प्रयागराज में गंगा-यमुना और सरस्वती के त्रिवेणी संगम पर छह जनवरी से शुरू हो रहे माघ मेला से पहले एक बड़ी समस्या खड़ी हो गई है. गंगा का जल दो दिनों से अचानक लाल और काला दिखने लगा है. जिसके कारण खलबली मच गई है.
जल के बदले रंग की जानकारी होने पर रसूलाबाद घाट से संगम तक गंगा नदी की निगरानी बढ़ाई गई है. वहीं साधु-संत और श्रद्धालु मेले के स्नान के लिए साफ गंगाजल की मांग कर रहे हैं. मेला अधिकारी अरविंद सिंह चौहान ने गंगाजल साफ न होने की शिकायत मिलने पर गंगा जल के नमूने टेस्ट के लिए भेजे हैं.
बता दें कि माघ मेला की तैयारियों में जुटे विभागीय अधिकारी और इंजीनियरों ने दो दिन पहले संगम क्षेत्र में गंगाजल के बदले रंग को देखा था. इसके बाद प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने भी गंगाजल को देखा था. गंगा जल के लाल-काला होने और बीओडी बढ़ने की बात सामने आई तो प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने निगरानी बढ़ा दी.
गंगाजल के बदले रंग पर नाराजगी
मेले से पहले संगम के घाटों पर जुटने वाले श्रद्धालुओं में गंगाजल का रंग लाल-काला दिखने को लेकर नाराजगी है. दूर दराज से पवित्र गंगा में डुबकी लगाने की कामना लेकर पहुंचे श्रद्धालुओं का कहना है कि देश भर में लोगों की गंगा में गहरी आस्था है. ऐसे में जब वे पवित्र संगम में डुबकी लगाने यहां संगम आए हैं तो प्रदूषित गंगाजल देख कर उनको खासी निराशा होती है.
6 जनवरी को माघ मेले का पहला पौष पूर्णिमा स्नान
6 जनवरी को माघ मेले का पहला पौष पूर्णिमा का स्नान होना है, जिसके मद्देनजर बड़ी संख्या में कल्पवासी और साधु संत मेले में डेरा जमाने पहुंच रहे हैं. संतो ने सीएम योगी आदित्यनाथ से अपील की है कि वह शासन और प्रशासन में बैठे अफसरों को मेले के लिए ज्यादा से ज्यादा गंगा जल छोड़ने का आदेश करें. जिससे देश विदेश से लाखों-करोड़ों की संख्या में पहुंचने वाले श्रद्धालु पूरी आस्था के साथ गंगा स्नान कर सकें.
लखनऊ से आई केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की टीम
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की टीम गंगा-यमुना में गिरने वाले 60 नालों के पानी की जांच करने के लिए लखनऊ से आई है. जिलाधिकारी संजय कुमार खत्री ने भी पूछताछ गंगा के जल के संबंध में टीम से जानकरी ली.