उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार में मंत्री संजय निषाद का एक बार फिर दर्द छलका है. उनका कहना है कि अधिकारी नहीं सुनते और ये कि जब अधिकारी ऐसा करते हैं तो चुनाव पर असर पड़ता है. निषाद पार्टी के प्रमुख संजय निषाद का कहना है कि इस शिकायत के साथ कई विधायकों को अधिकारियों के खिलाफ चिट्ठी लिखनी पड़ी है.
यूपी सरकार में मंत्री संजय निषाद ने कहा कि कार्यकर्ताओं में नाराजगी रहती है. इस तरह के अधिकारियों के रहने से चुनाव प्रभावित होता है. वह पहले भी आरोप लगा चुके हैं कि अधिकारी ऐसा काम करते हैं कि वोटर नाराज हो जाएं. कुछ तो ऐसे हैं जो पिछली (अखिलेश यादव) सरकार से प्रेरित हैं. वे आपस में इस तालमेल के साथ काम कर रहे हैं कि मतदाता नाराज हो जाएं और बीजेपी का साथ छोड़ दें.
यह भी पढ़ें: 'कुछ अधिकारी चाहते हैं वोटर नाराज हो जाएं और वे छोड़ दे BJP का साथ', बोले UP के मंत्री संजय निषाद
उत्तर प्रदेश में उपचुनाव से पहले गर्मा रही राजनीति
दरअसल, उत्तर प्रदेश की दस विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होना है. राज्य की ये दस सीटें एनडीए गठबंधन के लिए अहम हैं. इस चुनाव में रिजर्वेशन का मुद्दा काफी अहम रह सकता है, जहां लोकसभा चुनाव में यह फैक्टर बीजेपी के नुकसान का कारण बना था. हाल के दिनों में देखा गया है कि डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य लगातार यूपी सीएम ऑफिस से आरक्षण का हिसाब मांग रहे हैं. संजय निषाद का कहना है कि निषाद पार्टी भी ओबीसी के हित की बात करती है.
निषाद पार्टी के प्रमुख ने कहा, "मेरी कल केशव प्रसाद से बातचीत हुई है. निषाद के लिए किस तरह से ट्रेनिंग हो इस मुद्दे पर बात हुई है. हम लोग वैसे भी मिलकर निषाद ओबीसी के हित की बात करते हैं. हम आरक्षण की बात करते हैं. हम चाहते हैं कि आरक्षण होना चाहिए. हमारे में कई ऐसे लोग हैं जो बहुत फायदा पा रहे हैं. ऐसे में हम तो आरक्षण चाहते हैं."
अधिकारियों के खिलाफ संजय निषाद की नारजागी
संजय निषाद ने इससे पहले अधिकारियों को लेकर कहा था कि कई ऐसे हैं जो चाहते हैं कि वोटर नाराज हो. वोटर नाराज हो जाएगा तो आप जानते हैं क्या होगा. अन्य विधायकों को लेकर उन्होंने कहा था कि सभी का दर्द एक ही है. कुछ अधिकारी हैं जो परेशान कर रहे हैं. ऐसे लोगों को चिन्हित करना होगा जो पिछली सरकार की विचारधारा से प्रेरित हैं और वे सरकार विरोधी काम कर रहे हैं.
उनका कहना है, "सत्ता तो संगठन की शक्ति से मिलती है और सत्ता से सरकार चलती है तो संगठन के कार्यकर्ता की उम्मीद होती है कि सरकार हमारी है और हमें पूरा सम्मान मिलना चाहिए. अगर नहीं मिलता है तो कार्यकर्ता समझता है कि हमने जो सरकार बनाई है वह गलत है."