
यूपी के संभल में 1978 में हुए सांप्रदायिक दंगे के बाद इलाके से पलायन करके वाले कई पीड़ित परिवारों को 46 साल बाद जमीन वापस मिली है. ऐसे में डीएम व एसपी सहित कई अफसर मौके पर पहुंचे और पीड़ित परिवारों से मिले. अफसरों ने जमीन पर मकान निर्माण के लिए नींव की खुदाई का काम भी शुरू करा दिया है.
दरअसल, संभल में 1978 में हुए सांप्रदायिक दंगे में मोहल्ला जगत के रहने वाले शख्स की हत्या के बाद इलाके से बड़ी संख्या में हिंदू समुदाय के लोगों का पलायन हुआ था. मृतक परिवार के लोगों का दावा है कि परिवार के शख्स की हत्या के बाद हम लोग इस इलाके से अपनी जमीन छोड़कर पलायन कर गए थे. सालों बाद जब वापस लौटे तो मुस्लिम समुदाय के लोगों ने हमारी जमीन पर कब्जा करके हम लोगों को यहां से भगा दिया था.
हाल ही में 1978 के दंगों का जिक्र हुआ तो मामला उच्च अधिकारियों तक पहुंचा. जिसके बाद एसडीएम वंदना मिश्रा ने राजस्व विभाग की टीम के साथ मौके पर पहुंचकर जमीन की पैमाइश कराई. इस दौरान तीन पीड़ित परिवारों की जमीन पर उन्होंने मार्किंग करवाई. फिर संभल डीएम राजेंद्र पैंसिया और एसपी कृष्ण कुमार बिश्नोई राजस्व विभाग की टीम के साथ पीड़ित परिवारों की जमीन पर पहुंचे और परिवारों से बातचीत की.
जमीन मिलते ही पीड़ितों ने नींव की खुदाई शुरू करवाई
इसके बाद डीएम ने पीड़ित परिवारों की जमीन के बराबर में संचालित हो रहे 'आजाद जन्नत निशा स्कूल' के परिसर में जाकर भी निरीक्षण किया और स्कूल संचालक से पूछताछ की. फिर पीड़ित परिवारों को उनकी पुरानी जमीन पर काबिज कराया. इस जमीन पर अवैध रूप से कब्जा किया गया था.

46 साल बाद अपनी जमीन मिलते ही पीड़ित परिवारों ने तुरंत ही मजदूरों को बुलाकर नींव की खुदाई का काम शुरू करा दिया. उनका कहना है कि यह जमीन 1978 के दंगे के बाद हम लोगों से छीन गई थी. प्रशासन से कई बार गुहार लगाई थी लेकिन सुनवाई नहीं हुई. वर्ष 2020 में भी ऑनलाइन पोर्टल पर शिकायत की गई थी. बड़े लंबे समय बाद अब इंसाफ मिला है.
मृतक तुलसीराम के पौत्र निशांत का कहना है कि हमारे दादा की मौत के बाद 78 के दंगे में घर के सभी लोग यहां से पलायन कर गए थे. मौके पर हमारी पौने दो बीघा जमीन थी, इसके लिए हमने एसडीएम से शिकायत भी की थी. अब 46 साल बाद यह जमीन वापस मिली है. इसके लिए सरकार का बहुत-बहुत धन्यवाद.
वहीं, डीएम राजेंद्र पैंसिया ने 'आज तक' से बातचीत में कहा कि एक परिवार के द्वारा पहले मीडिया को अपनी जमीन के बारे में जानकारी दी गई थी और फिर यह मामला संभल के पुलिस कप्तान के पास पहुंचा थ. इसके बाद हम लोगों के द्वारा प्रशासन की एक टीम मौके पर भेजी गई. जांच कराई तो जमीन का एक बैनामा मिला लेकिन वह जमीन के एक छोटे हिस्से का था. बाकी जमीन पर ऐसे ही कब्जा कर के रखा गया था.
शेष 10 हजार 182 वर्ग मीटर जमीन अभी भी पुराने परिवार के नाम पर ही दर्ज है, तो उस जमीन की पैमाइश कराई गई. अगर कोई व्यक्ति अपने दस्तावेज लेकर आता है तो उसकी भी जानकारी की जाएगी. जिस व्यक्ति ने इस जमीन पर गलत कब्जा किया है उसके खिलाफ एक्शन होगा. मौके पर बने स्कूल के मामले में खंड शिक्षा अधिकारी को भी बुलाया गया है और जांच करने के निर्देश दिए गए हैं.
कार्तिकेय मंदिर मिलने के बाद आया 1978 के दंगों का जिक्र
संभल में 14 दिसंबर को खग्गू सराय इलाके में कार्तिकेय महादेव मंदिर के 46 साल बाद कपाट खुले तो संभल में 1978 के उन सांप्रदायिक दंगों का भी जिक्र शुरू हुआ और कई दंगा पीड़ित परिवार भी सामने आए. जिन दंगों ने संभल के हर तरह से हालात बदल दिए थे. 1978 के सांप्रदायिक दंगों के जिक्र के बीच ही पीड़ित परिवार के द्वारा एसडीएम वंदना मिश्रा से मिलकर जमीन पर कब्जा दिलाने की गुहार लगाई गई तो एसडीएम ने शिकायतकर्ता पीड़ित परिवार से दस्तावेज मंगा कर चेक किया. कब्जे वाली जमीन पर स्कूल चल रहा था.