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रोली तिवारी मिश्रा और ऋचा सिंह को सपा ने निकाला, स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ खोला था मोर्चा

रामचरितमानस पर की गई स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान के खिलाफ सपा की प्रवक्ता रहीं रोली तिवारी मिश्रा मुखर थीं. वहीं, ऋचा सिंह लगातार सपा महासचिव स्वामी प्रयाद मौर्य के खिलाफ बोल रही थीं. दोनों की गिनती सपा की तेज-तर्रार महिला नेताओं में होती थी. पार्टी लाइन से इतर जाने पर दोनों के खिलाफ पार्टी ने यह कार्रवाई की है.  

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समाजवादी पार्टी ने अपने दो नेताओं रोली तिवारी मिश्रा और ऋचा सिंह को निष्काषित कर दिया है. पार्टी ने अपने ट्विटर हैंडल पर इसकी बाकायदा घोषणा कर दी है. ऋचा सिंह इलाहाबाद विश्वविद्यालय की पूर्व अध्यक्ष हैं और वह लगातार सपा महासचिव स्वामी प्रयाद मौर्य के खिलाफ बोल रही थीं. दोनों की गिनती सपा की तेज-तर्रार महिला नेताओं में होती थी. 

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वहीं, सपा की प्रवक्ता रहीं रोली तिवारी मिश्रा भी रामचरितमानस पर की गई स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान के खिलाफ थीं. लिहाजा, समाजवादी पार्टी ने दोनों को निष्काषित करते हुए इसकी जानकारी ट्विटर पर पोस्ट कर दी. इस पोस्ट को 1,018 से ज्यादा बार री-ट्वीट किया गया है. 

ऋचा सिंह ने किया ट्वीट- सपा को बताया महिला विरोधी 

इस मामले में ऋचा सिंह ने ट्वीट किया है कि महिलाओं का अपमान करने वाले लंपटों के लिए राष्ट्रीय अध्यक्ष जी डीजीपी ऑफिस पहुंच जाते हैं. महिलाओं के जन अधिकारों के लिए संघर्ष करने वाली महिलाओं को बिना कारण बताए निष्कासित कर दिया जाता है. महिला विरोधी चेहरा समाजवादी पार्टी. 

26 जनवरी को स्वामी प्रसाद पर साधा था निशाना  

रोली तिवारी मिश्रा ने 26 जनवरी को स्वामी प्रसाद मौर्य को लेकर बड़ा बयान दे दिया था. उन्होंने आरोप लगाया था कि स्वामी बसपा के एजेंट हैं और वे 2024 से पहले पार्टी भी छोड़ सकते हैं. आजतक से बात करते हुए रोली तिवारी ने स्वामी प्रसाद मौर्य पर जमकर निशाना साधा था.

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उन्होंने कहा था कि मैं एक लीडर हूं, लेकिन स्वामी प्रसाद मौर्य डीलर हैं. वे बसपा के एजेंट हैं. मुझे तो लगता है कि मौर्य सपा को और ज्यादा नुकसान पहुंचाएंगे और हो सकता है कि वे 2024 से पहले पार्टी भी छोड़ दें. 

रामचरितमानस पर की टिप्पणी से भी नाराज थीं रोली  

रोली तिवारी मिश्रा ने इस बात पर भी नाराजगी जाहिर की थी कि कोई कैसे भगवान राम और रामचरितमानस का अपमान कर सकता है. कुछ दिन पहले स्वामी प्रसाद मौर्य ने रामचरितमानस को लेकर विवादित बयान दिया था. उन्होंने इस धार्मिक किताब के कुछ अंशों पर प्रतिबंध लगाने की मांग भी की थी. 

मौर्य ने आजतक के साथ बातचीत में कहा था कि कई करोड़ लोग रामचरितमानस को नहीं पढ़ते, सब बकवास है. यह तुलसीदास ने अपनी खुशी के लिए लिखा है. उन्होंने कहा कि सरकार को इसका संज्ञान लेते हुए रामचरित मानस से जो आपत्तिजनक अंश है, उसे बाहर करना चाहिए या इस पूरी पुस्तक को ही बैन कर देना चाहिए. 


 

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