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संभल: 1986 के दंगे में जिस शख्स के पिता को आरी से काटा गया, उसने नेजा मेला पर कही ये बात, झकझोर देगी आपबीती

नेजा मेले के दौरान गलत अफवाह के कारण 1986 में भीषण दंगा भड़का था, जिसमें कई हिंदू लोग मारे गए थे. इस दंगे में एक परिवार के सदस्य की निर्ममता से हत्या करके लाश को बोरे में बंद करके फेंक दिया गया था. जब लाश बरामद हुई तो चेहरे पर आरी से काटे जाने के 54 निशान थे. आंखें निकाल ली गई थीं और कान भी काट दिए गए थे. 

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संभल दंगे के पीड़ित का बयान
संभल दंगे के पीड़ित का बयान

यूपी के संभल में सैयद सालार मसूद गाजी की याद में लगने वाले नेजा मेले पर रोक लगा दी गई है. इस बीच 1986 के नेजा मेले के दौरान भड़की हिंसा के पीड़ित परिवार का बयान सामने आया है. उन्होंने नेजा मेला की अनुमति नहीं देने का समर्थन किया है. परिवार ने पुलिस-प्रशासन को धन्यवाद कहा है. 

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आपको बता दें कि नेजा मेले के दौरान गलत अफवाह के कारण 1986 में भीषण दंगा भड़का था, जिसमें कई हिंदू लोग मारे गए थे. इस दंगे में एक परिवार के सदस्य की निर्ममता से हत्या करके लाश को बोरे में बंद करके फेंक दिया गया था. जब लाश बरामद हुई तो चेहरे पर आरी से काटे जाने के 54 निशान थे. आंखें निकाल ली गई थीं और कान भी काट दिए गए थे. 

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आज जब नेजा मेला नहीं लगने देने को लेकर विवाद उठा तो उसी मृतक के परिजन सामने आए हैं. 1986 के दंगे के मृतक के बेटे ने साफ कहा है कि वैसे तो मेला सद्भावना और भाईचारे का प्रतीक है लेकिन जिस मेले में किसी मां के बेटे का कत्ल हो, किसी बहन का भाई बिछड़ जाए, किसी का सुहाग उजड़ जाए तो ऐसे मेले को बैन ही कर देना चाहिए.

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1986 के दंगे के पीड़ित का बयान 

संभल सदर कोतवाली इलाके के मोहल्ला कोट पूर्वी इलाके के निवासी भगवत शरण रस्तोगी की सन 1986 में 6 अप्रैल को नेजा मेले के दौरान एक अफवाह फैलने के बाद दुकान के अंदर निर्मम हत्या कर दी गई थी. मृतक के बेटे राष्ट्रबंधु रस्तोगी इंसाफ के लिए कई साल तक भटकते रहे. जब संभल में नेजा मेले को लेकर विवाद शुरू हुआ है तो वे सामने आए. 

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'आज तक' से बातचीत के दौरान राष्ट्रबंधु रस्तोगी ने कहा कि मेरे पिता की हत्या 6 अप्रैल 1986 को हुई थी. उस दिन शहर में नेजा मेला लगा हुआ था. तभी एक अफवाह उड़ी कई दो मुसलमान लोगों को हिंदुओं ने मार दिया है. इस अफवाह के फैलने से पूरा मेला तितर-बितर हो गया और इलाके में एक अघोषित कर्फ्यू की स्थिति आ गई. पूरा मार्केट लगभग बंद हो चुका था. जिले में भारतीय जनसंघ की नेता पुष्प सिंघल आई हुई थीं. 

बकौल रस्तोगी- मेरे पिता एक राजनीतिक व्यक्ति थे. वह पुष्पा सिंघल का भाषण सुनने के लिए जा रहे थे. तभी मैंने उनसे चीनी लाने के लिए कहा था. जब वह टंडन चौराहे पर खेरु हलवाई की दुकान पर पहुंचे तो अचानक घंटाघर की तरफ से भीड़ का एक समूह आया. दुकानदार ने मेरे पिता को दुकान के अंदर बुला लिया और फाटक बंद कर लिया. बाद में उनकी लाश मिली. 

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लाश के साथ की गई थी बर्बरता

राष्ट्रबंधु रस्तोगी बताते हैं कि जब तलाशी ली गई तो संदूक के अंदर उनका एक काले रंग का थैला, काले रंग का चश्मा और चप्पल आदि बरामद हुई थी. जबकि, उनकी लाश तश्तपुर गांव में एक बोरे के अंदर बंद करके फेंक दी गई थी जो कि बाद में बरामद हुई थी. उनका चेहरा पूरी तरह से बिगाड़ दिया गया था. आरी से कट के 54 निशान थे. आंखें निकाल ली गई थीं और कान काट लिए गए थे. उनकी स्थिति ऐसी हो चुकी थी कि उनको पहचाना नहीं जा सकता था. कमर पर मस्से और अंडरवियर से उनकी पहचान हुई. उनकी लाश की स्थिति ऐसी हो चुकी थी कि वह पोस्टमार्टम के लिए मुरादाबाद जाने लायक भी नहीं बची थी. बाद में संभल के सरकारी अस्पताल में उनका पोस्टमार्टम हुआ था. 

पिता की मौत की खबर मिलने के बाद माता को पैरालिसिस का अटैक पड़ गया था. 20 से 22 साल तक ऐसी ही स्थिति रही. लंबे समय तक मुकदमा लड़ा लेकिन आरोपी बरी हो गए. कोई इंसाफ नहीं मिला. आर्थिक स्थिति और खराब हो गई. 

राष्ट्रबंधु रस्तोगी ने संभल में नेजा मेरे को लेकर चल रहे विवाद के बीच बड़ा बयान देते हुए कहा कि मेरी राय यही है कि जिन मेलों से दंगा हो जाए और किसी का घर उजड़ जाए, ऐसे मेलों पर बैन ही लग जाए. राष्ट्रबंधु पिछले दिनों 1986 दंगे मामले के न्यायिक आयोग के सामने हुए थे.  उन्होंने आयोगी को पूरी जानकारी दी थी. 

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