हर जाति और हर वर्ग के लोगों के बीच जाकर जनजागरण की अपनी मुहिम को धार देने के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) अपने समरसता कार्यक्रम को अपने शताब्दी वर्ष में और तेज करेगा. इसके लिए दलित बस्तियों और उन आदिवासी इलाकों का चयन किया जा रहा है जहां अभी तक संघ की पहुंच कम रही है. संघ की कोशिश उन जातियों को भी साथ लाने की है जिनके बीच अब तक काम नहीं हो पाया है.
लोकसभा चुनाव करीब है. ऐसे में संघ ने अपनी मुहिम को धार देने के लिए प्रचारकों में बदलाव भी शुरू कर दिया है. पूर्वी उत्तर प्रदेश में जहां संघ शिक्षा वर्ग के जरिए विस्तारकों की नई पौध तैयार की जा रही है. वहीं, अवध प्रांत के प्रचारकों में बड़ा फेरबदल किया गया है. अयोध्या, गोंडा और सीतापुर के प्रचारक सहित कई पदाधिकारी बदल दिए गए हैं.
जानकारी के मुताबिक अवध प्रांत में हुए प्रशिक्षण शिविर के बाद जिम्मेदारी बदली गई है. काशी प्रांत के कृष्णानंद को अयोध्या का विभाग प्रचारक बनाया गया है. कानपुर प्रांत से दीपेश को गोंडा और बाराबंकी के जिला प्रचारक अभिषेक को सीतापुर का विभाग प्रचारक नियुक्त किया गया है. लखनऊ पूर्व में कमलेश, पश्चिम में संदीप कुमार, उत्तर में सतीश और लखनऊ दक्षिण में अजीत को जिला प्रचारक बनाया गया है.
हरदोई, सीतापुर, बहराइच में नए जिला प्रचारक
इसी तरह हरदोई में रविप्रकाश, सीतापुर में पंकज, बिसवां में सुरेंद्र, बहराइच में अजय और नानपारा में अजय को जिला प्रचारक की जिम्मेदारी सौंपी गई है. अवध प्रांत में जहां बदलाव हो गया है वहीं पूर्वी यूपी में संघ शिक्षा वर्ग के जरिए 2500 से अधिक स्वयंसेवकों को विस्तारक बनाया जा रहा है. पूर्वी उत्तर प्रदेश में चल रहे पांच संघ शिक्षा वर्ग इसी हफ्ते संपन्न हो रहे हैं जिसके बाद विस्तारकों को जिम्मेदारी दी जाएगी.
ये विस्तारक अनुसूचित जाति और आदिवासी बस्तियों में पहुंचेंगे और वहाँ जन जागरण करेंगे. 'संघ को जानो' अभियान में संघ के सर्वव्यापी और सर्वस्पर्शी अभियान को इन जातियों के बीच पहुंचाने की जिम्मेदारी इन विस्तारकों की होगी. संघ के शताब्दी वर्ष के लिए जो कार्यक्रम तय लिए गए हैं ये उनका एक अहम हिस्सा है.
हर न्याय पंचायत तक पहुंचना लक्ष्य
संघ की योजना हर न्याय पंचायत तक पहुंचने का है. कोशिश है कि संघ की मौजूदगी हर जगह हो. जहां भी शाखा आयोजित किया जा सके, वहां आयोजन हो. जहां शाखा संभव न हो, ऐसी न्याय पंचायतों में भी एक विस्तारक संघ के विचार रखने वाला हो. उत्तर प्रदेश में आदिवासी के साथ ही थारू, कोल, मुसहर, वनटांगिया समुदाय के बीच संघ के विस्तारक पहुंचेंगे.