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10 दिन बाद भी नहीं मिली मोना की लाश, कमेटी मेंबर्स को पैसे वापसी की आस... सहारनपुर सौरभ बब्बर सुसाइड केस में क्या है अपडेट

Saharanpur Couple Suicide Case: सौरभ बब्बर सुसाइड मामले में कई सवालों के जवाब अभी तक अनसुलझे हैं. सौरभ का शव तो 11 अगस्त को ही मिल गया था लेकिन उसकी पत्नी मोना का 10 दिन बाद भी कुछ पता नहीं चल सका है.

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सहारनपुर दंपति सुसाइड केस
सहारनपुर दंपति सुसाइड केस

सहारनपुर के व्यापारी सौरभ बब्बर सुसाइड मामले में कई सवालों के जवाब अभी तक अनसुलझे हैं. सौरभ का शव तो 11 अगस्त को ही मिल गया था लेकिन उसकी पत्नी मोना का 10 दिन बाद भी कुछ पता नहीं चल सका है. जबकि, दोनों ने एकसाथ हरिद्वार की गंगा में छलांग लगाई थी. सुसाइड नोट में सौरभ ने लिखा था कि वो कर्ज के बोझ परेशान होकर पत्नी संग अपनी जीवनलीला समाप्त कर रहा है. मौत से पहले उसने आखिरी सेल्फ़ी भी परिचित को भेजी थी. फिलहाल, सौरभ की मौत के बाद लेनदारों को अपने पैसों की चिंता सता रही है, जो उन्होंने सौरभ की कमेटी में निवेश किया था. 

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दरअसल, कर्जदारों से परेशान सहारनपुर के किशुनपुरा निवासी ज्वैलर सौरभ बब्बर (35) ने पत्नी मोना के साथ 9-10 अगस्त की रात को खुदकुशी कर ली. खुद उन्होंने अपने सुसाइड नोट में इस बात का जिक्र किया. हालांकि, बीते हफ्ते सौरभ का शव तो बरामद हो गया लेकिन पत्नी मोना के शव की अब भी तलाश की जा रही है. पुलिस का कहना है कि महिला की तलाश में टीमें लगाई गई हैं. वहीं, परिजनों ने सुसाइड को लेकर किसी के खिलाफ तहरीर नहीं दी है. उधर, लेनदारों की समस्या भी सुनी गई है.   

ये भी पढ़ें- 'जिंदगी भर का गम दे गया सौरभ, कर्ज का पता होता तो...', मृतक के पिता का बयान

बाइक से गए हरिद्वार, फिर गंगा में लगा दी छलांग

दंपति बाइक से सहारनपुर से करीब 100 किलोमीटर दूर हरिद्वार गए फिर वहां पुल से गंगा में कूदकर जान दे दी. गंगा में कूदने से पहले ज्वैलर सौरभ बब्बर ने परिजनों को सुसाइड नोट, सेल्फी और लोकेशन भेजी थी. सुसाइड से पहले दंपति ने परिजनों को फोन भी किया था.

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पति का शव मिला, पत्नी अभी तक लापता 

सौरभ का शव सोमवार (11 अगस्त) को गंगनहर किनारे से बरामद हो गया, जबकि पत्नी मोना बब्बर का पता नहीं लग सका. पुलिस और गोताखोर मोना की हरिद्वार से रुड़की तक तलाश कर रहे हैं. दंपति के दो बच्चे हैं. बेटी की उम्र 11 साल जबकि बेटा 7 साल का है. 

और पढ़ें- कमेटी में जमा लाखों रुपये, 7 करोड़ का गोल्ड बुक... क्या है सहारनपुर के सौरभ बब्बर के कर्ज की कहानी?

प्राप्त जानकारी के मुताबिक, 11 अगस्त की सुबह हरिद्वार जिले की रानीपुर पुलिस को सूचना मिली कि गंगनहर के किनारे दलदल में एक युवक का शव फंसा हुआ है. पुलिस मौके पर पहुंची और शव को बाहर निकलवाया. मोबाइल फोन और पर्स में दस्तावेज आदि से शव की शिनाख्त हुई. जिसके बाद किशनपुरा कोतवाली (सहारनपुर पुलिस) को सूचना दी गई.

