका खेल बिगाड़ेगी? मध्य प्रदेश चुनाव में कांग्रेस के साथ सपा के रिश्ते तल्ख हुए तब जयंत अखिलेश के साथ खड़े नजर आए थे. अब जयंत, अखिलेश से कहीं ज्यादा कांग्रेस के नजदीक दिख रहे हैं. जब एमके स्टालिन ने कांग्रेस को छोड़कर अखिलेश यादव को पूर्व पीएम वीपी सिंह की आदमकद प्रतिमा के अनावरण में मुख्य अतिथि के तौर पर आमंत्रित किया तो कांग्रेस कहां पीछे रहने वाली थी. कांग्रेस ने तेलंगाना में चुनाव प्रचार के लिए जयंत चौधरी को उतार दिया.

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जयंत चौधरी ने राजस्थान के बाद तेलंगाना में भी कांग्रेस के समर्थन में जनसभाएं कीं तो ये चर्चा लाजमी भी है कि आखिर आरएलडी का प्लान क्या है? कहीं सपा और आरएलडी की राहें जुदा तो नहीं हो रहीं? राजस्थान के चुनाव तक तो ठीक था क्योंकि पिछले चुनाव में भी आरएलडी और कांग्रेस का गठबंधन राजस्थान में था. लेकिन सपा की टेंशन बढ़ा दी है जयंत की तेलंगाना में कांग्रेस के समर्थन में चुनावी सभाओं ने. ऐसा इसलिए भी है क्योंकि हैदराबाद में जयंत का क्या काम? न तो वहां उनकी लोकप्रियता है और ना ही जाट वोट. ऐसे में ये कहीं अखिलेश यादव पर दबाव बनाने की कांग्रेस की रणनीति का हिस्सा तो नहीं?

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सपा और कांग्रेस की तल्खी किसी से छिपी नहीं है. ऐसे में एक राज्य के बाद अब दूसरे राज्य में जयंत चौधरी के कांग्रेस के समर्थन में चुनाव प्रचार ने अब उत्तर प्रदेश में नए सियासी समीकरणों को हवा देना शुरू कर दिया है. एमपी में सपा जहां कांग्रेस से लड़ती दिखाई दी वहीं राजस्थान और तेलंगाना में आरएलडी कांग्रेस के साथ. हैदराबाद में इमरान प्रतापगढ़ी के साथ जयंत चौधरी की चुनावी सभा ने तो साफ कर दिया कि अखिलेश चाहे जितनी भी तल्खी कांग्रेस के साथ रख लें, जयंत चौधरी कांग्रेस का साथ नहीं छोड़ेंगे. जयंत चौधरी ने हैदराबाद के मुस्लिम बहुल इलाकों में कांग्रेस के स्टार प्रचारक इमरान प्रतापगढ़ी के साथ सभाएं कीं. तेलंगाना चुनाव प्रचार में जयंत की ये सभाएं कांग्रेस की ओर से संदेश अधिक लगीं.

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चर्चा ये है कि जिस तरीके से अखिलेश यादव कांग्रेस के खिलाफ देशभर में एक नया एंटी कांग्रेस ग्रुप बनाते दिख रहे हैं उसने ग्रैंड ओल्ड पार्टी को परेशान कर दिया है. कई मौकों पर अखिलेश यादव गैर बीजेपी और गैर कांग्रेस गठबंधन की वकालत कर भी चुके हैं, तीसरे मोर्चे का जिक्र कर चुके हैं. पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में अखिलेश ने जिस तरीके से अपनी अलग लाइन ले रखी है और चुनाव के दौरान ही कभी बीआरएस प्रमुख के चंद्रशेखर राव से मिलने हैदराबाद पहुंच जाते हैं तो कभी स्टालिन के बुलावे पर चेन्नई पहुंच जाते हैं. इसे इस बात का संकेत माना जा रहा है कि अखिलेश इंडिया गठबंधन के भीतर एक नया प्रेशर ग्रुप तैयार करने का प्रयास कर रहे हैं. कांग्रेस को ये भी रास नहीं आ रहा है. यही वजह है कि उत्तर प्रदेश एक-दूसरे को दबाव में लाने की रणनीति की प्रयोगशाला बनता जा रहा है.

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