उत्तर प्रदेश में मौसम ठंडा है, मगर राजनीति गरमा-गरम है. सोशल मीडिया पर शुरू हुई बीजेपी और सपा के बीच की लड़ाई अब थाने तक पहुंच गई है. एक तरफ जहां लखनऊ पुलिस ने समाजावादी पार्टी के सोशल मीडिया हेड को गिरफ्तार किया है तो वहीं अब यूपी बीजेपी युवा मोर्चा की सोशल मीडिया इंचार्ज डॉ ऋचा राजपूत पर भी सपा ने केस दर्ज करा दिया है.
इसके साथ ही दोनों पार्टियों में आरोप-प्रत्यारोप का दौर जोरों पर है. जहां बीजेपी समाजवादी पार्टी के सोशल मीडिया इंचार्ज मनीष जगन अग्रवाल को महिलाओं पर अभद्र टिप्पणी का जिम्मेदार बता रही है तो वहीं सपा सांसद एसटी हसन ने मामूली बातों पर सपा कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार करने का आरोप लगाया.
रविवार को मनीष जगन अग्रवाल की गिरफ्तार के बाद सुबह-सुबह ही पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव पुलिस मुख्यालय पहुंच गए और पुलिसवालों पर गंभीर आरोप लगाए. पुलिसकर्मियों ने अखिलेश को चाय ऑफर की तो वे बोले आपकी चाय नहीं पिएंगे, क्या पता जहर मिला हो. अखिलेश इसलिए नाराज थे, क्योंकि पुलिस ने उनकी पार्टी का ट्विटर हैंडल चलाने वाले मनीष जगन अग्रवाल गिरफ्तार कर लिया था. अखिलेश ने आरोप लगाया है कि बीजेपी गाली-गलौज करती है. बीजेपी के सोशल मीडिया अकाउंट से बारे में हमारी पत्नी, परिवार और बच्चियों के लिए अभद्र भाषा का प्रयोग किया गया है. लेकिन उसपर कोई कार्रवाई नहीं हुई. इस बीच सपा कार्यकर्ताओं ने जगह-जगह विरोध प्रदर्शन किया. लखनऊ में पुलिस मुख्यालय पर भी जमकर हंगामा काटा. जिसके बाद पुलिस को हल्का बल प्रयोग करना पड़ा.
बता दें कि पिछले काफी समय से सपा के ट्विटर हैंडल से अभद्र भाषा वाले ट्वीट करने के आरोप लग रहे थे. आए दिन ट्विटर पर इसके स्क्रीनशॉट शेयर करते हुए अखिलेश यादव और यूपी पुलिस को टैग किया जाता था. कई लोगों ने इस संबंध में पुलिस को लिखित शिकायत भी दी थी. जगन पर आरोप है कि उसने ट्विटर पर कई लोगों पर अभद्र टिप्पणियां की हैं. इसको लेकर उसके खिलाफ लखनऊ के हजरतगंज थाने में कई मामले भी दर्ज किए गए हैं. इनमें एक मामला यूपी बीजेपी युवा मोर्चा की सोशल मीडिया इंचार्ज डॉ ऋचा राजपूत ने भी दर्ज कराया है. जिसमें उन्होंने रेप और जान से मारने की धमकी जैसे गंभीर आरोप लगाए हैं. वहीं पुलिस का कहना है कि नवंबर से ही जगन के खिलाफ मामलों की जांच-पड़ताल की जा रही थी. पुष्टि होने के बाद ही ये गिरफ्तारी की गई है.