सौरभ के पिता का बयान  

मृतक व्यापारी सौरभ बब्बर के पिता दर्शनलाल ने कहा - हमें यकीन नहीं था कि सौरभ कभी ऐसा करेगा. वो हम लोगों को जिंदगी भर का गम दे गया. कर्ज के बारे में पता होता तो उससे बात करते, समझाते. ये कदम नहीं उठाने देते, लेकिन उसने कभी जिक्र नहीं किया. 
 
बकौल दर्शनलाल- सौरभ शुक्रवार की रात (9 अगस्त) अपनी पत्नी मोना और दो बच्चों को लेकर ससुराल गया था, फिर वहां बच्चों को छोड़कर और पत्नी को लेकर हरिद्वार निकल गया. लोगों से पता चला कि हरिद्वार में गंगा में कूदकर जान दे दी. इस घटना के दो दिन पहले उससे मिला था. बहू को लेकर घर आता रहता था, लेकिन कभी ऐसा नहीं लगा कि इतना बड़ा कदम उठा लेगा.  

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ज्वैलरी शॉप के साथ गोल्ड कमेटी भी चलाता था सौरभ

सौरभ शादी के बाद घरवालों से अलग रहता था. सौरभ की 12 साल से किशुनपूरा में ज्वैलरी शॉप थी. जांच में पता चला है कि सौरभ के कमेटी (Committee) के 7 ग्रुप चल रहे थे और हर ग्रुप में करीब 200 मेंबर्स थे, यानी करीब 1400 मेंबर्स सौरभ के पास कमेटी डालते थे. 

हर शख्स (कमेटी मेंबर) उसके पास महीने के 2000 रुपये जमा करता था. इस हिसाब से उसके पास हर महीने 28 लाख रुपये आते थे. ये कमेटी 20 महीने की थी, यानी हरेक शख्स 20 महीने तक उसे 40 हजार रुपये देता था. ये रुपये सौरभ ने एक बड़े ज्वैलर्स को दे दिए थे ताकि वो पैसों के बदले सोने के कई जेवरात उसे बनाकर दे और वो लकी ड्रॉ पर उन जेवरातों को अपने-अपने विजेता मेंबर्स को दे दे. 

इस गोल्ड कमेटी का यही नियम था. मेंबर्स को कैश के बदले गोल्ड/सिल्वर या ज्वैलरी मिलती थी. 10 अगस्त को लकी ड्रॉ होना था, लेकिन उससे पहले सौरभ ने आत्महत्या कर ली. कहा जा रहा है कि जिस बड़े ज्वैलर्स को सौरभ ने पैसे दिए थे उसका बेटा वो रकम लेकर दुबई भाग गया. जिसके चलते सौरभ को कैश के बदले ज्वैलरी नहीं मिली. जब उसे कोई सामान नहीं मिला तो वो अपने कमेटी मेंबर्स को जवाब नहीं दे पा रहा था. वहीं, मेंबर्स उसपर दबाव डाल रहे थे.

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कहा ये भी जा रहा है कि सौरभ ने इस रकम का एक बड़ा हिस्सा शेयर मार्केट में भी इनवेस्ट किया था. लेकिन उसे शेयर मार्केट में बड़ा नुकसान हुआ और वो कर्जदार हो गया. आखिर में कर्जदारों और रकम डूबने से परेशान होकर उसने मौत को गले लगा लिया. फिलहाल, सौरभ के इस कदम से कमेटी मेंबर्स मुश्किल में फंस गए हैं. क्योंकि, उन्होंने अपनी गाढ़ी कमाई सौरभ के पास जमा की थी. उन्हें अच्छे रिटर्न की आस थी. मगर अब रिटर्न छोड़ो मूलधन के भी लाले पड़ गए हैं. 

सुसाइड नोट में बयां किया दर्द

सुसाइड नोट में अपना दर्द बयां करते हुए सौरभ बब्बर ने लिखा- 'ब्याज दे-देकर परेशान हो चुके हैं, अब और ब्याज नहीं दिया जा रहा, इसलिए आत्महत्या कर रहे हैं. जहां से भी आत्महत्या करेंगे, वहां से सेल्फी भेज देंगे.' नदी में कूदने से पहले सौरभ ने आखिरी कॉल परिजनों को ही किया था, जिसकी रिकॉर्डिंग वायरल है. 

(इनपुट: राहुल कुमार)
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