
उत्तर प्रदेश के उन्नाव में एक शख्स ने जीते जी अपना पिंड दान कर तेरहवीं संस्कार करवा लिया. अपनी समाधि के लिए उसने खेत में एक चबूतरा भी पहले से बनवा कर छोड़ दिया है. वहीं, गुरुवार को अपनी तेरहवीं कार्यक्रम में पूजा पाठ के बाद सभी गांव वालों को खाना भी खिलाया.
इसे देखकर आस-पास के लोग दंग रह गए. वहीं, इस घटना के बारे में जो भी सुन रहा है, वह दंग है. मामला नवाबगंज विकासखंड के केवाना गांव का है. यहां के रहने वाले 59 साल के जटाशंकर का किसी बात को लेकर बीवी और बच्चों से विवाद हो गया.
इससे वह अपने खेतों में रहने लगे. परिवार के सभी लोगों से नाता भी तोड़ लिया. वहीं, खेत में एक जगह उसने एक पक्का चबूतरा बनवा लिया. जटाशंकर ने लोगों से कहा कि जब वो मरे, तो यहीं पर उन्हें दफना दिया जाए.
गुरुवार को शख्स ने की अपनी तेरहवीं
मगर, लोग जटाशंकर की इस बात को मजाक समझते रहे. हालांकि, कुछ दिन पहले जब उसने अपना पिंडदान किया और गुरुवार को अपनी तेरहवीं की तैयारी की, तो इसे देखकर हर कोई हैरान रह गया. इसके लिए खेत में सभी चीजों का प्रबंध कर दिया और भोज के लिए सभी लोगों को न्योता देकर खाना खिलाया.
शख्स की हैं तीन पत्नियां
जिंदा रहते तेरहवीं करने की चर्चा गांव और आस-पास के पूरे क्षेत्र में है. बता दें कि जटाशंकर पेशे से किसान हैं. उनकी तीसरी पत्नी मुन्नी देवी हैं. पहली दो पत्नियों ने छोड़ कर चली गई हैं. उनके 7 बच्चों में 5 बेटे और दो बेटियां हैं.
वहीं, पत्नी मुन्नी देवी का कहना है कि हमें क्या मालूम कि वे अपनी तेरहवीं क्यों कर रहे हैं. पति के दिल में क्या चल रहा है, कोई कैसे जान सकता है. वह हमको खर्चा-पानी भी नहीं देते हैं. वह अपने मन से कब्र बनवाया है. वह किसी की कोई बात नहीं मानते हैं. हम उन्हें नहीं रोक सकते हैं.
तेरहवीं के लिए किसी ने नहीं बनाया दबाव- जटाशंकर
मामले में जटाशंकर का कहना है कि हम अपनी तेरहवीं अपने मन से कर रहे हैं. इसका कारण कुछ नहीं है. मेरा बेटा, पत्नी और भतीजे हैं. पूरा परिवार खुशहाल है. पिता की तेरहवीं बेटा करता हैं, लेकिन हम अपने पिता के लिए कुछ नहीं कर पाए थे.
इस वजह से हमें इच्छा हुई कि जब हम अपने पिता के लिए कुछ कर ही नहीं पाए, तो हम अपना तेरहवीं स्वयं करेंगे. इसमें न किसी का दबाव है न ही किसी से सलाह ली है. जो कुछ हम कर रहे हैं, स्वतः कर रहे हैं.