वहीं अब बीजेपी की ऋचा राजपूत के खिलाफ भी पुलिस की जांच पड़ताल शुरू हो गई है. पुलिस का कहना है कि इनके मामले में भी पूरी पड़ताल करते हुए इसी तरह की कार्रवाई की जाएगी. लखनऊ के पुलिस कमिश्नर एसबी शिरोडकर ने बताया कि मामलों की गंभीरता से विवेचना करते हुए इलेक्ट्रोनिक सबूतों को इकट्ठा किया गया. सर्विस प्रोवाइडर से भी जानकारी प्राप्त की गई। जिसके बाद मनीष जगन अग्रवाल को गिरफ्तार किया गया. आगे भी इस तरह का कोई प्रकरण आता है तो इसी तरह की कार्रवाई की जाएगी. सपा के द्वारा ऋचा राजपूत के विरुद्ध एक शिकायत दी गई. उसमें भी इसी प्रकार से विवेचना की जाएगी और विवेचना के बाद वैधानिक कार्रवाई की जाएगी.
मामूली बातों पर सपा के लोगों को अरेस्ट किया जा रहा- सपा सांसद
इसी बीच अलीगढ़ में एक निजी कार्यक्रम में शिरकत करने पहुंचे मुरादाबाद के सांसद और सपा नेता एसटी हसन ने कहा कि अगर आईटी चीफ ने कोई अभद्र टिप्पणी की थी तो कोर्ट को इसका संज्ञान लेना था. अगर कोई कसूरवार है तो कोर्ट उसको देखता है. मामूली-मामूली बातों पर समाजवादी पार्टी के लोगों को अरेस्ट किया जा रहा है. उनको जेल भेजा जा रहा है. उनकी बात नहीं सुनी जा रही तो आखिर प्रजातंत्र कहां है. कोई कुछ कह नहीं सकता, कोई अपनी आवाज नहीं उठा सकता. हमारे देश में प्रदेश में जो हमारे बुजुर्गों ने मुल्क को आजाद करा कर प्रजातंत्र दिया था. बाबा साहब अंबेडकर के संविधान ने जो अधिकार दिए थे, वह खत्म हो रहे हैं. मुंह पर ताला लगा लो, कानों को बंद कर लो, ना सुनो और ना बोलो वरना जेल जाओगे.
सपा महिलाओं का सम्मान नहीं करती- ऋचा राजपूत
सपा के मीडिया सेल हेड पर केस दर्ज कराने वाली यूपी बीजेपी युवा मोर्चा की सोशल मीडिया इंचार्ज ऋचा राजपूत ने सपा पर भी कई गंभीर आरोप लगाए. उन्होंने जगन की गिरफ्तारी के खिलाफ हो रहे सपा के प्रदर्शन पर कहा कि समाजवादी पार्टी महिलाओं का सम्मान नहीं करती. मनीष जगन अग्रवाल द्वारा बराबर अभद्र टिप्पणी की गई थी. ऐसी टिप्पणी का समाजवादी पार्टी सपोर्ट करती है. उस पर 4 मामले दर्ज हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि अखिलेश यादव ऐसे लोगों को सपोर्ट करते हैं.
समाजवादी पार्टी दबाव बनाना चाहती है- सूर्य प्रताप शाही
जगन की गिरफ्तारी के खिलाफ समाजवादी पार्टी के विरोध प्रदर्शन पर कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने जमकर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी दबाव बनाना चाहती है. अखिलेश यादव नेता प्रतिपक्ष हैं, फोन पर भी बात कर सकते थे. उनको अपने ऊपर भी ऐतबार नहीं रहा. हमेशा दुविधा में रहते हैं. बगैर किसी ठोस प्रमाण के पुलिस किसी को गिरफ्तार नहीं करती है. अखिलेश यादव को तथ्यों के बारे में जानकारी लेनी चाहिए थी. राजनीतिक फायदा उठाने के लिए इस मामले को राजनीतिक तूल दिया गया इसलिए ऐसी बात हो रही है. सीएम योगी आदित्यनाथ की पुलिस संवेदनशील है, सम्मानजनक रूप से उनसे बात कर रही है. उनके (अखिलेश) जमाने मे पुलिस लोगों को घसीटकर लाती थी.